छंदशाला में छंद की बरसात..कवियों ने दोहा,गीत सुनाकर किया मंत्रमुग्ध..जमकर बटोरी तालियां

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—– छंदशाला स्थापना दिवस कार्यक्रम का आयोजन शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर  रेशम अनुसंधान केंद्र लखनी देवी मंदिर के पास मेंड्रापार रतनपुर में मनाया गया। नामचीन 50 से अधिक कवियों ने कार्यक्रम में शिरकत किया। कार्यक्रम का आयोजन दो सत्रों में किया गया। इस दौारन कवियों ने जमकर गीत छंद सोरठा और दोहा का पाठ किया। 
 
     छंदशाला स्थापना दिवस मेन्ड्रापारा में मनाया गया।  कार्यक्रम का आयोजन दो चरणों में किया गया। प्रथम सत्र में अतिथि परिचय और संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि की जिम्मेदारी बुधराम यादव ने निर्वहन किया। जबकि संगोष्ठी की अध्यक्षता हरबंस शुक्ला ने किया।  भारतेंदु साहित्य समिति के सचिव विजय तिवारी और छंदशाला की संयोजिका डॉ सुनीता मिश्रा ने स्वागत भाषण दिया।
 
छंदशाला को हमेशा याद रखा जाएगा
 
              मुख्य अतिथि बुधराम यादव ने छंदशाला के कार्यों की जमकर सराहना की है। उन्होने कहा कि बिलासपुर के साहित्यिक वातावरण की अद्वितीय कडी के रुप छंदशाला को हमेशा याद किया जाएगा। छंद रचना मे अनुशासन के महत्व पर भी बुधराम यादव ने  प्रकाश डाला।अध्यक्षता कर रहे हरबंस शुक्ला ने नवरात्रि के महत्व पर अपनी बातों को रखा। उन्होने माता की अपर्णा स्वरूप और नारी शक्ति के सृजन पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ कवि विजय तिवारी ने छंदशाला मे स्वयं के साथ अन्य रचनाकारों की उत्तरोत्तर प्रगति पर बात खुशी का इजहार किया। डॉ .सुनीता मिश्रा ने कहा कि आपदा काल से आज तक यानि दो वर्षों तक रचनात्मक योगदान देने वाले रचनाकारों के वैशिष्ट्य को हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होने छंदशाला को अनुभूतियों के सृजन की पाठशाला कहा ।
 
आपदा में अवसर
 
            जानकारी देते चलें वैश्विक आपदा काल मे छंदबद्ध रचनाओं को सीखने के उद्देश्य से छंदशाला का गठन 24मार्च 2020 को किया गया। छन्दशाला की स्थापना का श्रेय डॉक्टर सुनीता मिश्रा और विजय तिवारी को जाता है। इस दौरान दोनो कवियों ने आपदा को अवसर में बदलने का बीड़ा उठाया।  समूह 17 रचना धर्मी, सदस्यों से शुरु हुआ और आज साथ में शुरू हुआ छंदबद्ध रचनाओं को सीखने और सिखाने का क्रम । सुनीता मिश्रा ने बताया कि अभी भी कवि विजय तिवारी छंद बद्ध रचनाएं,  दोहा, सोरठा,चौपाई, कुंडलियाँ, गीत, दोहा-गीत, सजल के, मात्रा भार के साथ ही, भाव और लय पर नव रचनाकारों के साथ काम कर रहे हैं। आज छंद शाला में,चालीस से अधिक सदस्य हैं। 
 
कवियों ने जमकर बटोरी तालियां
             कार्यक्रम का द्वितीय चरण में कवियों ने कविता पाठ किया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि अमृतलाल पाठक शामिल हुए। अध्यक्षता  की जिम्मेदारी कवियत्री रश्मिलता मिश्रा ने उठाया। कार्यक्रम का संचालन सुषमा पाठक और हरबंस शुक्ला ने किया।
 
             कविता चरण का प्रारम्भ कोटा से आई कवयित्री सोमप्रभा तिवारी के मधुर गीत से हुआ। कवि मयंक मणि दुबे ने मोहजाल गजदंत सखे ,कब इच्छा का अंत सखे गीत सुनाकर जमकर तालियां बटोरी। रतनपुर के कवि राजेंद्र वर्मा ने सत्य की राह माना कठिन है, मगर सत्य की ही डगर चलना चाहिए सुनाया । प्रमोद कश्यप,  दिनेश पांडेय की कविता ने लोगों को तरोताजा किया। रामेश्वर सांडिल्य , शुकदेव कश्यप , विजय तिवारी की रचनाओं ने लोगों प्रभावित किया। विनय पाठक ,सुषमा पाठक के गीत ने उपस्थित लोगों को अंतरमन तक छूने का काम किया। 
 
       रश्मिलता मिश्रा ने मधुर गीत पेश कर महौल  को रसमय बनाया। सतीश पांडे  और  सेवकराम ने गजल पेश किया। अशरफी लाल सोनी के हास्य कविता ने लोगों को लोटपोट के लिए मजबूर किया। डॉ. सुनीता मिश्रा के गीत जीवन के आपाधापी मे छंदों का सोपान मिले ने खूब तालियां बटोरी । अंत में विनय पाठक ने आभार प्रदर्शन किया।
 
कवियों ने किया शिरकत
           छंदशाला स्थापना दिवस कार्यक्रम मे वरिष्ठ कवि बुधराम यादव,बसंत पांडेय, विजय तिवारी, रेखराम साहू , मानिकपुरी , रश्मिलता मिश्रा , अमृतलाल पाठक , अशरफी लाल सोनी , सतीश पांडेय , अवधेश अग्रवाल , मयंकमणि दुबे , डॉ. सुनीता मिश्रा ,सुषमा पाठक ,मनीषा भट्ट ,ओमप्रकाश भट्ट , रश्मिलता मिश्रा , सेवकराम , दिनेश पांडे ,सोमप्रभा तिवारी , हरबंस शुक्ला , रामेश्वर शांडिल्य ,शुकदेव कश्यप ,अच्छे पाठक समेत अन्य श्रोताओं की उपस्थिती रही ।कार्यक्रम का सफल संचालन सुषमा पाठक और हरबंस शुक्ला ने भागीदारी को निभाया।

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