सूचना अधिकार आयोग चैयरमैन ने कहा..जानकारी नहीं दिए जाने का सवाल ही नहीं..लगेगा जुर्माना..राऊत ने बताया..7 दिनों में शुरू हो जाएगी ऑनलाइन सुविधा

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—जन सूचना अधिकार के नियमों में समय समय पर कुछ परिवर्तन भी होता है। इसलिए समय समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है। परिवर्तन और कामकाज की प्रक्रिया को लेकर समय समय पर अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाता है। यह बातें सूचना आयोग के चैयरमैन एमके राऊत ने मंथन सभागार में आयोजित जन सूचना अधिकार प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद कही। राऊत ने बताया कि निश्चित रूप से जानकारी देने में बिलासपुर की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। इस बात को लेकर अधिकारियों पर फाइन लगाया गया है। खासकर पुलिस और निगम जानकारी देने में बहुत अधिक सक्रिय नहीं है।

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दस हजार पेन्डिंग

                          जनसूचना आयोग के चैयरमैन एमके राउत ने प्रशिक्षण कार्यशाला में शामिल होने के बाद पत्रकारों से रूबरू हुए। सवाल जवाब के दौरान उन्होने बताया कि दस हजार से अधिक मामले पेन्डिंग है। निश्चित रूप से आंकडा बड़ा है। लेकिन इस बात को हमैें समझना होगा कि एक लाख से अधिक संख्या में जानकारियों को उपलब्ध भी कराया गया है। आंकड़े नहीं दिए जाने के कई कारण है। इसमें अधिकारियों की लापरवाही प्रमुख है। जानकारी देने से बचते हैं। जबकि जानकारी दिया जाना बहुत ही जरूरी है। यही वजह है कि सबसे अधिक पेनाल्टी का सजा बिलासपुर के अधिकारियों को हुई है। राउत ने कहा कि जानकारी मांगने वालों को जानकारी नहीं मिलने पर कलेक्टर और आयोग से सम्पर्क करना चाहिए।

जानकारी देना ही होगा

                                               अक्सर अधिकारी सुरक्षा का हवाला देकर जानकारी नहीं देते हैं। सवाल के जवाब में राऊत ने कहा कि यह फण्डा कुछ एक एजेंसियों पर हो सकता है। लेकिन अधिकारी मांगी गयी जानकारी को देना ही होगा। बहाना नहीं किया जा सकता है। सरकारी कामकाज की जानकारी नहीं देने का सवाल ही नही उठता है।

अधिकारियों में भय

           शायद अधिकारियों में कानून की गंभीरता और भय नहीं है। राऊत ने कहा कि अधिकारियों में भय है। दूसरी अपील का मतलब ही है कि अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। अधिकारी भी दूसरी अपील में जाने से बचते हैं। क्योंकि फाइन लगेगा ही। कार्रवाई होगी ही। 

निगम और पुलिस से कम जानकारी

                           एक अन्य सवाल के जवाब में राऊत ने बताया कि बिलासपुर में सर्वाधिक कम जानकारी दिए जाने की शिकायत निगम और पुलिस विभाग से मिली है। ऐसा कुछ जानकारियों कमी और नियमों में परिवर्तन की वजह से हो सकता है। प्रशिक्षण के दौरान अधिकारियों को दिशा निर्देश दिया गया है। चैयरमैन ने कहा कि पुलिस विभाग में प्रथम अधिकारी का काम काज ठीक है। लेकिन विशेष अपील का काम काज ठीक नहीं है। हमने सामान्य डाक से जानकारी देने को कहा है। उन्होने दुहराया कि निगम के प्रथम अपीली अधिकारी का काम काज ठीक नहीं है। दो अधिकारियों पर बतौर सजा फाइन भी किया गया है। 

बिलासपुर पर सर्वाधिक जुर्माना

              उन्होने बताया कि प्रदेश में जनसुनवाई को लेकर सर्वाधिक जुर्माना कार्रवाई बिलासपुर के अधिकारियों पर ही लगाया गया है। बावजूद इसके बिलासपुर में जनसूचना अधिकार को लेकर अच्छा काम किया जा रहा है। 

                      कोरोना के चलते आरटीआई के मामले कम आए हैं। बावजूद इसके जानकारी को लेकर आवेदन आज भी उतना ही आ रहे हैं जितना पहले आ रहे थे।

आनलाइन अपील

                राऊत ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि सात दिनों के अन्दर दूसरी अपलीलीय न्यायालय में आनलाइन आवेदन किया जा सकता है। अब किसी को अपील करने रायपुर का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा। बहरहाल मामला ट्रायल में है। एनआईए को सारी जिम्मेदारी दी गयी है। जल्द ही आनलाइन अपीली का काम शुरू हो जाएगा।

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