स्कूली बच्चों को कोरोना से बचाना है तो मध्यान्ह भोजन में टिफिन सिस्टम बंद कर सूखा राशन बांटें,तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने की मांग

Shri Mi
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रायपुर। छत्तीसगढ़ पढ़ाई तुंहर दुवार के तहत शिक्षा विभाग में मोहल्ला क्लास लगाए जाने के निर्देश का छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संध ने कोरोना संक्रमण के भय से बंद करने की मांग मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री से की थीं। संध की मांग पर मोहल्ला क्लास बंद होकर अब 02 अगस्त से कोरोना प्रोटोकाल के तहत स्कूल खोलने का निर्णय लिया गया। संध ने इसके लिए मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्रंी के प्रति धन्यवाद् ज्ञापित करते हुए, बच्चों को कोरोना संकमण से सुरक्षा प्रदान करने हेतु मध्यान्ह भोजन के रूप में शालाओं में टिफिन व्यवस्था को बंद कर सूखा राशन पूर्व की भाॅति सूखा खाद्यान्न वितरित करने की मांग की है।

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प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संध के प्रदेशाध्यक्ष विजय कुमार झा जिला शाखा अध्यक्ष इदरीश खाॅन ने बताया है कि प्रदेश में स्कूली छात्रों का अगस्त में टीकाकरण होना प्रस्तावित है। इस बीच स्कूल खुलने के बाद बच्चों को देय मध्यान्ह भोजन के रूप में टिफिन प्रदान कर एक कमरे में लगभग 15 बच्चों को भोजन कराने की व्यवस्था से बच्चों के संक्रमित होने का खतरा बना हुआ है। यह व्यवस्था पूर्ववत् लागू करने की मांग मुख्यमंत्री भूपेश बधेल, एवं शिक्षा मंत्री प्रेमसिंह साय टेकाम से की है।

क्योंकि प्रतिदिन 50 प्रतिशत् बच्चों को ही शाला में उपस्थिति का निर्देश है। इससे स्पष्ट है कि कुल दर्ज संख्या का अधिकतम् 50 प्रतिशत् बच्चों की ही मध्यान्ह भोजन कराना है, और उतना ही एन.जी.ओ. के माध्यम से टिफिन आएगा। उसे परसकर खिलाना, एक दिन में 50-50 प्रतिशत् उपस्थिति अर्थात एक माह में 15 दिन एक छात्र भोजन प्राप्त करेगा। शेष 15 दिन के मध्यान्ह भोजन के समतुल्य राशि संबंधित छात्र के खाते में जमा किया जाना है। शहरी क्षेत्र में टिफिन व्यवस्था तो ग्रामीण क्षेत्रों स्कूलों में भोजन तैयार करना, दोनों ही भीड़ बढने के लिए पर्याप्त है। इससे शिक्षकों का कार्य बढ जावेगा।

सूखा भोजन देने से दोनों समस्या का निदान हो जावेगा। इससे टिफिन खिलाने व खाना पकाने के झंझट और खाते में राशि जमा करने की परेशानी से बचा जा सकेगा। इस प्रकार एक माह का सूखा राशन वितरित किया जाना सर्वोचित हेागा। बचे 15 दिवस के मध्यान्ह भोजन की राशि छात्रों के पालकों के खाते में जमा किया जाना है। इसके लिए पालकों के बैंक का नाम व खाता क्रमांक मंगाया जा रहा है।

माता-पिता का खाता क्रमांक इसलिए मंगाया जा रहा है क्योंकि आरक्षित वर्ग के छात्रों को देय छात्रवृतित हेतु बैंक खाता संधारित है, अन्य के लिए नहीं है। इसलिए माता-पिता का बैंक खाता मंगाया जाकर राशि जमा किया जाना है। इसमें गड़बड़ी की भी संभावना भी बनी रहेगी। शासन की महती व जन कल्याणकारी योजना के मूल उदेश्य के तहत बच्चों को वास्तविक रूप से शुद्व भोजन प्राप्त होना की नहीं यह भी शंसय बना रहेगा क्योंकि पालक खाते में जमा राशि का उपयोग बच्चे को मध्यान्ह भोजन कराने हेतु करेगा या अन्य आवश्यक्ता की पूर्ति हेतु कर लेगा।

कोरोना काल में स्कूल में 50 प्रतिशत् उपस्थित बच्चों को एक कमरे में 15 के हिसाब से भोजन कराना उचित नहीं है। जब वैवाहिक कार्यक्रम व मृतक कर्म में कोरोना प्रोटोकाल के तहत 50 व 20 व्यक्ति की उपस्थिति सुनिश्चित करने वाली प्रशासन स्कूलों में दर्ज 200-300 छात्रों को भोजन कराना कोरोना को आमंत्रित करने के समान है। भोजन आने तक व बच्चों के खाने तक 4-5 हाथों सेहोकर गुेजरेगा। यथा टिफीन लाने वाले एन.जी.ओ., फिर उसे खोलने वाले, फिर वितरित करने वाले फिर भाोजन प्राप्त करने वाले बच्चे व भोजन उपरांत थालियां उठाने वाले बच्चे के हाथों से छात्रों को गुजरना पड़ेगा।

संध को अनेक जिला, तहसील, विकासखण्डों में मोहल्ला क्लास में छात्रों, पालकों व शिक्षकों के संक्रमित होने की शिकायतें प्राप्त हो रही थीं। इसलिए संध के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष अजय तिवारी, महामंत्री उमेश मुदलियार, संभागीय अध्यक्ष संजय शर्मा, प्रांतीय सचिव विश्वनाथ ध्रुव, दिनेश मिश्रा, रविराज पिल्ले, आलोक रामचन्द्र ताण्डी, जाधव, नरेश वाढ़ेर, डाॅ. अरूंधती परिहार, टार्जन गुप्ता, शिक्षक समिति के संयोजक ज्ञानेश झा, संगठन सचिव श्रीकांत मिश्रा, गणेश झा, आदि नेताओं ने कोरोना संक्रमण सुरक्षा की दृष्टि से टिफिन व्यवस्था वापस लेकर सूखा भोजन वितरण की मांग से की है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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