धूमा डिस्लेरी संचालक को झटका..न्यायालय का फरमान.. .नहीं मिलेगा ब्याज..पुराने मामले में सरकार की बड़ी जीत

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर–धूमा  स्थित भाटिया वाइन्स फर्म में छापामार कार्रवाई को लेकर पुराने मामले में सरकार को बड़ी जीत मिली है। रायपुर स्थित कॉमर्सियल कोर्ट ने एक दिन पहले फैसला देकर भाटिया वाइन्स संचालक झटका दिया है। लम्बी सुनवाई के बाद औद्योगिक कोर्ट ने फरमान जारी कर बताया कि तमाम नियम और निर्देशों को ध्यान में रखते हुए..वादी को मामले में सरकार की तरफ से मुआवजा देने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने फैसला सुनाने के बाद मामले को डिस्मिस कर दिया है। 

                   जानकारी देते चलें कि साल 2012 में जांजगीर संभाग आबकारी टीम ने धूमा स्थित भाटिया ग्रुप की डिस्लेरी कम्पनी पर धावा बोला। छापामार कार्रवाई के दौरान टीम ने फर्म से करीब एक करोड़ 59 लाख 30 हजार 50 रूपए नगद बरामद किया। छापामार कार्रवाई और जब्त रूपयों के खिलाफ भाटिया ग्रुप ने कोर्ट में वाद दायर किया। कोर्ट ने लम्बी सुनवाई के बाद फर्म से बरामद रूपयों को ग्रुप को लौटान का निर्देश दिया। रूपया मिलने के बाद भाटिया ग्रुप की तरफ से याचिका दायर कर बताया कि साल 2012 में बरामद रूपयों का निराकरण साल 2018 में हुआ। नियमानुसार तत्कालीन समय से साल 2018 के बीच आबकारी विभाग ने जिस राशि को अपने पास रखा। उसका कुल ब्याज करीब दो करोड़ 6 लाख 30 हजार 196 रूपया होता है।

           याचिकाकर्ता ने औद्योगिक कोर्ट रायपुर में आबकारी विभाग जांजगीर, कलेक्टर जांजगीर और राज्य शासन के वाद दायर किया। भाटिया ग्रुप की तरफ से बताया गयी कि कोर्ट ने नीतिगत फैसला लेते हुए एक करोड़ 59 रूपयों की जब्ती के खिलाफ फैसला दिया है। ऐसी सूरत में वादी को बैंकिंग नियम के अनुसार दो करोड़ 6 लाख से अधिक ब्याज राशि का भुगतान किया जाए। 

                    मामले में सुनवाई करते हुए शासन की तरफ से अधिवक्ता अमित चाकी,अधिवक्ता बृजराज सिंह ने वादी की याचिका को खारिज करने की मांग के समर्थन में तर्क पेश किया। दोनो अधिवक्ताओं ने बताया कि नियमानुसार यह मामला वाद योग्य नहीं है। ऐसी सूरत में किसी भी प्रतिवादी को व्याज भुगतान करने की जरूरत नहीं है। सुनवाई पूरी होने पर रायपुर स्थित औद्योगिक कोर्ट ने शासन के पक्ष में फैसला सुनाया।

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