सुरजपुर । (मनीष जायसवाल) एसईसीएल बिश्रामपुर का क्षेत्र संसाधनों की सुरक्षा के मामले में इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है । इस क्षेत्र की व्यवस्था इतनी असहाय कभी नहीं हुई जितनी इस वक्त है। यहां बैठे व्यवस्था के जिम्मेदार लोग भी स्पष्ट रूप से नहीं बता पा रहे हैं कि संसाधनों के सुरक्षा मानक क्या है। और यहां पसरे हुए संसाधनों की सुरक्षा व्यवस्था किस नीति नियम के तहत चल रही है ..! यहाँ का प्रबंधन उदारवाद के मुख्य सिद्धांत सामाजिक कल्याण का गंभीरता से व्यापक रूप में पालन करता हुआ लग रहा है …! इसलिए कोयला और कबाड़ चोरी होने पर भी न तो चोर पकड़ाए न ही कोई एफ आई आर दर्ज कराई गई है। मामला थाने में शिकायत तक ही रहा है। दिल खोल कर व्यक्ति विशेषो पर कृपा बरसाई गई है। जो कचरे के रूप में फैले कबाड़ को कागजी प्रक्रिया से बचते हुए साफ कर रहे है।
प्रबंधन से जुड़े लोगों का मानना है कि खदान और यहाँ की संपत्ति की सुरक्षा
के लिए विशेष बल की जरूरत है । जिसे पूरा करने के लिए त्रिपुरा स्टेट राइफल्स के सशस्त्र बल से एसईसीएल का एमओयू का खाखा बना हुआ होगा। कोरोना की वजह से इस कार्य मे देर हो गई है । एसईसीएल बिश्रामपुर को उम्मीद है कि त्रिपुरा स्टेट राइफल्स के सशस्त्र बल के जवान क्षेत्र की कोयला खदानों की सुरक्षा व्यवस्था संभालने जल्द आएंगे ऐसी संभावना जताई जा रही है। इनके रहने और बेस कैम्प की व्यवस्था करीब करीब हो चुकी है।
उदारवादी नीति की ओर उंगली दिखा रखा हुआ एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र का प्रबंधन इतना उदार है कि पहले कुछ आवासीय कालोनी के घरों की पुताई करता है । बाद में छत की सीपेज रोकने के लिए छत की मरम्मत करता है। ऐसी नीति त्रिपुरा स्टेट राइफल्स के सशस्त्र बल के जवानों से भविष्य में कितना न्याय कर पाती है। यह तो वक़्त बताएगा। जब तक यहां डीजल, कबाड़ और कोयला चोर गिरोह को रोकने के लिए एसईसीएल अब खदानों के भीतर भी सुरक्षा जेहि रखे राम की तर्ज पर चल रही है।