कोरबा निजी अस्पतालों में बेहतर उपचार के नाम से मनमानी चरम पर है। शासन ने कोरोना जांच व उपचार के लिए दर तो तय कर लिया है। इसके बाद भी भारी भरकम बिल थमाया जा रहा है। जिसकी मार मरीजों के परिजनों को झेलनी पड़ रही है। आलम यह है कि पूर्व गृह मंत्री और रामपुर विधायक ननकीराम कंवर ने समस्या से निजात दिलाने मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक को पत्र लिख डाला है। जिले में कोरोना का कहर जारी है और संक्रमितों का ग्राफ दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इसकी रोकथाम के लिए प्रशासन हर संभव प्रयास कर रही है। प्रशासन की ओर से ना सिर्फ सर्वे और ट्रेसिंग का कार्य कराया जा रहा है बल्कि सरकारी अमला घर तक पहुंच कर मरीजों की पहचान कर रहा है और उन्हें दवा समेत अन्य जरूरी सामान भी उपलब्ध करा रहा है। इसके अलावा मरीजों को इलाज में किसी तरह की परेशानी ना हो इसके लिए कोविड-19 इसोलेशन सेंटर बनाए गए।
शहर के चुनिंदा निजी अस्पतालों को भी उपचार की अनुमति दी गई है। इन अस्पतालों में प्रबंधन की ओर से बेहतर सुविधा और उपचार के दावे तो किए जाते हैं। लेकिन इन दावों के बीच मरीज और उनके परिजनों की मुश्किल काम होने के बजाय बढ़ती नजर आ रही है। निजी अस्पतालों में उपचार और जमा खर्च के नाम पर भारी भरकम बिल थमाया जा रहा है। खास बात तो यह है कि आपदा की घड़ी में लोगों को इलाज के नाम पर होने वाले खर्च के कारण परेशानी ना हो इसके लिए शासन ने दर निर्धारित कर रखी है।
इस दर का भी अस्पताल प्रबंधन को परवाह नहीं है।मीडिया रिपोर्ट्स अनुसार हाल ने ही कोसाबाड़ी स्थित एक बड़े अस्पताल द्वारा मरीजों को थमाई गए बिल सोशल मीडिया में वायरल हुआ था। यह बिल देखकर लोगों को हैरान होना स्वभाविक था । खास बात तो यह है कि शहर के अस्पतालों में मची लूट के मद्देनजर ही पूर्व मंत्री और रामपुर विधायक ननकीराम कंवर को पत्राचार करना पड़ा है। उन्होंने सूबे के मुखिया भूपेश बघेल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर निजी अस्पतालों को अपने अधीन लेकर निशुल्क इलाज की मांग की है।