रामानुजगंज(पृथ्वीलाल केशरी) आज पूरा देश बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाने वाला दशहरा का त्योहार मना रहा है हर तरफ इस त्योहार की रौनक देखी जा सकती है जगह-जगह मेले लगे हैं वैसे मेले की रौनक बेहद ही खूबसूरत होती है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री राम ने आज के दिन ही लंका के राजा रावण का वध किया था इसलिए इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है और रावण दहन के साथ लोग कामना करते हैं कि अपने भीतर व आस-पास की बुराई का अंत हो दशहरा को विजयादशमी भी कहा जाता है।
रावण दहन देखने के लिए इस मेले में हजारों की संख्या में लोग उपस्थित होते हैं। नगर के समाज सेवी संस्था सागर फाउंडेशन के द्वारा स्थानीय हाई स्कूल ग्राउंड में रावण दहन का आयोजन किया गया था। दहन होने वाले रावण की ऊंचाई लगभग 60 फीट की
होगी।
रावण दहन देखने के लिए विसर्जन के बाद लोगों की हुजूम उमड़ पड़ी पूरे ग्राउंड में मेले जैसा माहौल देखने को मिला ठेला खोमचा वाले का दुकान सज कर तैयार था जहां उपस्थित जनों ने खट्टी मीठे व्यंजनों का लुफ्त लेते हुए रावण दहन के कार्यक्रम का आनंद ले रहे थे रावण दहन उपरांत लोगों ने जमकर सेल्फी एवं वीडियो बनाया और लोकल व्हाट्सएप ग्रुप में बांटते रहे।
अत्याधुनिक समय में धर्मशास्त्र हो रही उपेक्षा
वैसे भगवान श्री राम के जन्म स्थली अयोध्या में धर्म शास्त्र के अनुसार रावण दहन का समय 5:30 बजे निर्धारित था। निर्धारित समय में ही अयोध्या में रावण दहन किया गया। अयोध्या धाम को छोड़कर हर जगह पर धर्मशास्त्र के निर्धारित समय का शायद ही कही पालन किया गया होगा। क्योंकि इस आध्यात्मिक युग में धर्मशास्त्र की किसको पड़ी है, आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि का उद्बोधन अधूरा न रह जाए इस बात का ध्यान आयोजन समिति को बड़ी जिम्मेदारी के साथ निभानी होती है इसलिए धर्मशास्त्र के निर्धारित समय का पालन नहीं हो पाता है यही वजह रही कि कोरोना के चलते कई तीज त्यौहार मनुष्य जातियों से प्राकृतिक ने छीन ली। यदि सब कुछ ऐसा ही चलता रहा जो प्रकृति का कहर कब किस बीमारी के रूप में टूट पड़े कुछ कहा नहीं जा सकता।