रेलवे यूनियन (Railway Union) ने कोविड ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले फ्रंटलाइन रेल कर्मचारियों (Frontline workers) के परिजनों को मुआवजे के तौर पर 50 लाख रुपये दिए जाने की मांग उठाई है. रेलवे के सबसे बड़े संघ ने कहा कि कोरोना संकट (Corona Pandemic) के दौरान अपनी ड्यूटी करते हुए जिन रेलकर्मियों की मौत हो गई, उनके परिजनों को सरकार की तरफ से 50 लाख का मुआवजा दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “यूनियन पहले भी इस मुद्दे को CEO/अध्यक्ष के सामने उठा चुका है और हमें उम्मीद है कि रेलवे के कर्मचारियों के परिजनों के लिए जल्द ऐसी घोषणा की जाएगी.”
रेल मंत्री पीयूष गोयल (Railway Minister Piyush Goyal) को लिखे पत्र में, ऑल इंडिया रेलवेमैन फेडरेशन (AIRF) के महासचिव शिवा गोपाल मिश्रा ने कहा कि महामारी के दौरान लगभग 1,500 रेलवे कर्मचारियों की मौत हो गई, जबकि एक लाख से ज्यादा संक्रमित हो गए हैं. इसी के साथ, उन्होंने बताया कि 65,000 से ज्यादा लोग कोरोना से ठीक होने के बाद फिर से अपनी ड्यूटी पर लग गए हैं, जिसकी तारीफ मंत्री पियूष गोयल और प्रधानमंत्री मोदी ने भी की है. पीएम मोदी ने रेल कर्मचारियों कर्मचारियों को भी कोरोना वॉरियर्स का नाम दिया है.
“कोरोना संकट के बीच भी 24×7 कर रहे ड्यूटी”
मिश्रा ने कहा कि ऐसे कोरोना वॉरियर्स की मौत के बाद उनके परिजनों को दिया जाना वाला ये मुआवजा उनके परिवारों के लिए बड़ी मदद बनेगा. मिश्रा ने अपने पत्र में कहा, “हम प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताते हैं, जब ‘मन की बात’ के दौरान उन्होंने रेलवेकर्मियों को कोरोना वॉरियर्स बुलाया था. शुरुआत से ही AIRF अलग-अलग कैडरों के बीच समानता की मांग कर रहा है जो इस कोरोना संकट के बीच भी 24 घंटे और हफ्ते के सातों दिन काम कर रहे हैं और अपने जीवन को संकट में डाल रहे हैं.”
“रेलकर्मियों को दिया जा रहा 25 लाख का मुआवजा”
उन्होंने आगे कहा, “हालांकि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि फ्रंटलाइन वर्कर्स की अन्य कैटेगरी में- मेडिकल कर्मचारियों, सुरक्षाबलों, स्वच्छता कर्मचारियों आदि को मुआवजे के तौर पर 50 लाख रुपये दिए जा रहे हैं, लेकिन रेलवे के कर्मचारियों को केवल 25 लाख का भुगतान किया जा रहा है.” उन्होंने कहा, “ये एक बड़ी असमानता है और हम अनुरोध करते हैं कि रेलवे के कर्मचारियों के परिवारों का भी मनोबल बढ़ाने के लिए 25 लाख के स्थान पर 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए और इस असमानता को दूर किया जाए.”