पदोन्नति की प्रक्रिया में शिक्षकों की वरिष्ठता पर सवाल,संभागों में प्रक्रिया तो शुरू पर नीति नियमो को लेकर असमंजस की स्थिति

Shri Mi
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रायपुर(मनीष जायसवाल)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने शिक्षको में मामले एक राहत वाली घोषणा बीते दिनों की थी जो अब पटरी पर तो आ चुकी है। इस महत्वकांक्षी योजना को पटरी से उतारने के लिए कुछ लोगों ने दुकानदारी भी खोल रखी है। वहीं कुछ शिक्षक संघ इसका विरोध कर रहे हैं पर प्रक्रिया को जारी रहने की बात भी कह रहे हैं। राज्य सरकार के निर्णय के अनुसार एल बी संवर्ग के शिक्षकों को प्रधान पाठक प्राथमिक शाला, शिक्षक, मिडिल प्रधान पाठक, व्याख्याता के पद पर पदोन्नति देने के लिए राज्य सरकार ने नियमो को एक बार के लिये शिथिल करते 5 साल के कार्य अनुभव को 3 साल करते हुए वन टाइम रिलैक्सेशन की घोषणा की थी इसका लाभ शिक्षक और सहायक शिक्षक संवर्ग को मिल रहा है इसकी प्रक्रिया संभागीय स्तर पर भी शुरू हो गई है।

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पदोन्नति की इस प्रक्रिया में तबादले में दूसरे जिलों से आये शिक्षको की वरिष्ठता पर सवाल उठने लगे हैं। एक शिक्षक संघ तबादलों से जुड़े दिशानिर्देश के आदेशों के नीति नियमो पर अपने संगठन का नाम लिखकर महत्वपूर्ण जानकारी साझा कर रहा है। वही दूसरा संगठन विभाग को ज्ञापन सौंपकर पारदर्शिता पूर्वक नियमानुसार पदोन्नति की प्रक्रिया पालन करने का अनुरोध कर रहा है। वहीं तीसरे संघ का कहना है कि यह प्रक्रिया से लाभ कम नुकसान अधिक है इससे हमारी पुरानी सेवा की गणना शून्य हो रही है।

अभिव्यक्ति की आजादी का सबसे नायाब उदाहरण वर्तमान में शिक्षकों के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दिखाई दे रहा है।और यह साबित भी कर रहा है कि मां सरस्वती का विशेष आशीर्वाद शिक्षकों को और रहता है। वरिष्ठता को लेकर दूसरे जिलों से तबादलों से आए शिक्षकों के बीच सामान्य प्रशासन विभाग की सोच के आगे …. नियमों की व्याख्या सोशल मीडिया में की जा रही है….। कोई कोर्ट जाने की बात कर रहा है ….। तो कॉमर्स के शिक्षक अपने वरिष्ठता और पदोन्नति को लेकर आशंकित है। जिसके जवाब हर कोई अपने तरीके से बात रहा है।

प्रधान पाठक प्राथमिक शाला और मिडिल स्कूल प्रधान पाठक की पदोन्नति इस लिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही क्योकि इस पद पर अधिकांश स्कूलों में एलबी संवर्ग के शिक्षक प्रभारी की भूमिका में सेवा दे रहे है। पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू हुई है सूची जारी होने के बाद दावा आपत्ति भी मांगी जाने वाली है।अभी गाड़ी पटरी पर ठीक से दौड़ी भी नही है। लेकिन रायता फैलाने वालों ने इतना रहता फैला दिया है कि सरकार की योजना से जन लाभ कम नाराजगी अधिक दिखाई दे रही है। सरकार समर्थित आईटी सेल इस मामले पर अगर नजर रख रही होगी सत्ता के रणनीतिकाको को मामले की तह समझने में देर नहीं लगेगी।

इस बात में दो मत नहीं होना चाहिए कि संविलियन के पूर्व शिक्षकों के तबादले की जो नीति थी व शिक्षक संघों की मांग और मौके की नजाकत को देखते हुए बनाई गई थी क्योंकि प्रदेश के शिक्षा कर्मी जनपद, जिला पंचायत और नगरीय निकाय के कर्मचारी हुआ करते थे जो पंचायत विभाग के आधीन हुआ करते थे। पूर्व में जिन्हें पंचायत कर्मी भी कहा जाता था। संविलियन के बाद इस संवर्ग के शिक्षक स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत राज्य के कर्मचारी हो गए हैं। ऐसे में पुराने नीति नियम कितने प्रसांगिक होंगे। इसे छत्तीसगढ़ सामान्य प्रशासन विभाग ही तय करेगा लेकिन रायता जबरदस्त फैल चुका है कुछ लोगों की दुकाने रायते की वजह से जरूर चल निकलने का अनुमान शिक्षक संघ से जुड़े लोग निकाल रहे है।

इस विषय के जानकारों से हुई चर्चा में एक बाद उभर कर आती है कि सामान्यतः नियमनुसार कोई भी का एक नियोक्ता से दूसरे नियोक्ता में स्थानांतरण होता है तो वहां के लिए कनिष्ठ होंगे परन्तु पदोन्नति का लाभ जिस पद पर प्रथम नियुक्ति तिथि / कार्यभार ग्रहण तिथि किया है उसी दिन से की जाती है । चुकी शिक्षाकर्मियों के मामले में शासन के बहुत सारे आदेश स्पष्ट नहीं होते थे और गोल मोल भी जारी हो जाते है जो विवादित की स्थिति बना देते है। संविलियन से पूर्व के शिक्षाकर्मियों के मामले में ऐसे ही कई दिशा निर्देश आज भी भ्रमित करते हैं।जिसकी वजह से जिला और संभाग स्तर के कार्यालयों को वरिष्ठ कार्यालय से मार्गदर्शन मांगना पड़ता है । कहा जाता है कि अंतिम निर्णय सामान्य प्रशासन विभाग से जारी नवीनतम निर्देश को ही माना जाता है। या फिर न्यायालय जो नवीनतम निर्णय करता है उस निर्णय को आधार माना जाता है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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