सिविल सर्विसेज के ट्रेनी अफसर को पीएम मोदी का ‘मंत्र’,कहा-समाज से कटिए मत, उससे जुड़िए

Chief Editor
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सिविल सेवा के प्रशिक्षुओं को समाज से जुड़ने की सलाह देते हुए कहा कि वह ऐसा करते हैं तो वही समाज उनकी शक्ति का सहारा बनेगा।उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी जो भी फैसला लें, वह देशहित में होना चाहिए और उससे देश की एकता और संप्रभुता मजबूत होनी चाहिए।प्रधानमंत्री वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मंसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी के भारतीय सिविल सेवा के 428 प्रशिक्षुओं से ‘‘आरंभ 2020’’ कार्यक्रम के तहत संवाद कर रहे थे।उन्होंने अपने संबोधन में कहा, ‘‘किसी सिविल सेवा अधिकारी के लिए सबसे पहले जरूरी है कि वह देश के सामान्य जन से निरंतर जुड़े रहे। जब आप लोगों से जुड़े रहेंगे तो लोकतंत्र में काम करना आसान हो जाएगा। समाज से कटिए मत, उससे जुड़िए। वह आपकी शक्ति का सहरा बनेगा।’’

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उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका सरकार में न्यूनतम और शासन में अधिकतम है। उन्होंने प्रशिक्षुओं से अपील की वे आम लोगों के जीवन में न्यूनतम हस्तक्षेप सुनिश्चित करें।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार शीर्ष से नहीं चलती है। नीतियां जिस जनता के लिए हैं, उनका समावेश बहुत जरूरी है। जनता केवल सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों की रिसीवर नहीं है, जनता जनार्दन ही असली ड्राइविंग फोर्स है।’’मोदी ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी जो भी फैसला लें वह देशहित में होना चाहिए और उससे देश की एकता और संप्रभुता मजबूत होनी चाहिए।

‘‘आरंभ’’ एक ऐसा प्रयास है जिसके जरिए सभी अखिल भारतीय सेवा, ग्रुप-ए केंद्रीय सेवाएं, विदेश सेवाओं के प्रशिक्षुओं को एक कॉमन फाउंडेशन पाठ्यक्रम (सीएफसी) के जरिए एक साथ लाया जाता है।इसका उद्देश्य परंपरागत रूप से विभागीय और सेवाओं स्तर पर बंटी आ रही सोच को खत्म करना है जिससे कि अपने करियर को सिविल अधिकारी नई सोच के साथ शुरू कर सके। ‘‘आरंभ’’ का उद्देश्य सिविल अधिकारियों के अंदर विभिन्न विभागों और क्षेत्रों के साथ बिना किसी अड़चन के मिलकर काम करने की क्षमता विकसित करना है।

“आरंभ” की शुरूआत 2019 में 94वें फाउंडेशन कोर्स के तहत की गई थी। जिसमें गुजरात के केवडिया स्थित ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ में 20 विभिन्न सेवाओं के प्रशिक्षु अधिकारी एक सप्ताह के लंबे कार्यक्रम में भाग लेते हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री को एक प्रस्तुति भी दी जाती है। साथ ही प्रधानमंत्री प्रशिक्षु अधिकारियों से सीधे संवाद भी करते हैं और उन्हें संबोधित भी करते हैं।इस साल “आरंभ” का यह दूसरा संस्करण था। कोरोना महामारी की वजह से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से इसका आयोजन किया गया।

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