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NEWS & VIEWS: पॉलिटिक्स का “Bhupesh मॉडल”-सियासत में नई लकीर ख़ींचने की रणनीति…!

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(गिरिजेय)छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री Bhupesh Baghel ने गणतंत्र दिवस पर अपने संदेश के जरिए कई अहम बातें कहीं हैं। राजनीतिक नजरिए से भी यह संदेश बहुत कुछ कहता है। Bhupesh Baghel ने जिस तरह से “बात हे अभिमान के छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान के ”….. नारा दिया है, उससे समझा जा सकता है कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ में उनकी पार्टी किन मुद्दों के साथ लोगों के बीच जा रही है।Bhupesh Baghel के इस “मॉडल” के ज़रिए सियासत में एक लम्बी लक़ीर ख़ींचने की रणनीति भी नज़र आती है और देश के मौज़ूदा राजनैतिक माहौल में एक विकल्प के रूप में भी देखा जा सकता है। फ़िलहाल छत्तीसगढ़ की सियासत में “भूपेश मॉडल” की पालिटिक्स का “जवाब़ी दाँव” खोजना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती की तरह देखा जा सकता है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री Bhupesh Baghel ने गणतंत्र दिवस पर जो संदेश दिया है, उसके राजनीतिक मायने भी निकाले जा सकते हैं। अपने संदेश में उन्होंने छत्तीसगढ़ के करीब़ सभी तबके की तरक्की और सुविधाओं को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से पिछले 4 साल में किए गए कामकाज का पूरा ब्यौरा ही सामने रख दिया है। जिसमें प्रमुख रूप से आदिवासियों, किसानों, गरीबों, नौजवानों के साथ ही शिक्षा – स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की बात की गई है।

आदिवासियों की बात करते हुए उन्होंने लोहंडीगुड़ा में आदिवासियों की जमीन वापसी का भी जिक्र किया है। वहीं वनोपज की खरीदी और वन अधिकार पट्टा का भी जिक्र किया है। मुख्यमंत्री ने मिलेट की भी बात की है और इसके जरिए यह संदेश दिया है कि छत्तीसगढ़ की सरकार भविष्य को देखकर योजनाएं बना रही है। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के आयोजन, विश्व आदिवासी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश और शहीद वीर नारायण सिंह संग्रहालय जैसी पहल को भी उन्होंने शामिल किया है। बस्तर को नक्सल गढ़ की पहचान से बाहर निकालकर विकास गढ़ के रूप में नई पहचान देने की बात भी उन्होंने कहीं है।

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अपने संदेश में उन्होंने छत्तीसगढ़ के किसानों की बेहतरी के लिए धान खरीदी की दिशा में सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों का भी उल्लेख किया है । जिसमें 100 लाख मैट्रिक टन से अधिक धान खरीदी का रिकॉर्ड भी प्रदेश के किसानों के सामने रखा है। छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना जैसी पहल भी उनके संदेश में शामिल है ।

जबकि राजीव गांधी किसान न्याय योजना को लेकर भी उन्होंने बहुत सी बातें रखी। स्कूल शिक्षा और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश सरकार की ओर से लाई गई योजनाएं भी उन्होंने सामने रखी। साथ ही इलाज की सुविधा के लिए हर स्तर पर किए जा रहे प्रयासों का भी जिक्र उन्होंने किया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संदेश में ज्यादातर बातें गांव- किसान और खेती पर ही केंद्रित हैं । उन्होंने इस बात का ओर भी इशारा किया कि पिछले डेढ़ दशक में प्रदेश के लोगों की वो उम्मीदें पूरी नहीं हो सकी थी, जिसे लेकर छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ है। इसी कड़ी में उन्होंने छत्तीसगढ़ की अस्मिता- स्वाभिमान और स्वावलंबन की बात पर भी जोर दिया । उन्होंने यह नारा भी सामने रखा की “बात हे अभिमान के छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान के….”।

उन्होंने अपने संदेश में कहा कि अपनी माटी, परंपराओं और संस्कृति से जुड़ कर एकजुटता के सेतु बनाने की सीख हमारे पुरखों ने दी है। इन मूल्यों के विपरीत चलने का खामियाजा पहले भी बहुत भुगत चुके हैं। लिहाजा छत्तीसगढ़िया अस्मिता, स्वाभिमान और स्वावलंबन की अलख़ जगाने के लिए छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा स्थापित की जा रही है। जो जाति – धर्म – संप्रदाय से ऊपर उठकर छत्तीसगढ़ियत के आदर्शों का विस्तार करेगी। छत्तीसगढ़ राज्य का सौभाग्य है कि इसके नाम के साथ महतारी शब्द जुड़ता है। जो मातृशक्ति के प्रति गहरी आस्था का प्रतीक है। Bhupesh Baghel ने सार्वजनिक आयोजनों में छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा, उनके चित्र, राज गीत, राजकीय प्रतीक छत्तीसगढ़िया गमछा, बोरे – बासी और छत्तीसगढ़िया खानपान पर विशेष ध्यान रखने की बात भी कही है।

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छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण खेलों के प्रति चेतना जगाने और आपसी सद्भाव को मजबूत बनाने में इससे कामयाबी मिली है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि छत्तीसगढ़ मॉडल से प्रदेश में जीवन स्तर को ऊंचा उठाने, समृद्धि, खुशहाली और स्वावलंबन की दिशा में उपलब्धियां मिल रही हैं। वह अभी शुरुआती दौर में ही है। इसके बहुत ऊंचाइयों पर जाने की संभावना है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सबके सहयोग ,समर्थन और भरोसे की पूंजी से छत्तीसगढ़ को देश का सबसे समृद्ध और सबसे खुशहाल राज्य बनाने में हम कामयाब होंगे।

मुख्यमंत्री के संदेश से इस ओर भी इशारा मिलता है कि छत्तीसगढ़ी अस्मिता- स्वाभिमान का मुद्दा भी अहम् हो गया है। इस संदेश के ज़रिए यह समझने की भी कोशिश हो रही है कि … मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी कांग्रेस किन मुद्दों को लेकर छत्तीसगढ़ के लोगों के बीच जाने की तैयारी में हैं।छत्तीसगढ़ के तीज-त्यौहारों में हिस्सेदारी से लेकर छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के आयोजन तक पिछले चार साल में आम लोगों के बीच इस मुद्दे की चर्चा भी बनी है और एक तरह से माहौल भी बना है। इस मुद्दे की ख़ासियत यह भी है कि इसके ज़रिए लोगों को जोड़ने की बात हो रही है।जाति – धर्म -संप्रदाय से ऊपर उठकर छत्तीसगढ़ियत के आदर्श की बात सीएम Bhupesh Baghel ने अपने गणतंत्र दिवस संदेश में भी कही है ।

देश की मौज़ूदा राजनीति के हिसाब से देखें तो एक नई लक़ीर ख़ींचने की दिशा में भूपेश बघेल सधे हुए कदमों से आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। जिसे सामने रखकर बीजेपी की राजनीति का जवाब दिया जा सकता है। यह एक तरह से कांग्रेस नेता राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा के मकसद से भी जुड़ी दिखाई दे रही है।जिसमें नफ़रत के लिए कोई जगह नहीं है और अस्मिता – स्वाभिमान को जगाने की बात भी हो रही है। इस मायने में छत्तीसगढ़ की सियासत में एक नया पन्ना जुड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। इस सियासत की बुनियाद पर चुनाव के साल में कांग्रेस छत्तीसगढ़ के लोगों तक यह संदेश भी पहुंचाने की कोशिश कर रही है कि छत्तीसगढ़ियत के रास्ते तरक़्क़ी की मंज़िल हासिल की जा सकती है। कम – से – कम छत्तीसगढ़ की सियासत में तो भूपेश बघेल के इस “मॉडल” के जवाब की तलाश, बीजेपी के लिए एक चुनौती के रूप में देखी जा सकती है….।

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