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उस देश के लोग केवल तारीफ के काबिल ही होते है। बावजूद इसके कुछ तंग नजरिया के लोग खूबसूरत रिश्ते को तहस -नहस करने पर अमादा है।हमें संयम और धीरज से काम लेना होगा। जिस काम के करने से आपस में इख्तलाफ और फसाद हो उसे अल्लाहताला ने सख्ती से मना फरमाया है। रिजवी के अनुसार मंदिर मस्जिद का मसला नाजुक है। यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट ने इसे अदालत के बाहर आपसी समझबूझ से हल करने का सुझाव दिया है। कर्तव्य बनता है कि सभी पक्ष मिल बैठ फैसला करे जो सभी को मान्य हो। ताकि आने वाली नस्लों को घृणा और द्वेष रहित भारत में सांस लेना नसीब हो।
रिजवी ने बताया कि अयोध्या हिन्दू भाईयों के लिए आस्था और भगवान श्रीराम के प्रति अपार प्रेम का प्रतीक है। ऐसे में सभी हिन्दू मुस्लिम भाईयों को बड्प्पन दिखाना होगा। विवाद को हमेशा के लिए दफन करने विवादित भूमि को हिन्दू भाईयों को तत्काल सौंप देना चाहिए।रिजवी ने कहा कि यह स्थान दोनो धर्मो के बीच विवाद का कारण है । इस्लाम में विवादास्पद जगह पर नमाज अदा करना जायज नहीं माना गया है। कुछ आतंकवादी संगठनो ने इस्लाम की आक्रामक छबि पेश कर मजहब को बदनाम किया है। इसे दुरूस्त करना मुसलमानो की ही जिम्मेदारी है। हमे सब्र और सौहाद्र का दामन नहीं छोड़ना है। हिन्दू भाईयो के सनातन धर्म को धैर्य का पर्यायवाची माना जाता है।
सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि मुस्लिम भाईयों के लिए अयोध्या मे ही कुछ दूरी पर जमीन उपलब्ध कराए। जमीन पर एक मस्जिद, एक अस्पताल और एक यूनिवर्सिटी बनाया जाए। आनेवाली नस्ल जहां भविष्य को संवार सके। नफरत की आंधी रोकने का यह एक नायाब तरीका होगा । अयोध्या मसले पर सियासत की पैठ है। अयोध्यावासी सियासत को बाहर कर मंदिर मस्जिद का हल निकालें। राजनेताओं को समझौते से दूर रखें। यदि ऐसा कर लिया गया तो स्वार्थसिध्दी के लिए समस्या को जीवित रखने वाले सियासतदानो की दुकाने खुद-ब-खुद बंद हो जायेगी।
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