तखतपुर(टेकचंद कारड़ा)।बलराम सिंह ठाकुर का जन्म 1 जुलाई 1939 को नेवरा गनियारी में हुआ ।उनकी प्रारंभिक शिक्षा नेवरा और गनियारी में ही हुई। इसके बाद वे उच्च शिक्षा के लिए बिलासपुर आ गए। यहां उन्होंने शासकीय महाविद्यालय से ग्रेजुएशन पूरा किया और उसके बाद एलएलबी की डिग्री ली। बलराम सिंह में नेतृत्व की क्षमता उनके शैक्षणिक काल से ही थी। छात्र हित के मुद्दे पर हमेशा मुखर रहते, लिहाजा उन्हें शासकीय महाविद्यालय का प्रेसिडेंट चुना गया ।
उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद वे प्राध्यापक बन गए लेकिन समाज सेवा की भावना और नेतृत्व क्षमता के कारण वह बहुत दिनों तक शासकीय सेवा में बंधकर नहीं रह सके। उन्होंने रतनपुर के महामाया मंदिर के जीर्णोद्धार और कायाकल्प का बीड़ा उठाया । इसी बीच लोगों की सहायता करने और जनता की आवाज के लिए हमेशा उनके साथ खड़े होने के गुण ने उन्हें लीडर बना दिया ।
वह बिलासपुर के दो बार महापौर रहे और फिर तखतपुर से कांग्रेस के दो बार विधायक भी । बलराम सिंह अपनी जीवटता, संघर्ष और दूसरों की मदद के लिए किसी भी स्तर तक जाने के लिए पहचाने जाते रहें हैं। महापौर रहते हुए नए बिलासपुर की नींव उन्होंने ही रखी और तखतपुर विधानसभा के संपूर्ण विकास का श्रेय ठाकुर बलराम सिंह को ही जाता है।
यहां के कई गांव में आजादी के बाद से अंधेरा था ठाकुर बलराम सिंह कई गांव में बिजली पहुंचाई सड़कों के जाल बिछाए और तखतपुर में कई बड़े निर्माण करवाएं उनकी बेबाकी और निडरता के कई किस्से मशहूर हैं कि कैसे केंद्रीय मंत्रियों और प्रधान मंत्री तक से जनहित के मुद्दों पर वे सीधे दो टूक बात किया करते थे।
उन्हीं की श्रद्धा लगन और समर्पण का नतीजा है कि आज रतनपुर का महामाया मंदिर पूरे विश्व में विख्यात है। 31 हजार ज्योति कलश प्रज्वलित होते है।
ठाकुर बलराम सिंह के चार पुत्र आशीष सिंह, आलोक सिंह, अखिल सिंह व आदित्य सिंह हैं। बड़े पुत्र आशीष सिंह राजनीति में सक्रिय हैं। इस समय प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव हैं। बहु रश्मि आशीष ठाकुर वर्तमान में तखतपुर क्षेत्र की विधायक हैं।
बलराम सिंह ठाकुर एसबीआर कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष चुने जाने के बाद लगातार शहर की राजनीति में सक्रिय रहे। बाद में कुछ दिनों तक इसी कॉलेज में पढ़ाया भी। वे नगर कांग्रेस अध्यक्ष रहने के बाद अज्ञेयनगर से पार्षद रहे और बाद में महापौर बनाये गये।
तखतपुर में उनके विधायक काल को हमेशा इसलिए भी याद रखा जाएगा क्योंकि उन्होंने तखतपुर में उसकी पॉलिटेक्निक और आईटीआई को अपने कार्यकाल में खोला था।