शिक्षा विभाग में करोड़ों का घोटाला..जांच में खुलासा..तीन कर्मचारियों पर गिरी गाज..जोगी को घोटाला का ईनाम..?

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—कोरबा जिले के पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक में पूर्व बीईओ लोकपाल सिंह जोगी के कार्यकाल में करोड़ों घोटाला का मामला सामने आया है। जांच रिपोर्ट हासिल होने के बाद शिक्षा संभाग अधिकारी हीराधर ने तीन कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। जांच में दोष सिद्ध होने के बाद भी पूर्व खण्ड  शिक्षा अधिकारी को फिलहाल ईनाम के तौर पर तखतपुर ब्लाक का बीईओ बनाया गया है। जानकारी के अनुसार मामले में दोषी कम्प्यूटर आपरेटर को अभयदान मिला है।
 
                              कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा ब्लाक प्रमुख लोकपाल सिंह जोगी के कार्यकाल में किए गए करोड़ों रूपयोंं का घोटाला मामले में संयुक्त संचालक ने तीन कर्मचारियों को निलंबित किया है। लेकिन पूर्व बीईओ पर अभी तक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होने को लेकर विभाग में जमकर चर्चा है। 
 
घोटालों की है लंबी फेहरिस्त
 
             पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक में तत्कालीन बीईओ लोकपाल सिंह के कार्यकाल के दौरान शासकीय राशि में घोटाले को लेकर कई बार शिक्षक संगठनों ने शिकायत दर्ज कराया। मामले को गंभीरता से लेते हुए शासन ने लोकपाल सिंह को पोड़ी उपरोड़ा से हटाकर तखतपुर खण्ड शिक्षा अधिकारी के पद पर स्थानांतरित किया। लगातार मिल रही शिकायतों को गंभीरता से शिक्षा संभाग प्रमुख हीराधर ने टीम का गठन कर जांच का आदेश दिया। जांच प्रतिवेदन में लगाए गए सभी आरोप सही पाए गए। 
इन कर्मचारियों पर गिरी गाज
 
                     जांच रिपोर्ट में शिक्षा संभाग बिलासपुर के संयुक्त संचालक आरएन हीराधर ने बीईओ समेत बाबू, प्रधान पाठक, समेत कम्प्यूटर आपरेटर को दोषी पाया गया। जांच के अनुसार प्रधान पाठक परमेश्वर प्रसाद बनवा ने  लोकपाल सिंह जोगी के आदेश पर 2 लाख रूपये का बेयरर चेक अपने नाम नगद भुगतान कराया। मामले में परमेश्वर प्रसाद को नोटिस जारी किया गया। इसके बाद बनवा ने 2 लाख रूपये का चालान विभाग में जमा किया। संयुक्त संचालक ने परमेश्वर प्रसाद को निलंबित कर बीईओ कार्यालय पोड़ी उपरोड़ा में अटैच कर किया है।
 
                इसके अलावा संयुक्त संचालक ने बीईओ कार्यालय प्रभारी लेखपाल छब्बी कुमार अहिरवार को भी निलंबित किया है। जांच रिपोर्ट के अनुसार छब्बी कुमार ने बीईओ लोकपाल सिंह जोगी के कार्यकाल में 11 गड़बड़ियों को अंजाम दिया है। प्रमुख रूप से बिसुराम भृत्य का 14 माह की अनुपस्थिति का गलत तरीके से वेतन बनाकर भुगतान किया। बहादुर भृत्य के 72 महीने तक गैरहाजिर होने के बावजूद छब्बीकुमार की तरफ से बीईओ के साथ वेतन भुगतान किए जाने का दोषी है। 
 
                    रिपोर्ट के अनुसार छब्बीकुमार ने बीईओ लोकपाल सिंह जोगी के साथ मिलीभगत कर  लाखों रुपयों का भुगतान अलग-अलग माध्यम से अलग अलग  लोगों को भुगतान किया। रिपोर्ट के आधार पर संयुक्त संचालक हीराधर ने छब्बी कुमार को निलंबत कर कोरबा जिला शिक्षा विभाग में अटैच किया है।
 
                               रिपोर्ट के आधार पर संयुक्त संचालक ने कार्यालय में पदस्थ सहायक ग्रेड -2 पीके मिश्रा को निलंबित किया है। रिपोर्ट में पीके मिश्रा को गलत तरीके से भुगतान करने में बीईओ लोकपाल सिंह जोगी का सहभागी बताया गया है। इसके अलावा बीईओ कार्यालय में  कंप्यूटर ऑपरेटर बृजेन्द्र कुमार बानी को भी दोषी पाया गया है। बानी को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है। बृजेन्द्र बानी पर आरोप है कि बीईओ जोगी के आदेश पर 1 लाख 38 हजार रूपए का बेयरर चेक को भुनाया और बीईओ लोकपाल सिंह जोगी के हवाले कर दिया।
 
बलि का बकरा बनाने का आरोप
 
            घोटाला में जोगी को सहयोग करने वाले निलंबित निलंबित कर्मचारियों ने कार्रवाई को लेकर नाराजगी जाहिर किया है। पीके मिश्रा ने बताया कि सभी आरोप बेबुनियाद है। मिश्रा के अनुसार भृत्यों को किया गया भुगतान बीईओ जोगी ने लेखपाल से मिलीभगत बाहर ही बाहर किया है। सेवा पुस्तिका में इसका उल्लेख नहीं है। इसी तरह दिवंगत कर्मी प्रफुल्ल खलखो की पत्नी प्रमिला खलखो को आज तक 2 लाख रूपयो का भुगतान नहीं किया गया है। इसका भी जिक्र सेवा पुस्तिका में भी नहीं है। मामले में पीके मिश्रा ने बताया कि भुगतान हुआ है और प्रमिला खलखो ने मामले में  लिखित बयान भी दिया है।
 
जोगी” पर कब होगी कार्यवाही..?
 
         संयुक्त संचालक के स्तर पर हुई जांच के अनुसार पोड़ी उपरोड़ा बीईओ कार्यालय में जितने भी घोटाले सामने आए है। सभी में घोटालेबाजों को पूर्व बीईओ लोकपाल सिंह जोगी का संरक्षण है। बावजूद इसके लोकपाल सिंह जोगी निलंबन पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होना संदेह को पैदा करता है। विभाग में चर्चा है कि लोकपाल सिंह जोगी पर कार्रवाई के वजाय तखतपुर ब्लाक शिक्षा अधिकारी बनाया जाना ईनाम जैसा है।
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