बिलासपुर की पुरानी तासीर को फ़िर ज़िंदा कर गई एक शाम..जब आचार्य वाजपेयी की कविताओं को लोगों ने उठा लिया हाथों हाथ ….

Chief Editor
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बिलासपुर । शहर में बने लख़ीराम ऑडिटोरियम की सार्थकता बुधवार की शाम उस समय साब़ित हो गई , जब कवि और अटलबिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर के कुलपति आचार्य ए डी एन बाजपेयी का कविता पाठ सुनने पूरा हाल ख़चाख़च भर गया ….। और लोगों को बैठने की ज़गह नहीं मिल पाई।लिहाज़ा कुछ लोग बाहर से ही कविताएं सुनते रहे…। इस ऑटोरियम के बनने के बाद से आयोजन तो बहुत से हुए होंगे और भीड़ भी वहां पहुंची होगी। लेकिन श्लोक – ध्वनि फाउंडेशन के इस आयोजन ने एक बार फ़िर यह साबित किया है कि संस्कृति- साहित्य और कविताओं से लगाव रखने वाले बिलासपुर शहर में अब भी इसकी जड़ें काफ़ी मज़बूत हैं….। और यह सिलसिला आगे भी ज़ारी रहेगा…।  

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श्लोक ध्वनि फाउंडेशन के द्वारा कवि आचार्य ए डी एन वाजपेयी का एकल काव्य पाठ का आयोजन किया गया। इस अनूठे आयोजन में शहर के प्रबुद्ध साहित्यकार,समाजसेवी छात्र एवं आम जनों ने अपनी सकारात्मक उपस्थिति दी।

वर्तमान में आचार्य ए डीएन वाजपेयी बिलासपुर के अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविधालय के कुलपति हैं और कवि रूप में उनका परिचय कराने वाले इस कार्यक्रम को शहरवासियों ने हाथों हाथ लिया।

कवि ने सरस्वती वंदना और कवि की परिभाषा से कविता पाठ प्रारंभ किया।फिर अपने अनूठे अंदाज़…. कुछ मनमोहक मुक्तकों से दर्शको से जुड़े।फिर तरन्नुम से कुछ ग़ज़लों का पाठ किया । जिसे भरपूर वाह वाही मिली। उनके कुछ शेरों पर खूब दाद उठी जो थे-

ये माना कि जल्दी बहकते नहीं हैं,

बहक जाएं तो फिर संभलते नहीं हैं।।

लोग परीशां हैं मेरे हुनर ओ फन के शोहरत से,

मगर मैं खाली हूँ कोई खासियत नहीं।

हम दीवाने तो बादल की तरह जीते हैं,

जिनके हर रोज मुआमात बदल जाते हैं।

हम ऐसे दिए हैं जो दिल मे जले हैं,

मीनारों पे गुम्बद जलते नहीं हैं।।

अरुण ये खेल हार जाने में है ग़म ज़्यादा,

और बाजी जीत जाने में है खुशी ज्यादा।।

ये तन्हाई ये रुसवाई ये पशेमानी ये परेशानी,

सभी सहते हुए बनता बिना सहते  हुए नहीं बनता।।

इसके बाद उन्होंने गीत पढ़े ।  जिसमें देशभक्ति- दर्शन और कई भावों  का समावेश था।कुछ गीतों को खूब पसंद किया गया।

जिसमें ….भारत का भास्कर मुस्काते हम देखेंगे….

नभ में उड़ते जाना पंक्षी..

इतना ज्यादा बरस न बादल मेरा आंगन छोटा है…

मेरा एकाकीपन मत छीनो…

बियाबां में बहार आएं ये ताज्जुब नहीं तो क्या…

.जाने क्यों हलचल होती है….

मुख्य अतिथि जस्टिस टी पी शर्मा प्रमुख लोकायुक्त छतीसगढ़ ने कहा कि आचार्य वाजपेयी ने देश के स्वर को रचा है । कार्यक्रम के मुख्य आयोजक सुमित शर्मा एवं श्री कुमार पांडेय ने ऐसे अनूठे और सफल आयोजन को शहर में साहित्य का नया अध्याय का प्रारंभ बताया ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार ने कहा कि आज साहित्य और शिक्षा का संगम हुआ है…समाज के निर्माण में दोनों का अमूल्य योगदान है..

प्रमुख वक्ता नर्मदा प्रसाद मिश्र वरिष्ठ साहित्यकार रायपुर ने कहा कि उनका  साहित्यिक अनुदान समाज को दिशा दिखाने वाला ….निर्बल को बल देने वाला….हारे हुए को साहस देने वाला भगीरथ प्रयास है।.

कार्यक्रम का सफल संचालन विवेक जोगलेकर ने किया। कार्यक्रम में रामकुमार तिवारी, द्वारिका प्रसाद अग्रवाल,केवल कृष्ण पाठक,राघवेंद्र धर दीवान, राशमिलता मिश्र,सुधीर शर्मा,राजा शर्मा,प्रदीप शर्मा,तरुण धर दीवान,पूर्णिमा तिवारी,राजेन्द्र मौर्य,रितेश नायडू,राजा शर्मा,सौमित्र तिवारी,एच एस होता,विकास राजपूत,विकास शर्मा,शिव सिंह, धीरेंद्र महराना,ज्योति दुबे,पूजा पाण्डेय आदि लोगों ने अपनी उपस्थिति दी।

इस कार्यक्रम ने अरसे बाद बिलासपुर शहर की पुरानी तासीर की फ़िर से याद दिला दी। जो भी यहां मौज़ूद था, वह एक खूब़सूरत शाम की यादों के साथ ही यह उम्मीद लेकर भी लौटा है कि बिलासपुर में बना यह ऑडिटोरियम ऐसे ही आयोजनों से गुलज़ार रहना चाहिए। ऐसे आयोजन होंगे तो क़द्रदानों का यह शहर रचनाकारों की रचनाओं को हाथों- हाथ उठाने में कभी पीछे नहीं रहेगा…।

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