ग्वालियर जैसी रियासतों ने दिया धोखा..प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन को कांग्रेसियों ने किया याद ..विजय ने कहा..लाखों सपूतों ने दिया बलिदान

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—ज़िला कांग्रेस कार्यालय में शहर और ग्रामीण कांग्रेस की टीम ने 10 मई को को प्रथम स्वतन्त्रता  संग्राम दिवस के रूप में मनाया। इस दौरान उपस्थित कांग्रेसियों ने शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए नम् ऑंखों से याद किया। शहीदों के योगदान को नमन् भी किया। 
              प्रथम स्वतंत्रता दिवस को जिला और शहर कांग्रेस कमेटी ने एक साथ याद किया। कांग्रेस कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान शहर अध्यक्ष विजय पांडेय ने बताया कि प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन करीब दो साल तक चला। आंदोलन की अगुवाई तात्कालीन मुगल शासक बहादुर शाह जफर ने किया। अंग्रेज सरकार ने उन्हें निर्वासित कर मातृभूमि से अलग कर सबसे बड़ी सजा का एलान किया। विजय ने कहा कि 1947 में देश को आजादी मिली। आजादी की बुनियाद 1857 में ही रखी गयी थी।
          अपने संबोधन में शहर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन के कई कारण थे। वही कारण आगे चलकर 1947 में बना। इस आंदोलन से ईस्ट इंडियाकंपनी का भारत का शासन खत्म हुआ। सत्त्ता ब्रिटिश ताज को स्थानांतरित किया गया। साथ ही अंग्रेजो में भय का वातावरण बना। विस्तारवाद बर्बर और बेलगाम नीति को को भी लगाम लगा।
         प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन के बाद ही भारतवासियों को पहली बार कुछ अधिकार भी मिले। 90 साल बाद महात्मा गांधी की अगुवाई में कांग्रेस नेताओं के प्रयास से 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली। आजादी की लम्बी यात्रा में भारत माता ने लगभग 7.50 लाख सपूत को खोया।
            कांग्रेस नेता ज़फ़र अली, हरीश तिवारी,एसएल रात्रे और विनोद साहू ने बताया कि 10 मई को मेरठ से विद्रोह प्रारम्भ हुआ। मंगल पांडेय आंदोलन की बुनियाद बने।  शूरवीर मंगल को अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया। अंग्रेजो की जनहित विरोधी नीतियों बंगाल में कर मुक्त व्यापार,और विस्तारवाद ने जनता,सैनिक, छोटे-बड़े रियासतों को प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन के लिए मजबूर किया।
           विद्रोह का तात्कालीन कारण सुअर की चर्वी बना। सैनिकों ने 10 मई को मंगल पाण्डेय की अगुवाई में सशस्त्र विद्रोह किया। सेनानियों की संगठित कार्ययोजना के अभाव में अंग्रेजो ने विद्रोह बर्बर रूप से दमन किया। कांग्रेस नेताओं ने बताया कि विद्रोह का विस्तार उत्तर भारत और पूर्व तक हुआ।
               लेकिन मौकापरस्त ग्वालियर जैसे रियासतों के कारण हमें स्वतंत्रता संग्राम को नाकामी मिली। कार्यक्रम में शहर अध्यक्ष विजय पांडेय,ज़फ़र अली,हरीश तिवारी,विनोद शर्मा, त्रिभुवन कश्यप,माधव ओतलवार,डॉ बद्री जैसावल ,एसएल रात्रे, ब्रजेश साहू,विनोद साहू, जावेद मेमन, स्वर्णा शुक्ला, सुभाष ठाकुर,राजेश शर्मा, अर्जुन सिंह गणेश रजक,राजेन्द्र वर्मा,मनोज शर्मा,अखिलेश बाजपेयी,चन्द्रहास केशरवानी,आदेश पांडेय,त्रिवेणी भोई, सरिता शर्मा, अन्नपूर्णा ध्रुव,राज कुमार बंजारे,अजय पन्त,गोवर्धन श्रीवास्तव,अजय तिवारी,कमलेश लवहतरे,अमृत आनन्द,मुकेश धंगये, यूसुफ हुसैन,हेमन्त दिघरस्कर,जिग्नेश जैन,रेखेन्द्र तिवारी,पूना कश्यप,विजय चन्द्राकर,राजेश ताम्रकार,मोहन जैसावल,कसींम खान,रेहान रजा,लक्ष्मी जांगड़े, छोटू मोइत्रा,राकेश हंस,बिहारी पटेल,करम गोरख,दिलीप धृतलहरे,अयूब खान,अनिल शुक्ला विशेष रूप से मौजूद थे।
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