सत्या पॉवर प्लान्ट विस्तार का विरोध..बैठक में ग्रामीणों ने कहा..जिन्दगी का फैसला हम करेंगे.. कौन होते हैं नेता और सरपंच..जनसुनवाई में देंगे जवाब

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर–गतौरी स्थित  सत्या पॉवर प्लान्ट विस्तीर की जनसुनवाई सात जुलाई को होगी। पॉवर प्लान्ट विस्तार एलान  के बाद ग्रामीणों में भयंकर आक्रोश है। जगह जगह बैठक कर ग्रामीण अपनी नाराजगी को जाहिर कर रहे हैं। दिलीप अग्रवाल की अगुवाई में ग्रामीणों ने फैसला किया है कि जनसुनवाई के दौरान सत्या पावर प्लान्ट विस्तार का भरपूर विरोध किया जाएगा। यह गांव किसी पूंजीपति का नहीं है। जमीन हमारी है..जाहिर सी बात है कि इसका दर्ज  हमें ही भोगना पड़ रहा है। हम पावर प्लान्ट की गदन्गी में जीने के लिए हरगिज मजबूर नहीं है। सरपंच, सचिव को कोई अधिकार नहीं है कि हमारी जिन्दगी का फैसला  करे। पिछले दस साल में सत्या पॉवर प्लान्ट की गन्दगी ने जीवन को नरक बना दिया है। और अब हम इसके लिए तैयार नहीं है। यदि सरपंच ही सब कुछ है तो पावर प्लान्ट के मालिक सरपंच से फैसला करवा लें। हम किसी भी सूरत में पावर प्लान्ट का विस्तार नहीं होने देंगे। 
                    जानकारी देते चलें कि पिछले एक दशक से गतौरी में सत्या पावर प्लान्ट का संचालन किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि पावर प्लान्ट शहर के किसी उद्योगपति का है। पॉलर प्लान्ट विस्तार को लेकर जिला प्रशासन की अनुमति से सात  जुलाई को जनसुनवाई कार्यक्रम का आयोजन होना है। जानकारी के बाद स्थानीय लोगों में पॉवर प्लान्ट विस्तार के खिलाफ जमकर आक्रोश है।
 जगह जगह बैठक और ग्रामीणों में आक्रोष
            ग्रामीणों की अगुवाई कर रहे दिलीप अग्रवाल ने बताया कि गतौरी स्थित पावर प्लान्ट को लेकर ग्रामीणों पहले से ही आक्रोश है। उन्हें इस बात की अभी तक जानकारी नहीं है कि प्लान्ट का विस्तार किया जाएगा। कुछ सरपंचों ने तो प्लांट प्रबंधक को एनओसी भी दे दिया है..इस बात को लेकर ग्रामीणों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के खिलाफ जमकर नाराजगी है। जबकि जनसुनवाई की जानकारी  ग्रामीणों को भी होनी चाहिए।
ग्रामीणों के साथ धोखा..जिन्दगी बन जाएगी नरक
दिलीप ने बताया कि पावर प्लान्ट के विस्तार से कछार, सेंदरी, गतौरी, लोफदी, चुनकवा, नवागांव, निरतु समेत दर्जनभर गांव के लोगों की जिन्दगी नरक बन जाएगी। ग्रामीणों में बेचैनी बढ़ गयी है। स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर भी आक्रोश है कि सत्या पावर प्लान्ट ने पहले भी धोखा दिया था। आज भी वही  कर रहा है। कुछ नेताओं के साथ मिलकर  प्लान्ट के संचालकों ने धोखा दिया है। बिना किसी को जानकारी दिए सरपंच के भरोसे जनसुवाई का एलान किया है। इस बात को स्थानीय लोग किसी भी सूरत में बर्दास्त करने को तैयार नहीं है।
खेत ही हमारी जिन्दगी..बना दिया बंजर
                     दिलीप अग्रवाल के अनुसार हर गांव में बैठक कर विरोध की रणनीति तैयार हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि हमें अपने परिवार और गांव को कोयला और प्रदूषण के कहर से बचाना है। अभी तक हमें बहुत ठगा गया..अब हम नेताओं के बहकावे मे नहीं आने वाले है। पावर प्लान्ट से फसल को बहुत नुकसान हुआ है। अब हम बर्दास्त करने की स्थिति में नहीं है। पिछली बार प्लान्ट प्रबंधकों ने लम्बे लम्बे वादे किए थे। मजाल है कि कोई वादा पूरा किया गया हो। अब हम वादा के लिए नहीं..बल्कि एक्शन के लिए तैयार हैं। हम जनसुनवाई का पुरजोर विरोध करेंगे। ग्रामीणों के अनुसार  खेत, खलिहान और  बाड़ी बचाना चाहते हैं। सही मायनों में जिन्दगी बचाने चाहते हैं। इसलिए हमने भी फैसला किया है कि ग्रामीणों के साथ प्लांट के विस्तारीकरण का विरोध किया करेंगे।
सभी को बात रखने का अधिकार
              क्षेत्रीय पर्यावरण विभाग के अधिकारी ने बताया कि जनसुनवाई 7 जुलाई 2022 को गतोरी प्राथमिक-माध्यमिक शाला मैदान में दोपहर 12 बजे से शुरू होगी। कम्पनी ने अपनी वर्तमान उद्योग की विभिन्न ईकाईयों के विस्तार के लिए पर्यावरण संरक्षण मण्डल रायपुर में आवेदन किया है। यदि ग्रामीणों को किसी बात को लेकर नाराजगी है तो वह जन सुनवाई में शामिल होकर अपने विरोध को रख सकते हैं।

घर में कोयला..खेत में कोयला..

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           ग्रामीणों ने बताया कि हम इस बार प्लान्ट को कोई मौका नहीं देंगे। कंपनी ने एक दशक से सिर्फ बेवकूफ बनाया है। सीएसआर मद से केवल नेता और कर्मचारियों का विकास हुआ है। सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि बंजर हो चुकी है। प्लांट के आसपास बसे कछार, सेंदरी, गतौरी, लोफदी, चुनकवा, नवागांव, निरतु समेत दर्जनभर गांव के लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। घरों में कोयाला का डस्ट दिन भर उड़कर आता है। खेत खलिहान की मिट्टी भी काली हो गयी। मतलब खेत पूरी तरह से बंजर हो चुके हैं।

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