आदिवासी जमीन पर उद्योगपतियों की नजर..कांग्रेस ने किया विधेयक का विरोध..कहा..सड़क तक लड़ेंगे

BHASKAR MISHRA
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IMG20180106142353बिलासपुर—  कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा में भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक का विरोध किया है। पीसीसी के निर्देश पर जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्षों ने प्रेसवार्ता कर बताया कि राज्य सरकार को विधेयक लाने से पहले आदिवासी समाज और जनप्रतिनिधियों से सलाह मशविरा करना जरूरी था। सरकार की गुपचुप कार्यवाही से स्पष्ट होता है कि उद्योगपतियों को पिछले दरवाजे से आदिवासी सम्पत्ति को लूटने की साजिश हो रही है। कांग्रेस नेताओं ने भाजपा आदिवासी नेताओं को आदिवासी जनहित में भू-राजस्व संहिता संशोधन का विरोध करने को कहा है।पीसीसी के निर्देश पर बिलासपुर में शहर और ग्रामीण ने प्रेसवार्ता में भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक का विरोध किया है। राजेन्द्र शुक्ला और नरेन्द्र बोलर ने पत्रकारों को बताया कि आदिवासियों की जमीन और संस्कृति उनकी पहचान है। लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार आदिवासियों की पहचना को खत्म करना चाहती है। बिना जनप्रतिनिधियों से सलाह मशविरा और आदिवासियों को विश्वास लिए विधानसभा सत्र में विधेयक को बहुत से पारित कर दिया गया।

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दोनों जिला अध्यक्षों ने बताया कि विधानसभा सत्र में सरकार ने संशोधन विधेयक लाकर आदिवासियों की जमीन को आपसी सहमति से खरीदने की छूट दी है। लेकिन सरकार का कहना है कि आपसी सहमति की छूट और खरीदी केवल सरकारी प्रोजेक्ट के लिए होगी। लेकिन संशोधन विधेयक में कहीं भी नहीं लिखा है कि आपसी सहमति केवल सरकारी उद्योंगों के लिए होगी। कांग्रेस नेताओं ने बताया कि नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने सदन में विधेयक का जमकर विरोध किया। विधेयक को सलेक्ट कमेटी को भेजे जाने की पुरजोर वकालत की। लेकिन भाजपा सरकार ने बिल को बहुमत से पारित कर दिया।




कांग्रेस नेताओं ने बताया कि सरकार की गुपचुप कार्रवाई से ऐसा प्रतीत होता है कि आदिवासियों की जमीन को पिछले दरवाजे से उद्योगपतियों को बांटने की साजिश हो रही है। कांग्रेस नेताओं के अनुसार पूर्व में केन्द्र और राज्य सरकार ने अधिसूचित क्षेत्र में जमीन खरीद फरोख्त के लिए कड़े कानून बनाए हैं। आदिवासियों के समुचित विकास के लिए भू-राजस्व संहिता में बदलाव या संशोधन की कोई जरूरत नहीं थी। लेकिन संशोधन विधेयक से भू-माफियों और उद्योगपतियों के लिए जमीन हड़पने का दरवाजा खोल दिया गया है। जाहिर सी बात है कि ऐसा होने के बाद आदिवासियों का विकास तो दूर बल्कि उनका अस्तित्व ही खतरे में आ गया है।




राजेन्द्र और नरेन्द्र ने बताया कि विधेयक का भाजपा नेता रामविचार नेताम, नन्दकुमार साय ने विरोध किया है। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि भाजपा नेताओं और खासतौर पर आदिवासी नेताओं को विधेयक के विरोध में खुलकर सामने आना चाहिए। आदिवासी समाज की धर्म,कला संस्कृति और सम्पत्ति को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है। कांग्रेस पार्टी हमेशा से आदिवासी हित संवर्धन की हिमायती रही है। पार्टी विधेयक के विरोध और आदिवासियों के संरक्षण में सड़क की लड़ाई लडेगी। कार्पोरेट जगत को आदिवासी जमीन तक पहुंचने नहीं दिया जाएगा।

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