पावर कम्पनी का दावा..दुर्गम क्षेत्रों को मिलेगी क्वालिटी सप्लाई..EHT लाइन से जगमग होंगे आदिवासी क्षेत्र के गांव

BHASKAR MISHRA
2 Min Read
रायपुर—-छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी ने शहरों की तर्ज पर सुदूर ग्रामीण वनांचलों की पारेषण प्रणाली को दुरूस्त करने का निर्णय लिया है। इस दिशा में राज्य शासन की ऊर्जा नीति के अनुरूप उच्चस्तरीय प्रयास भी शुरू हो गया है।
 
          कम्पनी प्रबंध निदेशक अशोक कुमार ने बताया कि सुनियोजित कार्ययोजना के अनुसार बुधवार को 132 के.व्ही. क्षमता की नवनिर्मित डी.सी.एस.एस. गेरवानी-घरघोड़ा लाईन को चालू किया गया है। अशोक कुमार ने जानकारी दिया कि 14.3 करोड़ की लागत से निर्मित लाईन के ऊर्जीकृत होने से जशपुर, पत्थलगांव, बतौली जैसे सघन वनांचलों के गा्रमों को समुचित वोल्टेज पर विद्युत की आपूर्ति हो सकेगी।
 
                          एम.डी. कुमार ने बताया कि 25 किलोमीटर से अधिक उक्त अतिउच्च दाब लाईन को लेबर कांन्टेªक्ट बेसिस के आधार पर पूर्ण किया गया है। छत्तीसगढ़ अंचल के जशपुर एवं आसपास की भौगोलिक संरंचना में नदी, पहाड़, जंगल की भरमार हैं। ऐसे क्षेत्रों में सघन वन और पहाडियों के बीच अतिउच्च दाब लाईनों का निर्माण चुनौती भरा काम होता है। जिसे पूरा कर पारेषण कंपनी के अधिकारियों-कर्मचारियों ने कार्यदक्षता को प्रदर्शित दिया है।
 
             इस प्रकार के प्रयासों से ही प्रदेश में अतिउच्च दाब लाईनों की लंबाई 12 हजार 823 सर्किट किलोमीटर से अधिक हो गई है।  ऐसी कामयाबी के लिए पारेषण कंपनी की टीम के कर्मी बधाई के पात्र है।
       
                  प्रबंधन निर्देशक ने बताया कि प्रदेश की विद्युत पारेषण प्रणाली को सुदृढ़ बनाने का बेहतर प्रयास किया जा रहा है। चार दशक से अधिक पुराने ईएचटी उपकेन्द्रों के रखरखाव, कुशल प्रबंधन और बेहतर निगरानी को कार्यशैली में प्राथमिकता से शामिल किया गया हैं। इससे राज्य की पारेषण प्रणाली की उपलब्धता 99.93 प्रतिशत दर्ज हो रही हैं..जो कि एक कीर्तिमान है। साथ ही प्रदेश की पारेषण हानि 3.09 प्रतिशत से घट कर वर्ष 2019-20 में 2.96 प्रतिशत दर्ज हुई। यह तथ्य इस बात को प्रमाणित करता है कि प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण बिजली प्रदाय करने के साथ-साथ उन्नत अधोसंरचना का समुचित विकास हुआ है।

TAGGED: , ,
close