रायपुर। छत्तीसगढ़ में अब डीएमएफ की कमान जिला कलेक्टर के हाथों में होगी। छत्तीसगढ़ सरकार ने जिले के प्रभारी मंत्री को डीएमएस की शासी परिषद के अध्यक्ष की जिम्मेदारी देने के संबंध में केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चिट्ठी लिखकर साफ कर दिया है कि जिले के प्रशासनिक प्रमुख ही डीएमएफ के अध्यक्ष होंगे।
केंद्रीय संसदीय कार्य कोयला एवं खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम इस तरह की चिट्ठी भेजी है। जिसमें उन्होंने लिखा है कि डीएमएफ के गठन संबंधी पिछले 2 जून को लिखे गए पत्र में डीएमएस की शासी परिषद के अध्यक्ष के रूप में जिले के प्रभारी मंत्री को अनुमति देने का अनुरोध किया गया था। खान मंत्रालय की ओर से पिछले 23 अप्रैल को जारी इस तरह के आदेश में संशोधन का अनुरोध इस पत्र में किया गया था। श्री जोशी ने लिखा है कि खान मंत्रालय ने यह निर्देश देते हुए 23 अप्रैल को आदेश जारी किया था कि जिले के प्रशासनिक प्रमुख डीएमएफ़ के अध्यक्ष के रूप में कार्य करेंगे। जिले में खनन प्रभावित क्षेत्रों के चयनित प्रतिनिधियों को डीएमएस के उद्योगों उद्देश्यों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए देश के सभी खनन प्रभावित जिलों में शासी परिषद के सदस्यों के रूप में शामिल किया जाएगा। इससे डीएमएफ के अंतर्गत निधि का सुचारू प्रबंधन सुनिश्चित होगा और डीएमएफ के अंतर्गत परियोजनाओं के निष्पादन में जनप्रतिनिधियों की समस्याओं का समाधान भी होगा। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि 23 अप्रैल के आदेश का शीघ्र क्रियान्वयन करने के निर्देश दें
। केंद्रीय मंत्री के इस पत्र के बाद अब स्पष्ट हो गया है कि जिलों में डीएमएफ पर प्रभारी मंत्रियों का नियंत्रण नहीं रह सकेगा। इसकी कमान जिला कलेक्टरों के हाथ में होगी। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार के इस रुख से जिले के प्रभारी मंत्रियों को बड़ा झटका लगा है। वैसे भी कोरोना का काल के दौर में डीएमएफ में ही फंड नजर आ रहा है। जिस पर प्रभारी मंत्रियों की सीधी दखल नहीं हो सकेगी।