आरपीएफ ने उखाड़ा टेन्ट..एक्शन में कलेक्टर..दो कदम पीछे हुआ रेलवे..युवाओं ने पुराने आंदोलन को किया याद..कहा..ना झुके थे और ना झुकेंगे

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—-स्टॉपेज समेत एमएसटी, सीनियर सिटीजन छूट दिए जाने की मांग को लेकर युवा नागरिक रेलवे जोन संघर्ष समिति ने महाप्रबंधक रेलवे जो कार्यालय के सामने धरना आंदोलन किया। इस दौरान रलेवे प्रशासन की तरफ से आंदोलन के टेन्ट को हटाने के प्रयास को नागरिक युवा रेलवे संघर्ष समिति ने गैर संवैधानिक बताया। 
 
          पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार छात्र युवा नागरिक रेलवे जोन संघर्ष समिति ने स्टापेज समेत एमएसटी सीनियर सिटीजन को छूट दिए जाने को लेकर महाप्रबंधक रेलवे जोन कार्यालय के सामने बड़ा धरना आंदोलन किया।  धरना आंदोलन में बिलासपुर के अलावा कोटा और बिल्हा के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
 
          युवा नागरिक संघर्ष समिति ने बताया कि कोरोना काल के बाद रेलवे प्रशासन ने बिना किसी तर्क के देश भर में 6000 से अधिक स्टॉपेज समाप्त कर दिया है। इसके कारण जिन स्टेशनों में बहुत सी गाड़ियां दशकों से रूका करती थी अब नहीं रूकेंगी।
 
                 स्टापेज खत्म किए जाने से आम नागरिकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बिलासपुर जैसे प्रमुख शहर के नजदीक कस्बों और गांवों से आने वाले व्यापारियों, यात्रियों और यहां तक कि बीमार व्यक्तियों के लिए ट्रेन सुविधा उपलब्ध  नहीं है।
 
          युवाओं ने बताया कि स्टापेज खत्म किए जाने से स्थिति  इतनी खराब हो गयी है कि कोरोना के पहले करगी रोड कोटा स्टेशन में 18 रेल गाड़ियां रूका करती थी। आज केवल मेमू लोकल गाड़ियां रूक रही हैं। बिल्हा जैसे प्रमुख व्यवसायिक केन्द्र में भी कई एक्सप्रेस ट्रेनों का स्टापेज बिना किसी कारण के बन्द कर दिया गया है। लोग स्वयं के वाहन से हजारों रूपये खर्च कर रायपुर और अन्य शहरों के लिए आना जाना करने को मजबूर हैं। यह जानते हुए भी कि बिल्हा से रायपुर या दुर्ग तक कोई सीधी बस सेवा भी नहीं है।
 
       संघर्ष समिति ने बताया कि रेलवे ने मासिक सीजन टिकट और सीनियर सिटीजन को मिलने वाली छूट को भी बन्द कर दिया है। इसके चलते आम नागरिकों में भारी आक्रोश है।
 
आरपीएफ ने उखाड़ा टेन्ट
 
             सुबह जब नागरिक युवा रेलवे संघर्ष समिति के सदस्य जब धरना आन्दोलन करने पहुंचे तो उन्हें रेलवे प्रशासन की तानाशाही का सामना करना बड़ा। लेकिन तनाव उग्र होने से पहले ही कलेक्टर के प्रयास से मामले को शांत कराया गया।  धरना के समय आश्चर्यजनक रूप से रेलवे प्रशासन ने रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स को टेन्ट को उखाड़ने के लिए भेजा। अचानक की गयी  कार्रवाई से धरना स्थल में एकत्र सभी लोग भड़क गए। धरना प्रदर्शन करने वालों ने कहा कि आरपीएफ और रेल प्रशासन को लोकतांत्रिक तरीके से किए जा रहे आन्दोलन को रोकने का कोई अधिकार नहीं है।
 
            युवाओं ने यह भी कहा कि संघर्ष सार्वजनिक स्थल पर किया जा रहा है। इस बात को देखते हुए आरपीएफ और रेलवे प्रशासन को धरन स्थल से टेन्ट को हटाने का अधिकार नहीं है। टेन्ट हटाए जाने के दौरान समिति के सदस्यों ने बताया कि धरना प्रदर्शन की जानकारी स्थानीय प्रशासन को भी दिया गया है। ऐसी सूरत में रेल प्रशासन के तानाशाही रवैए को हरगिज बर्दास्त नहीं किया जाएगा।
 
सघर्ष समिति की कलेक्टर से संवाद
 
           टेन्ट उखाड़े जाने की जानकारी युवा संघर्ष समिति ने जिला प्रशासन को दिया। संघर्ष के लोगों ने कलेक्टर को बताया कि लोकतांत्रिक तरीके से किए जा रहे आंदोलन को तानाशाही के दम दबाने का प्रयास किया जा रहा है। यदि आरपीएफ की मनमानी को नहीं रोका गया तो अप्रिय स्थिति बन सकती है। जानकारी के बाद कलेक्टर बिलासपुर ने तुरन्त रेलवे महाप्रबंधक से चर्चा किया। निर्देश दिया कि लोकतांत्रिक तरीके किए जा रहे  धरना प्रदर्शन को रोका नहीं जाए। इसके बाद आरपीएफ के रवैया मं ठीलापन आया।
 
युवाओं ने किया पुराने संघर्ष को याद
 
          धरना स्थल पर हुये सभा को युवा नेता रंजीत सिंह भावेन्द्र गंगोत्री ने संबोधित किया। दोनों नेताओं ने बिलासपुर रेलवे जोन के लिए किए गए संघर्ष को सबके सामने रखा। पुराने संघर्ष को याद करते हुए दुहराया कि युवा पीढ़ी भी अपने सीनियर के बताए गए संघर्ष के रास्ते से नहीं हटेगी।
 
आंदोलन से ही मिला पद और बड़ा कार्यालय
 
                समिति के प्रमुख महेश दुबे ने रेलवे महाप्रबंधक को याद दिलाया कि इतना बड़ा कार्यालय और पद बिलासपुर के जन आंदोलन से ही हासिल हुआ है। बिल्हा से धरना स्थल पहुंचे  प्रकाश बिन्दल और करगी रोड कोटा के जावेद खान,  गायत्री साहू ने ट्रेनों के ना रूकने पर होने वाली परेशानियों को सबके सामने रखा। व्यापार, व्यवसाय, रोजगार में होने वाले नुकसान से  लोगों को अवगत कराया।
 
            रेलवे क्षेत्र के नागरिक राकेश सिंह और नसीम खान ने 15 जनवरी 1996 की घटना को याद दिलाते हुए कहा कि रेलवे प्रशासन बिना कारण विवाद ना पैदा करें।  रेलवे क्षेत्र के पार्षद अजय यादव, सांई भास्कर और अब्दुल खान ने यातायात का साधन सुलभ होने की बात कही। 
 
फैसले पर केन्द्र सरकार को करना होगा विचार
 
           सभा को भाजपा नेता महेश चन्द्रिकापुरे ने भी संबोधित किया। उन्होने कहा कि केन्द्र सरकार को अपने इस निर्णय पर पुर्नविचार करना चाहिए। लिए गए निर्णय को जनहित में बदला जाना जरूरी है। राज्य योग आयोग सदस्य रविन्द्र सिंह ठाकुर ने कहा कि मामले को राज्य सरकार के सामने रखेंगे। केन्द्र सरकार पर राज्य सरकार की तरफ से दबाव डाला जाएगा। 
 
राजकोष पर पढ़ेगा दबाव
 
           वरिष्ठ समाजसेवी राकेश शर्मा ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ी समस्या विदेशी मुद्रा है। रेलवे स्टॉपेज हटने और सड़क परिवहन से आम जनता के साथ राजकीय कोष पर दबाव बनेगा। पेट्रोल-डीजल की अधिक खपत होगी। देश में विदेशी मुद्रा का बोझ आएगा। सभा को रवि बनर्जी, महेन्द्र गंगोत्री, संतकुमार नेताम, राजेश शुक्ला,बब्बी भण्डारी, बद्री यादव, समीर अहमद, मनोज श्रीवास, अल्ताफ कुरैशी, ब्रम्हदेव ठाकुर, उमेश कुमार, मनीष अग्रवाल, कमलेश दुबे, जावेद मेमन आदि ने भी संबोधित किया।
 
जनहित का कार्य लाभ हानि से अलग
 
           प्रमुख वक्ता महापौर रामशरण यादव और सभापति शेख नजरूद्दीन ने कहा कि ऐसे बहुत से कार्य होते हैं..जिनसे केवल आर्थिक नुकसान ही होता है। लेकिन जनहित में इस कार्य को किया जाना जरूरी होता है। निगम सरकार ने हमेशा लाभ हानि से दूर जनहित में ही कार्य किया है। वैसे ही स्टापेज मामले में भी रेलवे प्रशासन को गंभीरता से लेना होगा। स्टापेज बंद होने से जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। भारतीय रेलवे का स्टापेज बन्द किए जाने का फैसला निन्दनीय है। 
 
प्रतिनिधि मंडल की रेलवे अधिकारी से मुलाकात
 
                सभा का संचालन अभय नारायण राय ने किया। स्टापेज बन्द किए जाने समेत एनएसटी और सीनियर सिटीजन को किराए में छूट की मांग को लेकर पांच सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल की रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी अजय शंकर झा से मुलाकात हई। प्रतिनिधि मण्डल ने स्टॉपेज बंद करने के निर्णय से आने वाली समस्या से अवगत कराया। प्रतिनिधि मण्डल ने कहा कि रेलवे चाहे तो 10 से 15 प्रतिशत किराया बढ़ा सकता था। लेकिन स्टॉपेज बंद करना गलत है।
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