रेलवे बोर्ड को करारा झटका…जबलपुर कैट से प्रमोटी अधिकारियों को राहत…परेशान बोर्ड ने कहा…आओ बात करें

BHASKAR MISHRA
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IMG20171218162417बिलासपुर—  प्रमोटी अधिकारियों को राहत देते हुए जबलपुर कैट ने रेलवे बोर्ड के रिवर्ट आदेश के खिलाफ स्थगन आदेश दिया है। कैट न्यायालय के स्थगन आदेश पर रेलवे प्रमोटी अधिकारियों ने खुशी जाहिर की है। स्थगन आदेश से रेलवे बोर्ड और ग्रुप ए वर्ग के अधिकारियों के मंसूबों को करारा झटका भी लगा है।

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                एसईसीआर प्रमोटी अधिकारी मीडिया इन्चार्ज विवेक पाराशर ने बताया कि  रेलवे बोर्ड ने 6 दिसम्बर 2017 को रिवर्ट को लेकर देश के जोन कार्यालय को पत्र जारी किया। रेलवे बोर्ड ने 3 मई 2016 के बाद एसईसीआर में पदस्थ ग्रुप बी के लिए प्रमोट सात अधिकारियों को रिवर्ट करने का आदेश दिया।

            रेलवे बोर्ड के पत्र में 3 मई 2016 के बाद ग्रुप ए और ग्रुप बी में प्रमोट  सभी अधिकारियों को रिवर्ट किया जाना था। लेकिन ग्रुप ए के अधिकारियों ने रेलवे बोर्ड के आलाअधिकारियों से सांठगांठ कर आदेश में संसोशधन कराया। 7 सितम्बर 2017 को संशोधित आदेश में रेलवे बोर्ड ने केवल ग्रुप बी के प्रमोटी अधिकारियों को ही रिवर्ट करने को कहा।

                 संशोधित आदेश और रिवर्ट कार्रवाई से नाराज प्रमोटी अधिकारियों ने रेलवे बोर्ड के तुगलकी फरमान के खिलाफ बिलासपुर में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रमोटी अधिकारियों ने रिवर्ट कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक जाने का एलान किया।

           विवेक पराशर ने बताया कि रेलवे बोर्ड के तुगलकी फरमान के खिलाफ प्रमोटी अधिकारियों को जबलपुर समेत देश के 30 अन्य कैट कोर्ट से राहत मिली है। जबलपुर कैट न्यायालय ने रिवर्ट के खिलाफ बिलासपुर जोन के सात प्रभावित अधिकारियों को स्थगन आदेश दिया है। जबलपुर कैट के स्थगन आदेश से रेलवे बोर्ड और ए ग्रेड अधिकारियों में हड़कम्प है।

              प्रमोटी अधिकारी फेडरेशन मीडिया प्रमुख विवेक ने बताया कि कैट न्यायालय से स्थगन मिलने के बाद  रेलवे बोर्ड हड़कम्प है। यही कारण है कि रेलवे बोर्ड ने 15 जनवरी 2018 को प्रमोटी अधिकारी एसोसिएशन समेत 25 सदस्यों को बैठक में बातचीत के लिए बुलाया है।

                 प्रमोटी अधिकारियों ने बताया कि हम टकराव नहीं चाहते हैं। लेकिन अन्याय किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं करेंगे। पहले भी हमने रेलवे बोर्ड को मामले में बैठकर बातचीत करने को कहा था। लेकिन कुछ स्वार्थी अधिकारियों ने ऐसा नहीं होने दिया। पटना कैट के निर्णय को आधार बनाकर रिवर्ट कार्रवाई को देश पर थोप गया। बाद में संशोधन आदेश जारी कर बी ग्रेड अधिकारियों को निशाना बनाया गया।

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