पंचायत वित्त घोटाला..जांच में नहीं पहुंचा सचिव.. सरपंच ने खोला पोल..अधिकारी की शह पर सचिव का बड़ा खेल..बिना काम 20 लाख हो गया खर्च

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— महमंद पंचायत में 14 वें वित्त राशि घोटाला की जांच करने पहुंची दो सदस्यीय टीम के सामने बुलाए जाने के बाद भी तात्कालीन सचिव उपस्थित नहीं हुआ। लेकिन जांच टीम ने निर्धारित तारीख को महमंद पहुंचकर ग्रामीणोँ समेत सरपंच से संवाद किया। सूत्रों की माने तो जिला पंचायत में सामान्य सभा के दौरान उठाया गया 10 लाख रूपयों का घोटाला करीब 15 लाख रूपयों से अधिक है। बहरहाल अब जांच रिपोर्ट का इंतजार है।
घोटाला की जांच करने पहुंची टीम
                    जानकारी देते चलें कि करीब तीन महीने पहले जिला पंचायत की सामान्य सभा में महमंद पंचायत सरपंच की लिखित शिकायत को सभापति अंकित गौरहा ने पेश किया।  गौरहा ने बताया कि महमंद पंचायत में अधिकारियों की मिली भगत में तात्कालीन सचिव गंगेलाल निर्मलकर ने करीब 10 लाख रूपयों का घोटाला किया है। मौके पर ही जिला पंचायत अधिकारी ने महमंद में 14 वें वित्त योजना में गड़बड़ी की जांच का आदेश दिया।
                          इसी क्रम में एक दिन पहले मतलब सोमवार को 10 लाख रूपयों का घोटाला आरोप का जांच करने दो सदस्यीय पहुंची। इसके पहले जांच टीम ने 20 जून को एक पत्र तात्कालीन सचिव गंगेलाल निर्मलकर को भेजा। वर्तमान सरपंच गणेशी अनिल निषाद और सचिव रमाकांत कौशिक को भी तलब किया। पत्र में बताया गया कि सभी लोग 27 जून को ग्राम  पंचायत महमंद पहुंचे। टीम को भौतिक सत्यापन में सहयोग करें। 
                                 पत्र में यह भी बताया गया कि निर्माण संबधि सभी दस्तावेज टीम के सामने पेश करें। अनुपस्थिति की स्थिति में एक तरफा प्रतिवेदन पेश किया जाएगा। 
टीम के सामने नहीं आया सचिव
             इसी क्रम में 27 जून को दो सदस्यीय जांच टीम 10 घोटाला का भौतिक सत्यापन करने महमंद पहुंची। इस दौरान टीम में शामिल अधिकारी एमडी रमेश और नरेन्द्र जायसवाल सरपंच,वर्तमान सचिव और ग्रामीणों से रूबरू हुए। निर्देश के बावजूद तात्कालीन सचिव गंगेलाल निर्मलकर टीम के सामने नहीं पहुंचा।  
अधिकारी ने कहा,साहब के सामने हूं
                        जांच पड़ताल के बाद दो सदस्यीय टीम वापस लौट आयी। बहरहाल अभी रिपोर्ट पेश किया जाना बाकी है। इस दौरान टीम में शामिल एमडी रमेश से संपर्क का प्रयास किया गया। उन्होने बताया कि इस समय वह बैठक में है। साहब भी सामने हैं। बातचीत की स्थिति में नहीं है।
बिना अनुमोदन..लाखों रूपयों का आहरण
          जांच पड़ताल को लेकर महमंद निवासी अनिल और गणेशी निषाद ने बताया कि कोरोना काल के दौरान बड़े अधिकारियों के इशारे पर 14 वें वित्त योजना से लाखों रूपयों  का आहरण किया गया। तात्कालीन सचिव ने बिना अनुमोदन कब रूपया निकाला ना तो पंच को  जानकारी है और ना ही किसी ग्रामीण को ही। 
टीम ने किया भौतिक सत्यापन
          इस दौरान अधिकारियों ने भौतिक सत्यापन भी किया। सरपंच,पंच और ग्रामीणों ने पूछे गए सवालों का जवाब दिया। अधिकारियों की मांग पर निर्माण कार्य को भी दिखाया। 
            अनिल निषाद ने बताया कि गंगेलाल ने बड़े बड़े कार्य के लिए लाखों रूपए निकाला। लेकिन आज हमें जानकारी मिल रही है कि यहां यहां काम हुआ है। टीम को यह भी बताया कि कहीं भी काम नही हुआ है।
इस मद में लाखों का आहरण..    
               जानकारी के अनुसार तात्कालीन सचिव गंगेलाल निर्मलकर ने जनपद पंचायत क्षेत्र में करीब 24 लाख रूपयों से अधिक खर्च किए जाने का दस्तावेज जमा किया है। दस्तावेज के अनुसार   कोरोना काल के दौरान पंचायत क्षेत्र में 14 वें वित्त योजना से भोजन पर  3,47,064 रूपये खर्च हुए है। सरपंच की माने तो डेढ़ लाख रूपया से अधिक खर्च नहीं हुआ है। इसी तरह दस्तावेज के अनुसार टेंट व्यवस्था में 1,50,900 रूपया खर्च हुआ है। सरपंच के अनुसार बताया गया खर्च गलत है। 23 हजार 400 रूपए का मास्क बांटा गया है। 1,67,300 रूपयों का मोटर पम्प खरीदा गया है। टेन्ट का किराया 11 हजार रूपए बताया गया है। हैन्डपम्प मरम्मत पर 17 हजार रूपए खर्च हुए हैं। 
           जनपद पंचायत से हासिल दस्तावेज के अनुसार पेयजल व्यवस्था पर 3,36,000  और डीआर ट्रेडिंग पर 1,17,000 खर्च हुआ है। शपथ ग्रहण समारोह पर 56 हजार खर्च आया है। सचिव ने 5,55,,590 रूपया गली मरम्मत में खर्च होना बताया है। दुबारा मोटर पम्प क्रय में 1,05,000, पेयजल व्यवस्था पर 49,300 की जानकारी है। सीसी रोड निर्माण पर 1,36,400, आपरेटर भुगतान 26000 और दुबारा गली मरम्मत पर 63000 रूपयों का खर्च होना बताया गया है।
   सरपंच ने क्या कहा
          सरपंच की माने तो इस दौरान थोड़ा बहुत छोड़े तो कुछ भी बड़ा काम  नहीं हुआ है। दस्तावेज में बतायी कमोबेश सभी जानकारी गलत है। यदि निर्माण कार्य,मरम्मत होता तो जरूर दिखाई देता। कुछ काम तो हुए हैं लेकिन दस्तावेज में राशि खर्च होने की जानकारी तीन से चार गुना है। अब तो  घोटाला करीब 20 लाख रूपयों से अधिक है।
जांच रिपोर्ट का इंतजार
          जिला पंचायत सभापति अंकित गौरहा ने बताया कि शायद जांच टीम मौके पर गयी थी। भौतिक सत्यापन का भी काम हुआ है। क्या कुछ रिपोर्ट में जानकारी मिल ही जाएगी। 20 लाख का घोटाला..उम्मीद से ज्यादा है। इसमें बड़े अधिकारियों की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है।

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