केबिनेट फैसले-नलकूपों-कुंओं के मध्य 300 मीटर की दूरी की बाध्यता समाप्त,जल्द शुरू होगी मुख्यमंत्री सौर शक्ति योजना

Chief Editor
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cabi_in_vidhansabhaरायपुर-मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में विधानसभा परिसर स्थित समिति कक्ष में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में सौर सुजला योजना के तहत किसानों को दी जा रही सिंचाई सुविधा को पूरे राज्य में विस्तारित करने का निर्णय लिया गया है। अब तक इस योजना में प्राथमिकता के आधार पर किसानों के उन खेतों में सोलर सिंचाई पम्प प्रदान किए जा रहे थे, जहां बिजली के तार खींचकर बिजली पहुंचाना संभव नहीं था। मंत्रिपरिषद कीे बैठक में किसानों के हित में सफल नलकूपों पर तीन हार्स पावर तक के सोलर सिंचाई पम्प तथा कुंओं पर पांच हार्सपावर तक के सोलर पम्प की स्थापना के लिए सफल नलकूपों तथा कुंओं के मध्य 300 मीटर की दूरी की बाध्यता को भी समाप्त कर दिया गया है। इस निर्णय के कारण और अधिक संख्या में छोटे एवं सीमांत किसानों को सोलर पम्प से सिंचाई की सुविधा मिल सकेगी। सौर सुजला योजना में पांच हजार रूपए से बीस हजार रूपए तक के अंशदान पर किसानों के लिए चार लाख रूपए से अधिक लागत के सोलर पम्प की स्थापना की जा रही है। इन सिंचाई पम्पों की स्थापना से किसानों को निःशुल्क सिंचाई की सुविधा मिलेगी।

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मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित केबिनेट की बैठक में प्रदेश में रूफटॉप सोलर पावर प्लांट को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री सौर शक्ति योजना लागू करने का निर्णय लिया गया। इस योजना के तहत 10 किलोवाट क्षमता के रूफटाप सोलर पावर प्लांट की स्थापना के लिए क्रेडा द्वारा निविदा आमंत्रित कर न्यूनतम दर पर सोलर पावर प्लांट से उत्पादित बिजली का क्रय करने के लिए सिस्टम एन्टीग्रेटर से प्राप्त प्रस्ताव को मान्य कर दिया गया है। पूरे राज्य में न्यूनतम दर पर सोलर पावर प्लांट से बिजली का क्रय कर सोलर पावर प्लांट की स्थापना की अनुमति सिस्टम इंटीग्रेटर को दी जाएगी। यह योजना क्रेडा के माध्यम से छत्तीसगढ़ विद्युत वितरण कम्पनी और सिस्टम इंटीग्रेटर के समन्वय से लागू की जाएगी। इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2020 तक लगभग 400 मेगावाट क्षमता तक के रूफटॉप सोलर पावर प्लांट की स्थापना की संभावना है।



निर्धारित न्यूनतम दर पर क्रेडा में पंजीकृत अन्य सिस्टम इंटीग्रेटर द्वारा भी प्रदेश के शासकीय, निजी, वाणिज्यिक, संस्थागत भवनों की छतों पर दस किलोवाट क्षमता तक के सोलर पावर प्लांट की स्थापना स्वयं के व्यय पर की जाएगी। योजना के अंतर्गत सोलर पावर प्लांट से उत्पादित बिजली का उपयोग भवन स्वामी कर सकेंगे और अतिरिक्त बिजली ग्रिड में सप्लाई की जाएगी। ग्रिड में सप्लाई की गई बिजली के लिए छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कम्पनी (छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनी) द्वारा भवन के स्वामी को राज्य के विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित दर पर भुगतान किया जाएगा। इससे भवन के स्वामी को बिजली की मद में आने वाले व्यय में राहत मिलेगी।

छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा सोलर पावर प्लांट से उत्पादित कुल बिजली के आधार पर सिस्टम इंटीग्रेटर द्वारा प्रस्तावित न्यूनतम दर के मान से बिल की राशि वसूल कर भुगतान सिस्टम इंटीग्रेटर को किया जाएगा, जो उसके निवेश की वापसी की गारंटी देगा और उसकी आय का स्त्रोत भी रहेगा। मुख्यमंत्री ने मीडिया कर्मियों से चर्चा को दौरान इस योजना के संबंध में बताया कि सोलर पावर प्लांट में पैदा होने वाली बिजली का शुल्क कम होगा। रूफटॉप सोलर पावर प्लांट स्थापित करने के लिए छत पर कम से कम दो हजार वर्गफीट जगह की आवश्यता होगी। मुख्यमंत्री सौर शक्ति योजना से लोग आसानी से सोलर बिजली के उत्पादन से जुड़ सकेंगे। इसके लिए भवन मालिक के साथ अनुबंध भी किया जा सकेगा। हर घर की छत पर सोलर बिजली घर बन सकेगा।

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