नई दिल्ली-कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट ने यूके में एक शख्स की जान ले ली है. वहां के प्रधानमंत्री बोरिश जॉनसन ने खुद इसकी पुष्टि की है. इसके साथ ही ओमिक्रॉन के हल्केपन का अंदाजा लगा रहे डॉक्टरों और वैज्ञानिकों की भी नींद उड़ गई है. ओमिक्रॉन से मौत की खबर से भारत समेत दुनिया के कई देश अलर्ट मोड़ पर आ गए हैं. वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने ओमिक्रॉन को लेकर चेतावनी जारी की है. WHO ने कहा है 9 दिसंबर तक ओमिक्रॉन 63 देशों को अपनी चपेट में ले चुका है. इसके साथ ही साउथ अफ्रीका में इसको तेजी से फैलने वाले वैरिएंट के रूप नोटिस किया गया है. जबकि यहां पर डेल्टा का प्रभाव काफी कम देखा गया था.
शुरुआती दौर में नया वेरिएंट गंभीर लक्षण पैदा नहीं करता
WHO ने कहा कि ओमिक्रॉन संक्रमण के खिलाफ कोरोना वैक्सीन की प्रभावशीलता को कम करता है. जबकि मौजूदा आंकड़े बताते हैं कि कम्यूनिटी ट्रांसमिशन के मामले में ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा को पीछे छोड़ सकता है. WHO ने कहा कि शुरुआती दौर में नया वेरिएंट गंभीर लक्षण पैदा नहीं करता, लेकिन इसके नतीजे डराने वाले हो सकते हैं. आपको बता दें कि ओमिक्रॉन पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी टेंशन बनता जा रहा है. भारत की अगर बात करें तो यहां ओमिक्रॉन के 40 मामले सामने आ चुके हैं. भारत के महाराष्ट्र राज्य में ओमिक्रॉन के अब सबसे ज्यादा 20 केस मिले हैं. डॉक्टरों की मानें तो ओमिक्रॉन इतनी ज्यादा बार म्यूटेट कर चुका है कि बॉडी का इम्यून सिस्टम इसको पहचान नहीं पाता, जिसका फायदा उठाकर यह शरीर में प्रवेश कर जाता है.
कैसे होती है पहचान?
डॉक्टरों के अनुसार डेटा समेत कोरोना वायरस के अन्य वेरिएंट के मुकाबले ओमिक्रॉन की पहचान करना थोड़ा मुश्किल है. इसकी वजह नए वेरिएंट जल्दी-जल्दी म्यूटेट करना है. जबकि कोरोना के दूसरे वेरिएंट केवल आरटीपीसीआर टेस्ट में ही क्लियर हो जाते हैं. ओमिक्रॉन की पहचान करने के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट को लैब में जीनोम सिक्वेसिंग के लिए भेजा जाता है, जिसमें इसका इसका आरएनए अलग किया जाता है. आरएनए के आधार पर ओमिक्रॉन का पता लगाने की प्रक्रिया अपनाई जाती है.