राजस्थान में BSP ने बढ़ाई Congress की मुश्किलें,यहाँ भी मामला दिलचस्प

Shri Mi
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Rajya Sabha Elections 2022: संसद के उच्च सदन यानी राज्य सभा के लिए 41 उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित घोषित हो चुके हैं. ऐसे में अब बाकी बची 16 सीटों पर 10 जून को वोटिंग होगी और इसी दिन नजीते भी घोषित कर दिए जाएंगे. निर्विरोध निर्वाचित घोषित 41 उम्मीदवारों में कांग्रेस के पी चिदंबरम और राजीव शुक्ला, बीजेपी की सुमित्रा वाल्मीकि और कविता पाटीदार, कांग्रेस के पूर्व नेता कपिल सिब्बल, राष्ट्रीय जनता दल की मीसा भारती और राष्ट्रीय लोकदल के जयंत चौधरी जैसे बड़े नेता भी शामिल हैं. राज्य सभा चुनाव कांग्रेस के लिए मुश्किल साबित हो रहे हैं. राजस्थान जैसे राज्य, जहां कांग्रेस की सरकार है, वहां मायावती की बसपा ने पार्टी के लिए मुसीबतें खड़ी कर दी हैं. यही हाल कुछ हरियाणा का भी है.

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राजस्थान में BSP ने बढ़ाई कांग्रेस की मुश्किलें!
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राजस्थान इकाई ने एक व्हिप जारी करके उन 6 विधायकों को राज्यसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा को अपना मत देने को कहा, जो पार्टी के चुनाव चिह्न पर चुनाव जीते थे, लेकिन बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे.  बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा ने व्हिप जारी कर कहा कि 2018 में विधानसभा चुनाव में बसपा के चुनाव चिह्न पर जीतने वाले छह विधायक ‘‘पार्टी व्हिप से अनुसार काम करने के लिए बाध्य हैं.’’ बसपा कांग्रेस और बीजेपी की नीतियों से सहमत नहीं है, इसलिये उनके उम्मीदवारों का विरोध करती है. इन छह विधायकों में राजेन्द्र गुढा, लाखन मीणा, दीपेन्द्र खेरिया, संदीप यादव, जोगिन्दर अवाना, और वाजिब अली शामिल हैं. राजस्थान से राज्यसभा की चार सीट के लिए चुनाव होगा.

हरियाणा में कुलदीप बिश्नोई ने बिगाड़ा कांग्रेस का गणितहरियाणा में कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस के नाराज विधायक कुलदीप विश्नोई में वार-पलटवार शुरू हो गया है. कांग्रेस आलाकमान से लेकर हरियाणा से राज्यसभा उम्मीदवार अजय माकन विश्नोई को मानने की कोशिश कर रहे हैं. कांग्रेस के लिए चिंता की बात यह है कि हरियाणा से राज्यसभा जाने के लिए एक उम्मीदवार को 31 वोट चाहिए और कांग्रेस के पास 31 विधायक ही हैं. क्रॉस वोटिंग से बचने के लिए कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को रायपुर भेज दिया है. अजय माकन खुद विश्नोई को मानने की कवायद में लगे हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि अगर राहुल गांधी विश्नोई से मिल लेंगे तो बात बन सकती है | हरियाणा की एक राज्यसभा सीट पर बीजेपी की उम्मीदवार की जीत तय है. दूसरी सीट पर कांग्रेस के अजय माकन का मुकाबला निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा से है, जिन्हें जेजेपी और बीजेपी का समर्थन प्राप्त है. अपने वोट को लेकर विश्नोई ने सस्पेंस बना कर रखा हुआ है. हाल में उन्होंने कहा था कि वो अपनी अंतरात्मा की आवाज पर मतदान करेंगे.

कर्नाटक का खेल समझिए

कर्नाटक से राज्यसभा की चार सीट के लिए छह उम्मीदवार मैदान में हैं. चौथी सीट के लिए कांटे की टक्कर होगी. चौथी सीट जीतने के लिए पर्याप्त संख्या में वोट नहीं होने के बावजूद, राज्य के सभी तीन राजनीतिक दलों बीजेपी, कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) ने इस सीट के लिए उम्मीदवार खड़े किए हैं. कांग्रेस से पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश और राज्य महासचिव मंसूर अली खान और जद (एस) के पूर्व सांसद डी कुपेंद्र रेड्डी शामिल हैं. दिलचस्प बात यह है कि जेडीएस की ओर से रेड्डी के निर्वाचन को सुनिश्चित करने के लिए समर्थन मांगने के बावजूद कांग्रेस ने नामांकन पत्र वापस नहीं लिया और अपने सभी विधायकों को पार्टी के उम्मीदवारों को वोट देने के लिए एक व्हिप जारी कर दिया. जेडीएस ने धर्मनिरपेक्षता का आह्वान करके और सांप्रदायिक ताकतों को दूर रखने के लिए कांग्रेस का समर्थन मांगा है. ऐसा बताया जाता है कि पार्टी प्रमुख एचडी देवेगौड़ा ने इस संबंध में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी चर्चा की थी. पार्टी के दूसरे उम्मीदवार के रूप में खान के नाम की घोषणा कांग्रेस द्वारा एक आश्चर्यजनक कदम है, क्योंकि उसके पास सिर्फ एक सीट जीतने के लिए पर्याप्त वोट हैं.

किन-किन राज्यों से निर्विरोध निर्वाचित हुए 41 उम्मीदवार?

उत्तर प्रदेश में सभी 11, तमिलनाडु में छह, बिहार में पांच, आंध्र प्रदेश में चार, मध्य प्रदेश और ओडिशा में तीन-तीन, छत्तीसगढ़, पंजाब, तेलंगाना और झारखंड में दो-दो और उत्तराखंड में एक उम्मीदवार बिना किसी मुकाबले के निर्वाचित हुए. निर्विरोध निर्वाचित घोषित किये गए 41 उम्मीदवारों में से 14 बीजेपी के, चार-चार कांग्रेस और वाईएसआर कांग्रेस के हैं. द्रविड़ मुनेत्र कषगम और बीजू जनता दल के तीन-तीन, आम आदमी पार्टी, राजद, तेलंगाना राष्ट्र समिति, अन्नाद्रमुक के दो-दो, झामुमो, जद(यू), सपा और रालोद के एक-एक नेता और निर्दलीय कपिल सिब्बल शामिल हैं.

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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