CHHATTISGARH: बीजापुर नक्सली हमले में आ रहा नंबर वन मोस्ट वांटेड हिड़मा का नाम,पहले भी बस्तर में इन वारदातों को अंजाम दे चुका है हिड़मा

Shri Mi
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बीजापुर।छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में पुलिस और नक्सलियों के बीच लगभग 4 घंटे चली मुठभेड़ में 1 दिन बाद आज सुबह शहीद जवानों की संख्या 8 होने की खबर आ रही है और वही 21 जवान लापता है ।मिली जानकारी अनुसार 31 जवानों के घायल होने की पुष्टि हुई है।जिसमें से लगभग एक दर्जन को इलाज के लिए राजधानी रायपुर भेज दिया गया है।

             
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हमले के पीछे हिड़मा का हाथ
देशभर में नक्सलियों के खूनी खेल का गढ़ कहे जाने वाले बस्तर की कमान हिड़मा के हाथों ही है। हिड़मा का पूरा नाम माड़वी हिड़मा उर्फ ईदमूल पोडियम भीमा है। माओवादियों के बीच हिड़मा एक लोकप्रिय लड़ाका माना जाता है। गुरिल्ला वार में महारत हिड़मा की काबिलियत के बूते ही उसे पिंपल लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी PLGA की बटालियन एक का कमांडर बनाया गया। बताया जा रहा है कि इस बटालियन के तहत तीन यूनिट काम करती है।हिड़मा के नेतृत्व वाली यह बटालियन सुकमा और हिड़मा सुकमा जिले के पुवर्ती गांव का रहने वाला है ।उसके तीन नाम है। माड़वी हिड़मा उर्फ़ इदमुल उर्फ़ पोडियाम भीमा है। उसकी प्रेजेंट ऑफ माइंड के चलते नक्सलियों ने उसे सीधे अपनी मिलिट्री में रख लिया था। हिड़मा ने सबसे पहले ताड़मेटला कांड को अंजाम दिया। इसके बाद उसने झीरम हमले को अंजाम दिया। दो वारदातों में ही वह करीब सौ से अधिक लोगों की जान ले चुका है। शनिवार के हमले में बटालियन नंबर 1 का साथ माओवादियों की चार प्लाटून ने भी दिया।

कौन है हिड़मा
दक्षिण पश्चिम बस्तर में लगातार नक्सली अपने हमलों और अपनी रणनीति में कामयाब हो रहे हैं। नक्सलियों के इस सफल ऑपरेशन के पीछे नक्सली नेता हिड़मा और उसके गोरिल्ला वार की जानकारी का बड़ा हाथ है । हिड़मा ही सुकमा में नक्सली गतिविधियों को संचालित कर रहा है। ऐसे में अब पूरे बस्तर में मोस्ट वांटेड की सूची में हिड़मा नाम टॉप पर है। पुलिस ने भी मोस्ट वांटेड सूची में हिड़मा का नाम नंबर एक पर रखा हुआ है।हिड़मा नक्सलियों की दंडकारण्य जोनल कमेटी का सदस्य है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शनिवार को हुए हमले में घायल जवानों के मुताबिक ज्यादातर नक्सलियों ने काली वर्दी पहनी हुई थी। पहाड़ों और पेड़ों पर छिपे ज्यादा नक्सली काली वर्दी में थे।इसके अलावा बड़ी संख्या में नक्सली ग्रामीण वेशभूषा में शामिल थे। फायरिंग की आवाज को सुनकर जवानों ने अंदाज लगाया कि वे एसएलआर, इसांस जैसी बंदूकों से फायर कर रहे थे।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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