अब संकल्प में पढ़ेंगे पहाड़ी कोरवा और बिरहोर जनजाति के 20 बच्चे,जशपुर कलेक्टर की अभिनव पहल

Chief Editor
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जशपुर नगर । जिला प्रशासन द्वारा कलेक्टर के मार्गदर्शन में संचालित संकल्प शिक्षण संस्थान ने शिक्षा के क्षेत्र में राज्य में अपनी पृथक पहचान बनाकर सफलता का परचम लहराया है।
वहीं अब कलेक्टर रितेश कुमार अग्रवाल की सोच एवं पहल पर संकल्प शिक्षण संस्थान वह करने जा रहा है जो शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा। शैक्षणिक सत्र 2022-23 में संकल्प शिक्षण संस्थान में जिले की विशिष्टतः असुरक्षित जनजातीय समूह (Particularly Vulnerable Tribal Groups) पहाड़ी कोरवा एवं बिरहोर जनजाति के 20 बालक, बालिकाओं को कक्षा 9 वीं में प्रवेश दिया जायेगा। इन बच्चों की पृथक से एक कक्षा संचालित की जायेगी और इन्हें गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान कर छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल द्वारा आयोजित 10 वीं एवं 12 वीं बोर्ड परीक्षा की प्रावीण्य सूची में लाने की पहल की जायेगी। साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं जे.ई.ई./नीट की तैयारी कराई जायेगी। आगामी चार वर्षों में इन चयनित 20 बच्चों को हरसंभव बेहतर शिक्षा देकर उन्हें अच्छी उच्च शिक्षा के लिए तैयार किया जाएगा। इन सभी बच्चों को आवास/ भोजन एवं अन्य सभी सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध कराई जायेगी।

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इस बारे में परियोजना प्रशासक बी के राजपूत ने जानकारी दी है कि कलेक्टर के निर्देश पर संकल्प द्वारा एक नवाचार के रूप में पहाड़ी कोरवा एवं बिरहोर जनजातीय समुदाय के बच्चों को संकल्प में आवासीय सुविधा प्रदान कर कक्षा 9 वीं में प्रवेश देने की योजना बनाई गई है। संकल्प के प्राचार्य विनोद कुमार गुप्ता ने भी संकल्प के समस्त स्टॉफ के साथ संकल्पित होकर हर संभव प्रयास कर इन बच्चों को माध्यमिक शिक्षा मण्डल की बोर्ड परीक्षा की प्रावीण्य सूची में स्थान दिलाने एवं जे.ई.ई./नीट की परीक्षा में सफलता दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ने की बात कही है।
अब वो दिन दूर नहीं जब जिले का कोई पहाड़ी कोरवा, बिरहोर जनजाति का विद्यार्थी भी बोर्ड परीक्षा की प्रावीण्य सूची में स्थान प्राप्त करेगा और देश के किसी प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग महाविद्यालय या चिकित्सा महाविद्यालय में अध्ययन करेगा ।भविष्य में जिले को सौगात के रूप में इन समुदाय के बच्चे भी इंजीनियर और डॉक्टर बन कर अपनी सेवाएं दे सकेंगे। कलेक्टर के द्वारा अभिनव पहल का दूरगामी और सुखद परिणाम निशिचत रूप से देखने को मिलेगा तथा इन समुदायों के विकास का मार्ग भी इन बच्चों के माध्यम से प्रशस्त होगा।

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