वेतन विसंगति – क्रमोन्नति की मांग को लेकर फेडरेशन का एकदिवसीय आंदोलन 28 अक्टूबर को , कई शिक्षक संगठनों ने किया समर्थन

Chief Editor
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रायपुर-रायपुर में 28 अक्टूबर को सहायक शिक्षक फेडरेशन ने वर्ग तीन की वेतन विसंगति और कामोन्नति की मांग सहित अन्य विषयों को लेकर कोरोना काल मे एक दिवसीय आंदोलन करने का निर्णय लिया है। संगठन प्रमुख का अक्सर दावा रहा है कि प्रदेश के 109000 सहायक शिक्षक फेडरेशन से जुड़े हुए है अर्थात फेडरेशन के वर्तमान में प्रमुख मनीष मिश्रा की अगुवाई में प्रदेश के 109000 सहायक शिक्षक ट्रेन, बस, टैक्सी सहित निजी वाहनों से रायपुर कूच करने की तैयारियां कर चुके है जो 28 अक्टूबर को स्पोर्ट काम्प्लेक्स बूढ़ा तालाब के पास धरना स्थल में शामिल होंगे.!जिसकी तैयारी रायपुर में जोर शोर से चल रही है…!

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इस आंदोलन में कोविड 19 के प्रोटोकॉल का पालन किये जाने की बात कही गई है। 28 अक्टूबर के सहायक शिक्षक फेडरेशन के रायपुर में प्रस्तावित आंदोलन को छतीसगढ़ व्याख्याता संघ के कमलेश्वर सिंह और गवर्नमेंट एम्प्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन छत्तीसगढ़ का नैतिक समर्थन मिल चुका है। एम्प्लाइज वेलफेयर के सैकड़ो कर्मचारी धरना स्थल पर पहुँच सकते है..! इसके अलावा खबर लिखे जाने तक यह जानकारी सामने आई कि इस आंदोलन को छत्तीसगढ़ टीचर एशोशिएशन प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा , संयक्त शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदार जैन , नवीन शिक्षा कर्मी संघ के विकास राजपूत ने निशर्त समर्थन दे दिया है। क्योकि यह मांग उनके प्रमुख एजेंडे में पहले से ही उठा कर रखी है। कुल मिला कर कहा जाए कि यह एक दिन का आंदोलन सहायक शिक्षक फेडरेशन की अगुवाई में प्रदेश के प्रमुख शिक्षक संघो के समर्थन से हो रहा है।

छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार की प्रतिष्ठा बन चुके मरवाही चुनाव के पहले किये जाने वाले इस आंदोलन के तार कही जुड़ तो नही रहे है …? यह चर्चा का विषय बन गया है। क्योंकि यह ऐसे वक्त हो रहा है जब राज्य सरकार ने अपने वचन पत्र के मुताबिक दो वर्ष पूर्ण कर चुके शिक्षा कर्मियों के संविलियन पर सहमति जताते हुए एक नवम्बर से संविलियन का निर्देश दे चुकी है। संविलियन के इतने बड़े आर्थिक निर्णय के बाद कोरोना काल के एक दिवसीय आंदोलन से कर्ज लेकर चल रही राज्य सरकार सभी शिक्षक संघो की प्रमुख मांगो को सहायक शिक्षक फेडरेशन के माध्यम से मान जायगी… ?

जबकि संविलियन के पूर्व हुए शिक्षक आंदोलनों का इतिहास ऐसा नही रहा है। आंदोलनो के बीते दौर में जब कोई महामारी नही थी तब भी कई शिक्षाकर्मी काल के गाल में समा चुके है , आंदोलन की भेंट चढ़ गए मृतक पंचायत शिक्षाकर्मियों परिजन आज भी अनुकम्पा नियुक्ति की आस में है। रायपुर का इंडोर स्टेडियम उनके रुदन का गवाह है .. अब भी उन्हें न्याय नही मिला है …!

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शिक्षक संघो में वर्ग तीन की वेतन विसंगति को लेकर राय भी अलग अलग है। इस मामले में आरोप प्रत्यारोप का दौर सोशल मीडिया में दिखाई देता है। मजेदार बात यह है कि 28 अक्टूबर के इस आंदोलन पर प्रश्न चिन्ह खुद फेडरेशन से दूर हुए इसके दो संस्थापक सदस्य रहे शिक्षक लगा रहे है। सहायक शिक्षक फेडरेशन के संस्थापक सदस्य रहे इदरीस खान का बताते है कि इतिहास गवाह रहा है कि शिक्षकों को सरकार से लड़े बिना कुछ हासिल नही हुआ है। लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी है। कोरोना काल मे एक दिन के आंदोलन का क्या औचित्य ..? क्या एक दिन के आंदोलन से वेतन विसंगति दूर हो जाएगी उच्चतम क्रमोन्नत वेतनमान मिल जायेगा …। यह लड़ाई शिक्षको के हक के लिए है या फिर बिखरते हुऐ संगठन में संजीवनी देने के लिए है ..। वेतन विसंगति को मुद्दा बना कर शिक्षको को भटकाया जा रहा है। काल्पनिक वेतन विसंगति क़ा ढोल पीट कर शिक्षकों क़ो आंदोलन में डाला जा रहा हैं।

इदरीस का कहना है कि सविलियन उपरांत नियमित शिक्षक और एल बी संवर्ग का वेतन सामान हैं किसी प्रकार की वेतनविसंगति नहीं हैं वहीं 23 वर्षों सें एक ही पद पर कार्य कर रहे शिक्षकों क़ो पदोन्नति क़ा लाभ नहीं मिला हैं कारण पिछली सेवा की गणना नहीं होना और पंचायत विभाग के द्वारा क्रमोन्नत वेतनमान क़ो भूत लक्षि प्रभाव सें समाप्त किया जाना हैं। वर्ग तीन की समस्या का हल वर्ग तीन को प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा गणना कर उच्चत्तम लाभ दिये जाने से मिल सकता है। सहायक शिक्षको को बहकाने से नही मिल सकता है।

सहायक शिक्षक फेडरेशन के संस्थापक सदस्य रहे जाकेश साहू का कहना है कि फेडरेशन शिक्षको के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाला है 28 अक्टूबर के आयोजन में अगर किसी को कोरोना संक्रमण होता है तो इसका जवाबदार कौन होगा ..? राज्य शासन .. जिला प्रशासन या फिर पुलिस प्रशासन .? या फिर शिक्षक संगठन ..? जाकेश बताते है कि शिक्षक कही न कही वतर्मान में छात्रों से जुड़े हुए है। पूरे प्रदेश से अगर शिक्षक रायपुर आये और उसके बाद दूसरे दिन रायपुर से अपने हाल मुकाम पर वापस जाए तो क्या कोरोना का प्रसार नही होगा। ऐसे में कोरोना नही फैलेगा । कुछ शिक्षको पर महामारी का एक्ट लगा तो क्या होगा ..?

बोये पेड़ बाबुल का तो आम कहाँ कहाँ होए ..! शिक्षक राजनीति का इस लोकोक्ति से गहरा नाता है । इतिहास आज उसी मोड़ पर फिर से खड़ा है। बस नैतिक समर्थन के मायने समझने की दरकार है। संविलियन के बाद ठीक प्रदेश के आम चुनाव से पूर्व शिक्षक संघ अपनी अलग अलग रहा निकल पड़े थे। संविलियन के बाद वर्ग तीन ने अलग आंदोलन शुरुवात हुई थी.संजय शर्मा केदार जैन और वीरेंद्र दुबे सरकार को संविलियन धन्यवाद के लिए कार्यक्रम कर रहे थे। विकास राजपूत और चंद्रदेव राय अधूरे संविलियन और वेतन विंगति दूर नही किये जाने की वजह से विरोध में थे।

रायपुर में केदार जैन और वीरेंद्र दुबे इंडोर स्टेडियम में तत्तकालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह व शिक्षा मंत्री सहित सत्ता पक्ष से जुड़े महत्वपूर्ण व्यक्तियों का स्वागत व धन्यवाद ज्ञापित कर उमीद कर रहे थे कि मंच से सरकार शिक्षको के अधूरे संविलियन की भरपाई के लिए कोई घोषणा कर दे । जिससे शिक्षक हित की ओर एक और कदम मजबूत हो जाए ..! पर ऐसा हुआ नही मुख्यमंत्री ने धन्यवाद ग्रहण किया और शिक्षा व पंचायत मंत्री नसीहत देकर चले गए। इंडोर स्टेडियम में हुए समारोह से जुड़े शिक्षक नेता का कहना है कि उस वक़्त का धन्यवाद समारोह अच्छा रहा पर परिणाम नही आया उस दिन अगर ईदगाह भाटा में आंदोलन कर रहे शिक्षक इस कार्यक्रम में समर्थन करते तो स्थिति आज वर्ग तीन के लिए बदली हुई होती ।

शिक्षक आंदोलन के इतिहास के पन्ने पलट कर आपको बताते चले कि जिस दिन तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का रायपुर में इंडोर स्टेडियम में स्वागत अभिनन्दन चल रहा था उस दिन उनके शान में कसीदे कहे जा रहे थे तो दूसरी ओर ईदगाह भाटा मैदान में सरकार के विरोध में नारे लग रहे थे। चुनाव के पहले संविलियन के बाद भी रमन सरकार के विरोध में जबरदस्त माहौल बना हुआ था जिसकी कल्पना दूसरे प्रदेशों के शिक्षक नेताओ के अलावा सरकार के रणनीतिकारों ने भी नही की थी। मैदान में वर्ग तीन की वेतन विसंगति ,कामोन्नति व पदोन्नति और अनुकंपा नियुक्ति को लेकर रायपुर के धरना रैली चालू थी। वीरेंद्र दुबे और केदार जैन पर आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे थे। सोशल मीडिया में वह दिन शिक्षक राजनीति का नया अखाड़ा बना था …। उसी दिन से अब तक वर्ग तीन के आम सहायक शिक्षक को.. न तो माया मिली न राम …! बस शिक्षक संघो के ज्ञापनों का फ़ोटो सोशल मीडिया में देखने को मिला है।

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