राजधानी में धरना स्थल बदलने का विरोध,बीस वर्षो में बूढ़ातालाब में सुविधा नहीं मिली-नवा रायपुर में क्या मिलेगा

Chief Editor
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रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने बूढ़ातालाब धरना स्थल को बदलने के जिला एवं पुलिस प्रषासन के निर्णय को अनुचित बताते हुए इसे भारतीय संविधान में प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन निरूपित किया है। साथ ही य़ह कह़ा कि इस संबंध में निर्णय लेने के पूर्व प्रदेष के राजनैतिक दलों, कर्मचारी संगठनों, तथा प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मिडिया के प्रतिनिधियों से भी चर्चा करने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाना चाहिए था। रायपुर से 28 किलो मीटर दूर धरना प्रदर्शन ‘‘जंगल में मोर नाचा किसने देखा‘‘ को चरितार्थ करती है।
संघ के प्रदेष अध्यक्ष विजय कुमार झा, जिला षाखा अध्यक्ष इदरीष खॉन ने बताया है कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने व राज्य की राजधानी रायपुर बनने के पूर्व से लगभग 25-30 वर्षो में धरना स्थल 3-4 बार बदला गया। कालांतर में जयस्तंभ चौक में धरना दिया जाता था। इसके पष्चात् मोतीबाग चौक में धरना दिया जाता था। वहां नगर निगम के अग्निशमन विभाग, निगम कार्यालय व फायर ब्रिगेड कार्यालय होने व धरना के समय आग लगने पर परेशानी के कारण उसे बूढ़ातालाब स्थानांतरित किया गया। दोनों काल के बीच षास्त्री चौक, नगर धड़ी चौक में धरना दिया जाता था। राज्य निर्माण के बाद स्वाभाविक रूप से लोकतंत्र में धरना, प्रदर्षन, रैली शासन प्रशासन का ध्यान आकृट करने तथा जनमानस में षासन की नीतियों के प्रस्तुतीकरण हेतु आवश्यक अंग है। इसी बुढ़ातालाब धरना स्थल का चयन किया गया जहां चारो दिशाओं में आवागमन की सुविधा, धरना स्थल मुख्य मार्ग के अंदर व सामने तालाब पानी की व्यवस्था को दृष्टिगत् रखते हुए, धरना रैली की स्थिति की स्थिति में अन्य दिशाओं के मार्गो से आवागमन की व्यवस्था हो जाने के कारण चयनीत किया गया। राजनैतिक दलों के नेतागण भी इसी धरना स्थल पर धरना प्रदर्षन कर ही सत्ता की उचाईयों कों प्राप्त किए है। ऐसी स्थिति में प्रदेष के राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों, कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधियों व प्रेस प्रिंट व इलेक्टानिक मिडियों के प्रतिनिधियों से चर्चा करने के बाद ही धरना स्थल बदलने व नवीन स्थल चयनीत करने के संबंध में निर्णय लिया जाना चाहिए था।

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उन्जहोने आगे कहा कि ज़हां तक व्यापारियों के विरोध का प्रश्न है, धरना स्थल पर ठेलो में कोई बड़े धरना प्रदर्षन होने पर अनेक ढेलों में फल बेग साड़ियां जूते चप्पल सहित अनेक जीवनोपयोगी वस्तुओं की बिक्री बड़ी मात्रा में करके छोटे व्यापारी अपना जीवन यापन करते है। धरना प्रदर्शन करने आए अन्य जिलों के प्रदर्षनकारी हजारों रूपये एकत्र कर रायपुर आते है। सभी राशि राजधानी में खर्च कर अपना खजाना खाली कर वापस लौटते है। ऐसी स्थिति में व्यापारियों को आर्थिक क्षति स्वीकारार्य नहीं है। धरना स्थल बदलने का छग. कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन से संबंद्व 28 मान्यता प्राप्त संगठनों सहित गैरमान्यता प्राप्त संगठन, विद्युत संविदा कर्मचारी संघ, मनरेंगा कर्मचारी संघ, छत्तीसगढ़ नियमित संयुक्त कर्मचारी महासंघ, गृहनिर्माण मण्डल कर्मचारी संघ, उद्यानिकी दैनिक वेतन भोगी संघ, स्वास्थ संयोजक कर्मचारी संघ, मंत्रालय संचालनालय कर्मचारी संघ सहित, अखिल भारतीय बैंक एम्प्लाईज यूनियन, लाल झण्डा, मजदूर यूनियन, रायपुर टेड यूनियन कौंसिल, निगम मण्डल कर्मचारी महासंध, क्रेडा कर्मचारी संध, रविशंकर विश्व विद्यालय कर्मचारी संघ, नगर निगम कर्मचारी महासंध, आंगन बाड़ी महिला कर्मचारी संध, सहित अनेक संगठनों ने बिना किसी सुविधा, सुरक्षा के 28 किलो मीटर दूर संचालनालय मंत्रालय से भी पृथक स्टेडियम के पास खुले स्थान को चयन करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है।

कर्मचारी संध के तत्काल विरोध के बाद 100 व्यक्तियों को बूढ़ातालाब में प्रदर्शन की अनुमति का निर्णय लिया गया। इसके बाद भी विरोध के स्वर बुलंद हो रहे है। इससे 500 व्यक्तियों तक अनुमति की संभावना है। किंतु धरना स्थल नवा रायपुर हस्तांतरित अलोकतांत्रिक व्यवस्था है। इस निर्णय पर पुर्नविचार करने की मांग मुख्यमंत्री श्री भूपेश बधेल से की गई है।

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