हाथ में फूटी कौड़ी भी नहीं.. कैसे दिवाली मनाएगा उनका परिवार….? राज्योत्सव की चकाचौंध के बीच अपना हक़ मांगने सड़क पर उतरीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता / सहायिका

Chief Editor
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बिलासपुर । छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ जिला शाखा – बिलासपुर की ओर से सोमवार को जिला स्तरीय वादा निभाओ ध्यानाकर्ष़ण धरना प्रदर्शन किया गया । तखतपुर, कोटा ,सकरी, बिलासपुर, बिल्हा ,मस्तूरी सरकंडा सीपत परियोजना के कार्यकर्ता सहायिका लगभग 1500 की संख्या में नेहरू चौक विकास भवन के सामने धरना प्रदर्शन में शामिल हुए । एक तरफ़ जहाँ राज्योत्सव पर गाज़े-बाज़े के साथ रंगारंग कार्यक्रम आयोज़ित हो रहे हैं, वहीं गाँव-गाँव स्तर पर काम करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओँ ने स्थापना दिवस पर सड़क पर आकर अपनी हालत बयाँ की । दिवाली मनाने के लिए ज़िनके पास कुछ भी नहीं है।
पूर्व सांसद लखन लाल साहू धरना स्थल पहुंचकर जन घोषणा पत्र को लागू करने सहित आठ सूत्रीय मांगों को तत्काल पूरा करने समर्थन व्यक्त करते हुए जब जहां आवश्यकता हो सहयोग प्रदान करने आश्वस्त किया। चन्द्रशेखर पाण्डेय संभागीय संयोजक व आर पी शर्मा जिला संयोजक ने भी सभा को संबोधित करते हुए राज्य सरकार से सभी मांगें को पूरा करने कहा। छत्तीसगढ़ से कुपोषण को दूर भगाने, बच्चों को शाला पूर्व अनौपचारिक शिक्षा देने, गर्भवती माताओं एवं शिशु को टीकाकरण करने, कोविड-19 की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए निर्वाचन संबंधी भी बेहद जरूरी काम करने वाली आंगनबाड़ीकर्मियों को अब तक सरकार की तरफ से मनमाफिक राहत नहीं मिली है। गुहार तो वे बार-बार, हर-बार लगा ही रही हैं। यही कारण है कि आज फिर बिलासपुर में छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायता संघ (पंजीयन क्रमांक 409) के द्वारा विशाल रैली एवं धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया । इस आंदोलन में नियमितीकरण समेत तमाम मांगों को रखा जा रहा है।

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संघ की प्रांताध्यक्ष सरिता पाठक ने जानकारी दी है कि इस वृहद आंदोलन के साथ-साथ अपनी मांगों को पत्र के जरिए केंद्र सरकार तक भी पहुंचाने जा रही हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी समेत तमाम संबंधित स्थानों को पत्र लिखकर अपनी मांगे रखी थी। सरिता पाठक ने अपने पत्र में कोरोना फ्रंट वारियर्स के रूप में काम करने वाली आंगनबाड़ी कर्मियों को 50 लाख रुपए बीमा योजना का लाभ दिए जाने का आग्रह भी किया था। । छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव और महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव को भी जारी करते हुए क्रियान्वयन करने कहा है। भारत सरकार के पत्र में स्पष्ट बताया गया है कि बीमा योजना के अलावा और किन-किन केंद्रीय योजनाओं के अंतर्गत आंगनबाड़ीकर्मियों और इसी स्तर की दूसरी मानसेवी कर्मियों को लाभ दिया जा सकता है। वास्तव में सरिता पाठक के पत्र लिखने के बाद केंद्र सरकार ने ना केवल छत्तीसगढ़ बल्कि देश के सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में काम करने वाली मानदेयी कर्मचारी को दी जाने वाली सुविधाओं के प्रति अपनी स्थिति और दृष्टिकोण स्पष्ट कर दिया। लेकिन उनके क्रियान्वयन के स्तर पर राज्यों में रुकावटें अब तक हैं। दरअसल अभी वर्तमान में आंगनबाड़ीकर्मियों में जो मायूसी और आक्रोश देखा जा रहा है, वह मौजूदा कारणों को लेकर है।
छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ से जुड़ी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने प्रांताध्यक्ष सरिता पाठक की अगुवाई में सभी जिलों में अपनी तमाम मांगों को लेकर आंदोलन किया और एक दिवसीय प्रदेश स्तरीय विशाल धरना रैली बुढ़ा तालाब स्पोर्ट् क्लब मैदान के सामने किया। सरकार से मांगो की पूर्ति हेतु अभी तक कोई चर्चा या आश्वासन नहीं मिला है।
अब आक्रोश और हताशा इसलिए है, क्योंकि छत्तीसगढ़ सरकार चुनाव पूर्व प्रदेश व्यापी दौरा कर जन घोषणा पत्र के लिए भीड़ इकट्ठा करने आम लोगों सहित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाओं को बुलाकर आश्वासन दिया था कि हमारी सरकार बनने के बाद नर्सरी शिक्षिका का दर्जा और कलेक्टर दर पर मानदेय दिया जाएगा। आज तीन साल इस सरकार की पूरी होने को है , ना तो केन्द्र द्वारा बढ़ाया गया मानदेय का नौ माह का एरियर्स दिया है न ही अपने जनघोषणा पत्र को लागू किया है। अभी हालात ऐसे हैं कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इस माह का मानदेय भी नहीं मिला है और इधर दीवाली जैसा प्रमुख त्यौहार सामने है। आंगनबाड़ीकर्मी नौ महीने का एरियर्स और जन घोषणा पत्र को लागू कर एकमुश्त मानदेय मिल जाने से दीपावली त्यौहार को धूमधाम से मनाने की चाह रखी थी, लेकिन उनके हाथ में फिलहाल फूटी-कौड़ी नहीं है। और यही हाल उन स्व-सहायता समूहों की महिलाओं की भी है, जो पिछले कई माह से किराने की दुकान से उधारी ले-लेकर कुपोषण दूर करने के लिए गर्म भोजन बांट रही हैं, उन्हें भी चवन्नी नही मिली है। उनके पास किराने के कर्ज चुकाने के लिए पैसे हैं, न दीपावली मनाने के लिए। जाहिर है, ऐसे में आंगनबाड़ीकर्मियों और स्व-सहायता समूहों में मायूसी और हताशा आएगी ही। इन परिस्थितियों के बावजूद भी आंगनबाड़ीकर्मियों को बीएलओ के रूप में हर दिन नए-नए फरमान दिए जा रहे हैं। उनसे पर्याप्त काम लिया जा रहा है। लेकिन आंगनबाड़ीकर्मियों का आरोप है कि उनकी 8 सूत्रीय मांगों और आवश्यकताओं पर सरकार बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही है।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि पिछले कई सालों से यूनिफॉर्म का वितरण नहीं किया गया था। इसके लिए भी कई बार मांग की गई। अभी दीवाली से ठीक पहले कुछ जिलों में जख्मों पर मरहम लगाने के अंदाज में आंगनबाड़ीकर्मियों को यूनिफॉर्म के रूप में साड़ियों का वितरण किया जा रहा है। लेकिन वे साड़ियां जख्मों पर मरहम नहीं, बल्कि ज़ख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रही हैं। कारण यह कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे साड़ियां बिल्कुल गुणवत्ताविहीन हैं और यूनिफार्म के रूप में पहनने लायक नहीं हैं। इसी तरह, आंगनबाड़ीकर्मियों को मोबाइल पर गरूड़ ऐप्प डाउनलोड करके इलेक्शन से संबंधित काम करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। उन्हीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर पोषण ट्रैकर ऐप्प मोबाइल में डाउनलोड करके आंगनबाड़ी केंद्र से संबंधित कार्यों के डाटा अपलोड करने का भी दबाव बनाया जा रहा है, हाईकोर्ट से सरकारी कार्य के लिए सम्मान निधि की राशि से मोबाइल फोन क्रय कर डाटा रिचार्ज नहीं करा सकते यदि मोबाइल से काम कराना है तो उचित व्यवस्था सरकार को करना है मानदेय कटौती आदेश वापस लेने को कहा गया। । लेकिन विभाग की तरफ से अभी तक मोबाइल का वितरण नहीं किया गया है। मोबाइल वितरण नहीं किया गया है न ही मोबाइल नेट रिचार्ज न ही मोबाइल भत्ता दिया गया है। और बार सुपरवाइज़र परियोजना अधिकारी जिला कार्यक्रम अधिकारी के द्वारा मोबाइल एप्प में काम करने मजबूर किया जा रहा है।बेबस लाचार दुखी कार्यकर्ता सहायिका को सरकारी फरमान आंदोलन के लिए बाध्य किया जा रहा है।

राज्योत्सव में कलाकारों, मंत्री-नेताओं के नाच-गान-वादन की गूंज और भव्य आयोजन की चमचमाती रोशनी की चमक उनके घरों तक भी पहुंच ही रही है, मायूस ही सही पर वे भी अपने राज्योत्सव के उजाले से ही अपने घर को रोशन समझ लेंगी और आज के बाद अगले आंदोलन 13 नवम्बर संभाग स्तर पर कोरबा, बिलासपुर, रायगढ़, जांजगीर चांपा, मुंगेली व गौरेला पेंड्रा मरवाही के संयुक्त तत्वावधान में बिलासपुर संभाग मुख्यालय में निश्चित है, और 10-15 दिसम्बर प्रांतीय स्तर की रात-दिन करने तैयारी पूरी कर ली गयी है । इसके बाद भी राज्य सरकार मांगो पर गंभीरता पूर्वक विचार कर सभी जायज मांगो को पूरा करने घोषणा नहीं करती तो प्रदेश के सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता सहायिकाओ को दिल्ली जाकर धरना रैली प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, महिला बाल विकास मंत्री के नाम ज्ञापन सौपा जाएगा ।बाकी हर दिन कुपोषणमुक्ति संबंधी काम, गरम भोजन का वितरण, कोविड का टीकाकरण और बीएलओ की ड्यूटी आदि तमाम जद्दोजहद उनकी नियति में लिख ही दी गई है।
धरना स्थल पर तहसीलदार बिलासपुर द्वारा ज्ञापन लिया गया। प्रमुख मांगों में – शिक्षाकर्मी के समान शासकीय कर्मचारी घोषित करने मध्य प्रदेश के समान मानदेय जन घोषणा पत्र को लागू करने 100%वरिष्ठता क्रम में सहायिका से कार्यकर्ता कार्यकर्ता से पर्यवेक्षक पद पर पदोन्नति देने सेवा निवृत्त पर निश्चित मासिक पेंशन ग्रेच्युटी समूह बीमा योजना लागू करने मिनी आंगनबाड़ी केन्द्र को पूर्ण आंगनबाड़ी में सम्मिलित करने मोबाइल, मोबाईल डाटा रिचार्ज, मोबाईल भत्ता। सेवा के दौरान असामयिक मृत्यु होने पर परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति देने।
धरना प्रदर्शन में चन्द्रशेखर पाण्डेय संभागीय संयोजक, आर पी शर्मा जिला संयोजक ,भारती मिश्रा जिला अध्यक्ष ,मंजू मेश्राम अध्यक्ष बिलासपुर परियोजना, मीना साहू अध्यक्ष सकरी परियोजना ,सुचिता शर्मा अध्यक्ष तखतपुर परियोजना, ललिता यादव सचिव कोटा परियोजना ,नीतू सोमावार ,शाकिरा खान ,अंजनी वैष्णव, नीता हुमने ,सीमा चौहान ,अनिता मानिकपुरी, चंदा ठाकुर, शशि रावत, मनीषा चौधरी ,विमला मिश्रा ,नीलमदेवी कुशवाहा, सुनीता साहू सहित सैकड़ों की संख्या सदस्य उपस्थित रहे ।

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