Ram navami;रामनवमी पर रामचरितमानस की इन चौपाईयों के हवन से पूरे होंगे सब काम

Shri Mi
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Ram Navami।गोस्वामी तुलसीदास जी कृत रामचरित मानस को हिंदू धर्मावलंबियों में एक सर्वमान्य ग्रंथ माना जाता है। इस काव्य ग्रंथ में भगवान राम के जीवन और चरित्र का वर्णन किया गया है। तुलसीदास जी ने इस ग्रंथ में विभिन्न स्थानों पर चौपाईयों के रूप में मंत्रों का भी प्रयोग किया है। भगवान शिव ने भी इन चौपाईयों को मंत्र-शक्ति प्रदान की है।

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आचार्य अनुपम जौली के अनुसार ये सभी चौपाईयां अपने आप में सिद्ध मंत्र हैं। इनके प्रयोग से व्यक्ति अपने जीवन की सभी समस्याओं को सुलझा सकता है। इन्हें सिद्ध करना भी बहुत आसान है। इसके लिए आपको केवल इतना सा करना है कि रामनवमी (Ram Navami), दशहरा अथवा अन्य किसी शुभ मुहूर्त में जप और हवन करना है।

किसी शुभ दिन और मुहूर्त में एकांत और पवित्र स्थान पर स्नान कर पूजा आरंभ करें। सर्वप्रथम गणेशजी की पूजा कर भगवान शिव, मां पार्वती, भगवान राम, सीताजी, लक्ष्मणजी और हनुमानजी की पूजा कर अपने गुरु को प्रणाम करें। उन सभी से मन ही मन आशीर्वाद लें। इसके बाद अपने उद्देश्य के अनुसार यहां दी गई चौपाईयों में एक चौपाई का जप करें।

ध्यान रखें कि उस चौपाई का एक सौ आठ बार हवन करना है। यह कार्य किसी विद्वान आचार्य की ही देखरेख में होना चाहिए। हवन सामग्री के रूप में आपको चन्दन का बुरादा, तिल, शुद्ध घी, चीनी, अगर, तगर, कपूर, शुद्ध केसर, नागरमोथा, पञ्चमेवा, जौ और चावल को समान मात्रा में लेकर मिलाना है। पञ्चमेवा और केसर को कम भी रखा जा सकता है। इन सभी सामग्रियों को मिलाकर इनसे उस चौपाई का जप करते हुए हवन करना होता है। हवन के बाद प्रतिदिन उस चौपाई का 108 बार जप करते रहें। इससे निश्चित रूप से कार्य पूरा होता है।

रामचरितमानस की सिद्ध चौपाईयां

श्रीहनुमान् जी को प्रसन्न करने के लिए
“सुमिरि पवनसुत पावन नामू। अपनें बस करि राखे रामू।।”

सभी तरह की आपत्ति के विनाश के लिये / भूत भगाने के लिये
“प्रनवउँ पवन कुमार,खल बन पावक ग्यान घन।
जासु ह्रदयँ आगार, बसहिं राम सर चाप धर॥”

“परिवार में सुख-शांति और प्रेम बढ़ाने के लिए
सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती॥”

विद्या प्राप्ति के लिये
“गुरु गृहँ गए पढ़न रघुराई। अलप काल विद्या सब आई॥”

परीक्षा / शिक्षा की सफ़लता के लिये
“जेहि पर कृपा करहिं जनु जानी। कबि उर अजिर नचावहिं बानी॥
मोरि सुधारिहि सो सब भाँती। जासु कृपा नहिं कृपाँ अघाती॥”

यात्रा सफ़ल होने के लिये
“प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। ह्रदयँ राखि कोसलपुर राजा॥”

शीघ्र विवाह के लिये
“तब जनक पाइ वशिष्ठ आयसु ब्याह साजि सँवारि कै।
मांडवी श्रुतकीरति उरमिला, कुँअरि लई हँकारि कै॥”

शत्रु को मित्र बनाने के लिये
“गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई॥”

मुकदमा जीतने के लिये
“पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना॥”

सर्व-सुख-प्राप्ति के लिये
“सुनहिं बिमुक्त बिरत अरु बिषई। लहहिं भगति गति संपति नई॥”

ऋद्धि-सिद्धि प्राप्त करने के लिये
“साधक नाम जपहिं लय लाएँ। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएँ॥”

लक्ष्मी प्राप्ति के लिये
“जिमि सरिता सागर महुँ जाही। जद्यपि ताहि कामना नाहीं।।
तिमि सुख संपति बिनहिं बोलाएँ। धरमसील पहिं जाहिं सुभाएँ॥”

नजर झाड़ने के लिये
“स्याम गौर सुंदर दोउ जोरी। निरखहिं छबि जननीं तृन तोरी॥”

मोक्ष-प्राप्ति के लिये
“सत्यसंध छाँड़े सर लच्छा। काल सर्प जनु चले सपच्छा॥”

श्रीरामचन्द्रजी को वश में करने के लिये
“केहरि कटि पट पीतधर सुषमा सील निधान।
देखि भानुकुल भूषनहि बिसरा सखिन्ह अपान॥”

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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