Right to Health BillL: राजस्थान में प्राइवेट डॉक्टरों का आंदोलन जारी, समझें क्या है विवाद

Holiday News, CG Contract Workers, cg news,Demonstration of irregular workers of urban bodies,Officer employees will go on indefinite strike from 22, federation is preparing,From 25 to 29, there will be pen-off, work-off strike,warehouse workers on strike,chhattisgarh,news,cg news,hindi news,सरकारी ,दफ्तर, निगम, मंडलों,हजारों कर्मचारियों , नियमित, मांग ,राजधानी ,धरना प्रदर्शन,शिक्षक पंचायत,बस्तर,शिक्षामंत्री.धरना प्रदर्शन,शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा,प्रान्तीय संचालक विकास सिंह राजपूत,नवीन शिक्षाकर्मी संघ,प्रदेशाध्यक्ष व शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा
Join WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Right to Health BillL-राजस्थान में हड़ताल कर रहे प्राइवेट डॉक्टरों के समर्थन में अब सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर और मेडिकल कॉलेजों के फैकल्टी मेंबर भी उतर आए हैं. राजस्थान सरकार के राइट टू हेल्थ बिल के खिलाफ डॉक्टरों ने एक दिन का सामूहिक अवकाश लेने का ऐलान कर दिया है. प्राइवेट डॉक्टरों के बाद सरकारी डॉक्टरों के छुट्टी पर जाने से राजस्थान में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. इस पर राजस्थान सरकार ने कहा है कि बिना अनुमति के छुट्टी पर जाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. राजस्थान सरकार राइट टू हेल्थ बिल पर झुकने को तैयार नहीं है. यही वजह है कि बीते एक हफ्ते से राजस्थान में डॉक्टरों की हड़ताल जारी है.

Right to Health BillL-राज्‍य स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपलों को निर्देश दिया है कि ओपीडी, आईपीडी, आईसीयू, आपात और प्रसूति वार्ड में चिकित्सा सेवाएं प्रभावित न हों. सरकार ने दो टूक कहा है कि जो डॉक्टर या स्टाफ बिना छुट्टी की अनुमति लिए, ड्यूटी से अनुपस्थित होते हैं उन्हें स्वेच्छा से अनुपस्थित मानते हुए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी. इसी तरह सभी विभागाध्यक्षों को निर्देशित किया गया है कि रेजिडेन्ट डॉक्टरों द्वारा किसी भी प्रकार की काम के प्रति लापरवाही, राजकीय संपत्ति को नुकसान, मरीजों और परिजनों से दुर्व्यवहार किए जाने पर उनका रजिस्ट्रेशन रद्द करने की कार्रवाई शुरू करें.

इमर्जेंसी सेवाओं पर नहीं पड़ेगा असर
ऑल राजस्थान इन सर्विस डॉक्टर्स एसोसिएशन ने मंगलवार को आंदोलनरत डॉक्टरों के समर्थन में बुधवार को एक दिवसीय हड़ताल की घोषणा की. एसोसिएशन के महासचिव डॉ. शंकर बामनिया ने कहा कि आरटीएच विधेयक के खिलाफ न‍िजी चिकित्सकों के आंदोलन के समर्थन में 15,000 से अधिक कार्यरत (सरकारी) डॉक्टर एक दिन के सामूहिक अवकाश पर रहकर काम का बहिष्कार करेंगे. इनके साथ ही मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर भी काम का बहिष्कार करेंगे. उन्होंने कहा कि आपातकालीन सेवाएं इससे प्रभावित नहीं होंगी. 

क्या है राइट टू हेल्थ बिल का विवाद?
राजस्थान विधानसभा ने 21 मार्च को राइट टू हेल्थ बिल को पास कर दिया है. गजट नोटिफिकेशन जारी होते ही यह लागू भी हो जाएगा. इस बिल में नियम बनाया गया है कि हर नागरिक को हेल्थ का अधिकार है. सीधे शब्दों में कहें तो इसके तहत किसी भी व्यक्ति को कोई अस्पताल या डॉक्टर इलाज से इनकार नहीं कर सकता है. इसमें यह भी कहा गया कि इमरजेंसी के हालात में किसी मरीज को एडमिट करने से पहले उससे पैसे नहीं मांगे जाएंगे. पहले इलाज किया जाएगा फिर पैसे की बात आएगी. सारा विवाद इसी को लेकर शुरु हआ है.

प्राइवेट डॉक्टरों का कहना है कि आरटीएच बिल से निजी अस्पतालों के कामकाज में नौकरशाही का दखल बढ़ेगा. प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम सोसायटी के सचिव डॉ. विजय कपूर ने कहा है कि मुख्यमंत्री ने अभी तक डॉक्टरों को बातचीत के लिए नहीं बुलाया है. मुख्य सचिव उषा शर्मा और राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने रविवार को आंदोलनरत निजी अस्पतालों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की और उन्हें बिल के बारे में उनके सुझावों पर चर्चा करने का आश्वासन दिया. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि व‍िधेयक वापस नहीं लिया जाएगा क्योंकि डॉक्टरों द्वारा दिए गए सभी सुझावों को पहले ही व‍िधेयक में शामिल कर लिया गया है और इसलिए यह मांग अनुचित है.

राइट टू हेल्थ बिल के अहम बिंदु:-

  • इमरजेंसी में इलाज के लिए आए किसी मरीज को पैसों की वजह से कोई अस्पताल मना नहीं कर सकता है.
  • कानून बन जाने के बाद अस्पतालों को बिना पैसे लिए ही इलाज करना पड़ेगा. अभी ज्यादातर अस्पताल पैसे लेने के बाद ही इलाज शुरू करते हैं.
  • ये नियम सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ प्राइवेट अस्पतालों और हेल्थ केयर सेंटर पर भी लागू होंगे.
  • इलाज के बाद ही मरीज से पैसे मांगे जाएंगे. अगर वह मरीज पैसे देने में असमर्थ होगा तो पैसे सरकार चुकाएगी या फिर उसे दूसरे अस्पताल में शिफ्ट कर देगी.
  • इलाज करने से मना करने पर पहली बार में 10 हजार रुपये का जुर्माना और दूसरी बार में 25 हजार रुपये जुर्माना का प्रावधान रखा गया है.
  • प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का कहना है कि बिना पैसों के इलाज कैसे किया जा सकता है.
Rajasthan News: नवीन निजी विश्वविद्यालयों की आवश्यकता के आकलन के लिए मंत्रिमंडलीय समिति का गठन
READ