परसा कोल ब्लॉक भूमि अधिग्रहण : अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ताओं की भूमि पर कब्जा लेने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

Chief Editor
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बिलासपुर ।छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस अरूप गोस्वामी और जस्टिस एन.के चन्द्रवंशी की खण्डपीठ ने परसा कोल ब्लॉक भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई करते हुये केन्द्र और राज्य सरकार को मामले की अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ताओं की भूमि पर यथास्थिति बनाये रखने के निर्देश दिये है।

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गौरतलब है कि सरगुजा और सुरजपुर स्थित परसा कोल ब्लॉक के भूमि अधिग्रहण को हरिहरपुर साल्ही और फतेपुर गांव के निवासी क्रमशः मंगल साय, ठाकुर राम, आनंद राम, पनिक राम और मोतीराम ने याचिका लगाकर चुनौती दी थी। उक्त मामले में 9 अप्रैल 2021 को राज्य शासन और केन्द्र सरकार पर नोटिस तामील हो चुका था । परन्तु आज दिनांक तक केन्द्र सरकार की ओर से जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया । जबकि गत 27 अक्टूबर की अन्तिम सुनवाई में उन्हें 6 सप्ताह का समय अन्तिम रूप से दिया गया था।

      गौरतलब है कि सरगुजा क्षेत्र में स्थित परसा कोल ब्लॉक में लगभग 1250 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई है। इसमें लगभग एक तिहाई भूमि आदिवासी किसानों की लगानी भूमि है। शेष दो तिहाई भूमि घना जंगल है। जो हाथी प्रभावित होने के साथ-साथ निस्तार और लघुवनोपज के लिये आस-पास के सभी गांव के काम आता है। इस अधिग्रहण के लिये कोल बेयरिंग एरिया एक्ट 1957 का प्रयोग किया गया है, जबकि पिछले 60 सालों में यह एक्ट केवल एसईसीएल जैसी  केन्द्र सरकार की कम्पनी के लिये उपयोग किया जाता रहा है। इस मामले में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के हित में इस एक्ट का प्रयोग करने को चुनौती दी गई है और यह भी बताया गया है कि राजस्थान निगम ने परसा कोल ब्लॉक को अडानी के स्वामित्व वाली कंपनी को खनन के लिये सौंपे जाने का अनुबंध कर रखा है। अर्थात् यह भूमि अधिग्रहण निजी कम्पनी के हित में है। जिसके लिये कोल बेयरिंग एक्ट का प्रयोग नहीं किया जा सकता।

      इसके साथ-साथ याचिकाकर्ताओं ने यह भी बताया है कि अधिग्रहण से संबंधित धारा 4 एवं धारा 7 की अधिसूचनाएं प्रभावित व्यक्तियों को समय रहते उपलब्ध नहीं कराई गई। इसके बावजूद प्रभावित व्यक्तियों के द्वारा जो आपत्तियां कोल कंट्रोलर को भेजी गईं, उसमें न तो सुनवाई का अवसर दिया गया और नहीं  उनकी आपत्तियों का निराकरण किया गया। 2006 में वन अधिकार कानून और 1996 में पेशा एक्ट लागू हो जाने के बाद अनुसूचि पांच क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण के पूर्व आवश्यक ग्राम सभाओं के नकली प्रस्ताव बनाकर भूमि अधिग्रहण प्रकरण में लगाये गये हैं। जबकि ग्राम सभाएं इसके विरोध में है। लगातार कई ज्ञापन देकर प्रभावित व्यक्तियों ने फर्जी ग्राम सभा प्रस्तावों की जांच की मांग कलेक्टर और मुख्यमंत्री से की है। परन्तु इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।

      गौरतलब है कि हाल ही में आदिवासियों की एक बड़ी पदयात्रा सरगुजा क्षेत्र से रायपुर तक की गई थी और राज्यपाल ने परसा कोल ब्लॉक के लिये फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव बनाने की शिकायतों पर संज्ञान लेकर उन्हें राज्य सरकार तक भेजा था।

      आज राज्य सरकार के द्वारा उत्तर प्रस्तुत कर दिया गया है और मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी। मामले में याचिकाकताओं की पैरवी अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव, संदीप दुबे और आलोक ऋषि कर रहे है। वही केन्द्र सरकार की ओर से ए.एस.जी रमाकांत मिश्रा, राज्य सरकार की ओर से डिप्टी ए.जी. सुदीप अग्रवाल और राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम एवं अडानी कम्पनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. निर्मल शुक्ला और अधिवक्ता शैलेंद्र शुक्ला तथा अर्जित तिवारी बहस कर रहे है।

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