एरन इस्पात पॉवर जनसुवाई का विरोध..सिलपहरी सरपंच ने कहा.जनप्रतिनिधियों के साथ धोखा.अब और नहीं खाएंगे धोखा..रिपोर्ट को बताया झूठा

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—-आद्योगिक क्षेत्र सिलपहरी समेत 6 अन्य गांवों के सरपचों ने ग्रामीणों के साथ एरन इस्पात पावर जनसुनवाई का विरोध किया है। सरपंच और ग्रामीणों ने बताया कि पर्यावरण विभाग कब और कैसे बिना आम सहमति के जनसुनवाई का एलान कर देता है..किसी को कुछ पता ही  नहीं चलता। दो दिन पहले जानकारी मिली है कि सिलपहरी में एरन पॉवर प्लारन्ट का विस्तार किया जाएगा। मामले में जसुनवाई होगी। सिलपहरी सरपंच ने बताया कि पर्यारण विभाग के अधिकारी इतना मीठा बोलते हैं कि सुनने वाले मधुमेह हो जाए। दरअसल पर्यावरण विभाग सारे नियम निर्देशों को दरकिनार कर उद्योगपतियों के एजेंट की तरह काम करता है। और प्रभावितों को गोल मोल जवाब देकर रफा दफा कर देता हैं।
                 आजादी पर्व के दूसरे दिन सिलपहरी समेत आस पास के गांव के ग्रामीण और सरपंचों ने जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर अपनी पीड़ा को जाहिर किया। लिखित में शिकायत में सिलपहरी जनप्रतिनिधि ने एरन इस्पात संयत्र विस्तार की 18 अगस्त को होने वाली लोक जुनवाई को निरस्त किए जाने की मांग की है।   
 बन्द कमरे में तैयार हुई रिपोर्ट
                सिलपहरी सरपंच पति भागीरथी पटेल ने बताया कि पर्यावरण विभाग और एरन इस्पात संयत्र ने मिलकर बन्द कमरे में ईआईए रिपोर्ट तैयार किया है। रिपोर्ट में सारी जानकारी गलत है। दो दिन पहले ईआईए रिपोर्ट के बारे में हमे जानकारी मिली है। अभी तक हमें यह भी नहीं पता था कि कोई जनसुनवाई भी होने वाली है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सबसे नजदीक स्टेशन 12 किलोमीटर दूर दाधापारा  है। जबकि नजदीक स्टेशन महज पांच किलोमीटर की  दूरी पर बिलासपुर है। 
              इसी तरह रिपोर्ट में आवागमन की गलत जानकारी दी गयी है। रिपोर्ट के अनुसार धूमा बायपास की दूरी मात्र दो किलोमीटर है। जबकि तथाकथित एरन इस्पात संयत्र से बायपास की दूरी करीब चार किलोमीटर से अधिक है। जिस सड़क से परिवहन की बात की जा रही है दरअसल वह ग्रामीण पहुंच मार्ग है। यहां से भारी वाहनों का परिवहन संभव नहीं है। यदि होता भी है तो हर पल हादसा की स्थिति बनी रहेगी।

रिपोर्ट में एअर पोर्ट का जिक्र नहीं

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                  रिपोर्ट में जानबूझकर 11 किलोमीटर दूर चकरभाठा एअरपोर्ट का जिक्र नहीं किया गया है।  पास में ही फदहाखार का जंगल भी है। बावजूद इसके जंगल की जानकारी को रिपोर्ट से गायब किया गया है। सरपंच प्रतिनिधि और दिलीप अग्रवाल ने बताया कि फदहाखार जंगल फारेस्ट का ग्रीन जोन है। मामले की जानकारी सामने लाए जाने के बाद भी पर्यावरण विभाग ना केवल चुप है। बल्कि रिपोर्ट को गलत भी बताया। बावजूद इसके विभाग के अधिकारी नेकिसी प्रकार की कार्रवाई करना मुनासिब नहीं समझा। जाहिर सी बात है कि पूंजीपतियों के साथ विभाग जुगलबन्दी से इंकार नहीं किया जा सकता है।
प्रस्तावित सड़क का उपयोग नहीं
                सिलपहरी सरपंच ने बताया कि तथाकथित एरन इस्पात संयत्र के लिए पूर्व में कोरमी  और बसिया से सड़क प्रस्तावित किया गया है। बावजूद इसके सड़क का निर्माण नहीं कराया गया। पूर्व सरंपच ने मिली भगत कर धूमा और सिलपहरी से कोयला का परिवहन शुरू किया गया। आज सड़क की हालत बद से बदतर है। यदि इस्पात संयत्र का परिवहन बन्द कर सड़क मरम्मत का कार्य नहीं किया गया तो उग्र आंदोलन करेंगे। 
  सरपंचो को जानकारी ही नहीं
                प्रदर्शनकारियों ने बताया कि 18 अगस्त को जनसुनवाई होगी। इसकी जानकारी प्रभावित गांव के सरपंचों को भी नहीं है। नियमानुसार समय रहते धूमा, कोरमी, हरदी, बसिया, सिलपहरी, पोड़ी, बचरा, करार,सेवार,महमंद,लालखदान,देवरीखुर्द को होना चाहिए। लेकिन पर्यावरण विभाग ने जानकारी देना उचित नहीं समझा। मुलाकात के दौरान उन्होने बताया कि नियम अनुसार काम किया गया है। बाद में गलती का अहसास होने पर विभाग ने दो दिन ही पहले ही सरपंचों को जनसुनवाई का पत्र भेजा है। सिलपहरी सरपंच प्रतिनिधि ने बताया कि जनसुनवाई को लेकर मुनादी की कार्रवाई भी नहीं हुई है।
नाम गीतांजली स्पंज आयरन..इश्तहा एरन के नाम
                  दीलिप अग्रवाल ने बताया कि दरअसल प्लान्ट गीतांजली स्पंज आयरन के नाम से है। इसे एरन ने खरीदा। लेकिन इस जानकारी को छिपा कर रखा गया। ऐसा किया जाना जनता और जनप्रतिनिधियों के साथ धोखा है।
हर बार किसान और गरीबों धोखा
 
       सरपंच ने बताया कि क्षेत्र में पूर्व से स्थापित हनुमंत  स्पंज आयरन की जनसुनवाई हुई। आज दिनांक तक ग्राम पंचायत हरदी कला की भूमि को लेकर अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मांगा गया। बावजूद इसके हनुमंत स्पंज आयरन का लगातार औघोगिक विस्तार किया जा रहा है। हमारी मांग है कि जब तक ग्राम पंचायत से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया जाता है तब तक उघोग विस्तार कार्य पर रोक लगाई जाए। 
 
 ग्रामीण जन जीवन बदतर
 
         सिलपहरी सरपंच पति भागीरथी ने बताया कि हमारा उद्योग से कोई बैर नही है। लेकिन जनता को धोखे में रखकर किसी भी काम का हम समर्थन नहीं करेंगे। एरन इस्पात संयत्र संचालक ने पर्यावरण विभाग से मिली भगत कर बन्द कमरे में ईआईए रिपोर्ट तैयार किया है। रिपोर्ट की सारी जानकारी गलत है। 
 
                 भागरीथी ने यह भी बताया कि उद्योग स्थापित होने के बाद उद्योगपति हमेशा औद्योगिक मानकों की धज्जिया उड़ाते है।  झूठी रिपोर्ट पेश कर उद्योग स्थापित कर लिया जाता है।  जैसा कि एरन इस्पात संयत्र में हो रहा है। इसके बाद किसानों की स्थिति बद से बदतर हो जाती है। खेत की पैदावर बुरी तरह प्रभावित होती है। किसानों को रिक्शा चलाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
                            दिलीप ने बताया कि ईआईए रिपोर्ट में बताया गया है कि तथाकथित एरन स्पंच आयरन प्लान्ट में 46 सौ से अधिक पौधे हैं। मौके पर मात्र हजार से अधिक पौधे नहीं है।  और दावा किया जा रहा है कि अभी 2 हजार प्लान्ट लगाएंगे। क्या पर्यावरण अधिकारी को यह सब दिखाई नहीं दे रहा है। 
                 क्षेत्र की जनता चाहती है कि सुनवाई के पहले उद्योग नियमों के साथ अन्य शर्तों का ईमानदारी से पालन किया जाए। इसके बाद ही जनसुनवाई हो।

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