टीका नही..मास्क नहीं..बीमा भी नही..और नाम रख दिया फ्रंटलाइनर..गुरूजी लोगों ने जताई गहरी नाराजगी..पालकों ने कहा.स्थगित हो12 की परीक्षा

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर–ताजा खबरों के लिए हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े,यहा क्लिक करे कोरोना संक्रमण बढ़ते ही जा रहा हैं। स्थिति देखते हुए प्रशासन चाक की तरफ से चौबंद व्यवस्था है। हमेशा की तरह स्कूल शिक्षा विभाग से बड़ी संख्या में शिक्षकों की ड्यूटी टीकाकरण केंद्रों में लगा दी गयी है। लेकिन उचित सुरक्षा व्ववस्था नहीं होने से शिक्षकों की तरफ से गहरी नाराजगी सामने आने लगी है। कोरोना संक्रमण काल में शिक्षकों को सभी केंद्रों में पंजीयन और एप में मोबाइल एंट्री का काम दिया गया है। स्वास्थ विभाग के अमले से भी ज्यादा स्कूल शिक्षा विभाग के अमले का उपयोग कोरोना काल में किया जा रहा है। संकुल समन्वयक, संकुल प्रभारी, व्याख्याता, प्राचार्य शिक्षक, सहायक शिक्षक क्लर्क और चपरासी के साथ ही स्वीपर की ड्यूटी भी लगाई गयी है। इसी तरह महिला बाल विकास विभाग से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सुपरवाइजर की ड्यूटी  लगाई गई है।
 
              शिक्षकों की टीम बनाकर  कोरोना क्षेत्र में कांटेक्ट ट्रेसिंग का भी काम लिया जा रहा है, रेलवे स्टेशन मजदूरों की वापसी से लेकर सीमा क्षेत्र में नाकेबंदी में भी गुरुजी लोगो को घसीटा जा रहा है।  मजदूरों की व्यवस्था से लेकर क्वॉरेंटाइन केंद्रों में हर जगह गुरूजी लोगों को तैनात किया जा रहा है। लेकिन अब चुपचाप रहने वाले गुरूजी लोगों का आक्रोश भी धीरे सामने आने लगा है। 
 
सुविधाओं के नाम पर बड़ी बड़ी बातें
 
        कोरोना से हर जगह दो दो हाथ कर रहे कुछ शिक्षकों ने बताया कि जब मूलभूत सुविधाओ की बारी आती है तो राष्ट्र निर्माता शिक्षक की हालत दयनीय हो जाती है..सरकार हाथ खड़ा कर देती है। शिक्षक अपने घर से टिफिन लेकर आता हैं, मास्क सेनेडाइजर का खर्च खुद वहन करता है। जबकि सबको मालूम होना चाहिए कि कोरोना काल में किसी कर्मचारी को अतिरिक्त भत्ता मिलता हो या नहीं। लेकिन शिक्षा विभाग शिक्षकों अतिरिक्त भत्ता तो देना दूर की बात है बल्कि सेनेटाइजर का भी प्रबंध नहीं करता है।
 
            शिक्षक ने बताया कि ड्यूटी लगाते समय कोरोना वारियर्स के रूप में हवा भर दिया जाता है। इसके बाद स्वनाम धन्य बड़े बड़े अधिकारी शिक्षकों के साथ ना केवल भेदभाव करते हैं..बल्कि कोल्हू की बैल की तरह काम पर काम लेते हैं। लेकिन शिक्षक ऊं से आह तक नहीं बोलता है।
 
फ्रंटलाइनर का तमगा
 
              शिक्षक ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा सरकार ने एलान किया कि सबसे पहले फ्रन्टलाइन वर्कर को वैक्सीन लगाया जाएगा। लेकिन यहां भी वरियता होने के बाद भी टीका लगवाने को लेकर शिक्षकों जद्दोजहद से गुजरना पड़ा। वही जब कोविन ऐप में पंजीयन के लिए ड्यूटी लगाने को लेकर बात सामने आयी तो यहा भी सबसे पहले फ्रंट लाइनर का तमगा लगाकर अधिकारियों ने शिक्षकों को आगे कर दिया। यह भी नहीं  पूछा गया कि किसी शिक्षक ने टीका लगवाया है। इससे यह जाहिर होता है कि अधिकारियों ने मान लिया है कि शिक्षक राष्ट्रनिर्माता राष्ट्र बिगाडने वाला तत्व है। यही कारण है कि बिना टीका करवाए ही शिक्षकों को कोरोना संक्रमितों के बीच मरीजों के पंजीयन कराने के नाम पर मौत के मुंह में झोंक दिया है। नाराज शिक्षक ने कहा कि इस बात की जितनी निंदा की जाए कम है। 
 
दूसरे जन्म में शिक्षक नहीं बनूंगा
 
              कोरोना वैक्सीनेशन केन्द्र में पंजीयन कर रहे एक वरिष्ठ शिक्षक ने कहा कि भगवान से मनाउंगा कि उसका जन्म दूसरा जन्म भारत में ही हो…लेकिन नौकरी मास्टर की ना हो।
 
                           पंजीयन बूथ पर तैनात शिक्षक ने बताया कि प्रशासन से हमारी बस इतनी से मांग है कि कोविड-19 में ड्यूटी करने वाले प्रत्येक कर्मी को अनिवार्य रूप से वैक्सिनेशन  किया जाय। शिक्षकों का बीमा कराने के साथ उसकी मूलभूत जरुरतो को गंभीरता से लिया जाए।
 
फोड़ रहे मूंगफली..तोड़ रहे कुर्सी
 
          शिक्षक की शिकायत और अन्य परेशानियों को लेकर जब विभाग के आला अधिकारियों से जानने का प्रयास किया तो अधिकारी ने गोल मोल जवाब दिया। विभाग के अधिकारी  ने बताया कि जिला और स्थानीय प्रशासन को संतुलन बनाकर  कार्य लेना  चाहिए। हर कार्य में गुरुजी की ड्यूटी लगाना ठीक नही है। शिक्षकों की भर्ती  शिक्षा संबंधी कार्यों के लिए है। स्थानीय स्तर पर प्रशासन ने शिक्षकों पर दबाव बनाकर ड्यूटी लगाई जा रही है । ऐसा किया जाना उचित नहीं है। जबकि अन्य विभाग के कर्मचारी ऑफिस फल्ली फोड़ते दिन भर बैठे रहते है।, प्रशासन को चिन्हित कर सबसे ड्यूटी ली जानी चाहिए।
 
12 वी बोर्ड परीक्षा पर संशय
 
      सीबीएसई की कक्षा दसवीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। छत्तीसगढ़  माध्यमिक शिक्षा मंडल ने 15 अप्रैल से दसवीं की परीक्षाओं को स्थगित कर दिया है। लेकिन 12वीं बोर्ड की 3 मई से आयोजित परीक्षाओं को लेकर संशय अभी भी बरकरार है। वहीं  कोरोना संक्रमण के  दिन-ब-दिन  बढ़ते मामलों को देखते हुए विद्यार्थियों और पालकों  ने मांग की है कि सरकार 3 मई से 12 वी  बोर्ड की परीक्षा को लेकर जल्द से जल्द स्थगन का फरमान जारी करे। 
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