नई दिल्ली: पिछले कुछ वर्षों में एक के बाद एक चुनावी शिकस्त से उबरने की कोशिश में लगी कांग्रेस को इस बार चार राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में हुए इन चुनावों में, खासकर असम एवं केरल में, बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी। लेकिन जो नतीजे आए हैं उससे पार्टी की दिक्कतें कम होने के बजाय बढ़ने के आसार बन रहे हैं। असम, केरल और पुडुचेरी में चुनावी हार तथा पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का सफाया होना न सिर्फ पार्टी, बल्कि पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए भी झटका है। संभावित परिणामों को ध्यान में रख अब पार्टी नेताओं ने ही सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रागिनी नायक ने ट्वीट कर पार्टी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है, ”यदि हम (कांग्रेसी) मोदी की हार में ही अपनी खुशी ढूंढते रहेंगे, तो अपनी हार पर आत्म-मंथन कैसे करेंगे।”
पूर्व कांग्रेस नेता संजय झा ने भी पार्टी के प्रदर्शन और चुनाव रिजल्ट के बाद पार्टी के रवैये को लेकर निराशा व्यक्त की है। झा ने ट्वीट कर लिखा, ”मेरे लिए सबसे बड़ी निराशा कांग्रेस द्वारा पश्चिम बंगाल में आत्मसमर्पण है। यह अस्वीकार्य है। 2016 में, कांग्रेस सबसे 44 सीटों और 12.25% वोट शेयर के साथ बड़ी विपक्षी पार्टी थी।”
यदि हम (कांग्रेसी) मोदी की हार में ही अपनी खुशी ढूंढते रहेंगे, तो अपनी हार पर आत्म-मंथन कैसे करेंगे ?
— Dr. Ragini Nayak (@NayakRagini) May 2, 2021
वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता अखिल सिब्बल ने ट्वीट कर लिखा है, ”मुझे आश्चर्य है कि भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस कब तक दूसरों को धन्यवाद देती रहेगी?”
The biggest disappointment to me is the West Bengal surrender by the Congress. It is unacceptable. It is now gone the UP/Tamil Nadu way.
— Sanjay Jha (@JhaSanjay) May 2, 2021
In 2016, Congress was the largest opposition party, 44 seats and 12.25% vote share.
Heads must roll.
आपको बता दें कि कल जो नतीजे आए हैं वो राहुल गांधी के लिए बड़ा झटका हैं। अपनी पार्टी की हार पर आत्ममंथन करने के बजाय वह बीजेपी की हार पर खुशी और विजेताओं को बधाई देने में व्यस्त थे जिसके बाद अब एक बार फिर नेतृत्व को लेकर असंतुष्ट खेमे की ओर से सवाल पूछे जाने की आशंका सता रही है। राहुल गांधी केरल में कई गुटों में बंटी नजर आ रही राज्य इकाई को एक छतरी के नीचे लाने में संभवत: विफल रहे जिसकी पार्टी को भारी कीमत चुकानी पड़ी। लोकसभा चुनाव में केरल से कांग्रेस अधिकतम सीटें जीती थीं और खुद राहुल गांधी भी प्रदेश से वायनाड लोकसभा सीट से निर्वाचित हैं। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी को बहुमत मिलने के बाद आने वाले दिनों में विपक्ष की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व की दावेदारी में कई नाम जुड़ जाएंगे, हालांकि कांग्रेस का मानना है कि राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का वह एकमात्र विकल्प है। चुनाव बाद अब कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर एक बार फिर से बहस छिड़ सकती है।
To lead without accountability is to enjoy the privilege without the responsibility. I wonder how long the Congress will continue thanking others for defeating the BJP?
— Akhil Sibal (@SibalAkhil) May 2, 2021
माना जा रहा है कि गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा जैसे वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी वाला ‘जी 23’ समूह अपना अगला कदम उठाने का इंतजार कर रहा है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी केरल और असम में धुआंधार चुनाव प्रचार किया था। चुनाव परिणाम की तस्वीर साफ होने के बाद कांग्रेस और राहुल गांधी ने अपनी हार स्वीकारी तथा आत्मविश्लेषण करने की बात की। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘हम जनादेश को विनम्रता से स्वीकार करते हैं। अपने कार्यकर्ताओं और हमें समर्थन देने वाले लाखों लोगों का आभार। हम मूल्यों और आदर्शों के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। जय हिंद।’’
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘इस विषय पर कोई दो राय नहीं हो सकती कि चुनाव परिणाम हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं हैं, विशेषकर असम और केरल विधानसभा के चुनाव परिणाम हमारे लिए चुनौतीपूर्ण भी हैं और आशा के विपरीत भी।’’ पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा कि अब कांग्रेस को संगठनात्मक और संवाद संबंधी कमियों को दूर करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। देश की सबसे पुरानी पार्टी इन दिनों कई आंतरिक मुद्दों का सामना कर रही है। असम में एआईयूडीएफ (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट) और पश्चिम बंगाल में आईएसएफ (इंडियन सेक्युलर फ्रंट) के साथ गठबंधन को लेकर भी सवाल उठे हैं। कांग्रेस के लिए राहत तमिलनाडु से मिली है जहां उसकी मौजूदगी और द्रमुक के नेतृत्व वाले गठबंधन ने जीत दर्ज की है।