बिलासपुर—-एसईसीएल प्रबंधन ने बताया कि गेवरा विस्तार परियोजना को 49 एमटी वार्षिक कोयला उत्पादन के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान कर दिया गया है। कोरबा ज़िले में स्थित एसईसीएल की मेगा कोल प्रोजेक्ट गेवरा को 49 एमटी वार्षिक कोयला उत्पादन के लिए पपर्यावरणए जल और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकारए नई दिल्ली ने पिछले ही दिनों स्वीकृति आदेश जारी किया है।
एसईसीएल प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार भारत सरकार ने पिछले दिनों गेवरा प्रोजेक्ट को पर्यावरणीय स्वीकृत को हरी झण्डी दिखा दिया है। गेवरा खुली खदान परियोजना सरफ़ेस माइनर और शोवेल.डंपर की तकनीक के प्रयोग पर आधारित है। इससे कोयला लिंकेज के ज़रिए एनटीपीसी समेत कई पावर प्लांट और दूसरे माध्यमों से अन्य सेक्टर के उपभोक्ताओं को भेजा जाता है।
भारत सरकार से जारी निर्देश के अनुसार खदान प्रबंधन द्वारा पर्यावरण संरक्षण और जल.वायु प्रदूषण की रोकथाम को लेकर स्वीकृति शर्तों का पालन किया जाएगा। साथ ही ईआईए रिपोर्ट में दिए गए सभी उपाय सुनिश्चित किए जाएंगे। स्वीकृति आदेश की प्रति कम्पनी की अधिकृत वेबसाइट दृूूूण्ेमबस.बपसण्पदपर उपलब्ध कराई जा रही है।
50 से अधिक लोगों को लगाया गया टीक
कोरोना महामारी के प्रसार के बावजूद कोयलांचलों में कामगार निरंतर कोयला उत्पादन, डिस्पैच और संबंधित गतिविधियों में लगातार सक्रिय हैं। ऐसे में एसईसीएल प्रबंधन टीकाकरण के जरिए अपने कर्मियों और उनके परिजनों के साथ ठेका कामगारों के बचाव का यत्न कर रहा है।
कम्पनी के विभिन्न संचालन क्षेत्रों के कोरबा, रायगढ़, सूरजपुर, कोरिया, अनूपपुर, शहडोल समेत अन्य जिलों में स्थित चिकित्सालय, स्वास्थ्य केन्द्रों मे कुल 21स्थानों पर वैक्सीनेशन सेन्टर संचालित किया जा रहा है।
इन केन्द्रो में अब तक कम्पनी में काम् करने वाले सभी 4 5वर्ष से अधिक कर्चारियों समेत लगभग 25 हजार कर्मचारियों और 17 हजार परिजनों का टीकाकरण किया जा चुका है। इसके अलावा ठेका कामगारों और आमजनों को मिलाकर इन केंद्रों पर कुल टीकाकरण की संख्या 50 हजार से अधिक है।
बटी मइन्हेलेशन प्वाइंट, खदान परिसर में रेपिड एंटीजन टेस्टिंग रूक म्पनी के गेवरा, कुसमुंडा, बैकुंठपुर समेत अन्य कई क्षेत्रों में खदान परिसर में हींरेपिड एंटीजेनटेस्टिंग की व्यवस्था की गई है। जिससे खदान के कामगार और रोडसेल से सम्बंधितड् राइवर, हेल्परों की तत्काल जाँच की जा रहीहै।
प्रबंधन के अनुसार उमरिया, चरचावेस्ट खदानों में, क्षेत्र की हीं वर्कशाप टीम के माध्यम से उपकरणों में तकनीकी सुधार कर स्टीमइन्हेलेशन प्वाइंट विकसित किए गये हैं। जिनसे कार्यस्थल पर भाप लियाजा सकताहै।