CG NEWS:निकाय चुनाव की आहटः सीएम/डिप्टी सीएम और इन मंत्रियों की साख रहेगी दांव पर..

CG NEWS:बिलासपुर (मनीष जायसवाल) । (Chhattisgarh Urban Body Elections) प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस की कड़ी मेहनत की वजह से हरियाणा में भाजपा ने तमाम एग्जिट पोल को खारिज कर सत्ता की हैट्रिक बना ली है। हरियाणा में कांग्रेस के पक्ष वाले एग्जिट पोल छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 की याद ताजा कर दिए है। उस समय कांग्रेस सत्ता में वापसी कर रही थी। लेकिन मोदी की गारंटी और आरएसएस ने खेल बदल दिया। भाजपा ने सत्ता में वापसी की है। छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव दिसंबर और जनवरी के आसपास होने है।जिसमे भाजपा केंद्रीय का नेतृत्व राज्य की सत्ता में काबिज भारतीय जनता पार्टी और यहां के नेतृत्व से उम्मीद करेगी की जीत का क्रम निकाय चुनाव में भी बरकरार रहे ..। यह चुनाव मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में लड़ा जाने वाला है…! क्योंकि राज्य में सबसे बड़ा चेहरा सत्ता रूढ़ दल के मुख्यमंत्री को ही माना जाता है। इसलिए राज्य की सत्ता में काबिज भाजपा के संगठन के लिए भी यह आगामी नगरीय निकाय चुनाव मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए परीक्षा की घड़ी है …।
राज्य के मुख्य विपक्ष कांग्रेस के पास दो दो चुनाव हारने के बाद खोने के लिए कुछ खास नहीं है..। लेकिन भाजपा के पास बिना मोदी के चेहरे को आगे किए अपनी साख दिखाने का बड़ा अवसर है..। क्योंकि नगरीय निकाय चुनाव में मोदी जी ट्रिपल इंजन का मुद्दा बना कर शहर और वार्ड में प्रचार प्रसार करने आ नही सकते। यह जोर अब सत्ता और संगठन के हवाले ही रहेगा।
नगरीय निकाय चुनाव 2024 में (Chhattisgarh Urban Body Elections) जिसमे मुख्यमंत्री के साथ साथ पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष उप मुख्यमंत्री अरुण साव और उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा की साख भी इस चुनाव से जुड़ी हुई है। इसके अलावा प्रदेश के आठ मंत्रियों के गृह जिले में भी इस चुनाव के परिमाण के कई मायने सामने आ सकते है। इस दबाव से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी भी बच नहीं सकते है। अब इन्हें जनता के बीच जवाब देना है मोदी गारंटी कितनी पूरी हुई।
बीते छह छह महीनो में विधान सभा और लोक सभा चुनाव हो चुके है। भारतीय जनता पार्टी को प्रदेश में जिसमें शानदार जीत मिली। दोनों ही चुनाव के केंद्र में बड़ा चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही थे। लेकिन अब मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सरकार अपने बीते करीब साल भर के रिपोर्ट कार्ड को लेकर नगरीय निकाय चुनाव में जनता के बीच जाने वाली है..। राम विचार नेताम और दयाल दास बघेल को छोड़कर मुख्यमंत्री सहित बाकी के मंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पहली बार फ्रंट फुट में इन चुनाव का सामना करने वाले हैं।
प्रदेश और अपने जिले यह बड़े स्टार प्रचारक होंगे। फ्रंट फुट पर सत्ता में रहकर चुनाव के दौरान काम करने का अनुभव किसी के पास नही है।
वैसे तो माना जाता है कि भारतीय जनता पार्टी में खुलकर गुटबाजी नहीं होती है लेकिन नाराजगी तो रहती है और यह नाराजगी इस बार पुराने और धाकड़ मैनेजमेंट रखने वाले नेताओं को मंत्री नहीं बनाए जाने की वजह से दिखाई दे सकती है। महारत रखने वाले भाजपा के विधायक और कई पूर्व मंत्रियों को अपने जिले और संभाग के नगरी निकाय की सियासत की तासीर और सियासी गुणा भाग मालूम रहता है।
अब बीजेपी किसको नगरी निकाय चुनाव में जिले का प्रभारी बनाती है क्या भूमिका देती है। भारतीय जनता पार्टी का संगठन कैसे काम करता है यह सब आगामी निकाय चुनाव कि रणनीतियों का एक बड़ा हिस्सा होगा। लेकिन एक बात तो तय है कि की सत्ताधारी दल भाजपा के लिए नगरीय निकाय चुनाव की राह सरल तो कतई नहीं है।