स्पिक मैके संस्थापक डॉ.किरण सेठ की सायकल यात्रा,लोगों को जोड़ेंगे भारतीय संस्कृति के वैभव से

Chief Editor
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स्पिकमैके आंदोलन के संस्थापक और इस आँदोलन से जुड़े तमाम लोगों के प्रेरणा स्रोत डॉ किरण सेठ राजघाट से अलवर होते हुए जयपुर के लिए अपनी सायकल से रवाना हुए।उनकी इस यात्रा का उद्देश्य भारतीय संस्कृति के वैभव को लोगों से परिचित कराना है। वो कहते है इसके अलावा ट्रैफिक की समस्या, पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए भी साइकिलिंग आवश्यक है।अब हमें धीरे धीरे मोटर साईकल और कार की अपेक्षा साईकल से यात्रा करना चाहिए ये एक मैडिटेशन भी है।
73 वर्ष के डॉ सेठ कश्मीर से कन्याकुमारी तक की यात्रा साईकल से करने जा रहे है ।
डॉ किरण सेठ कहते हैं पहले हम साईकल से ही आना जाना करते थे । उस समय गाड़ी महंगी होती थी और साईकल हमारी जीवन शैली का हिस्सा बन गई थी।आज के दौर मे सभी को आपने आफिस व कार्यो के लिए साईकल का इस्तेमाल करना चाहिए । इससे पर्यावरण, ट्रैफिक जैसी समस्या से निदान मिलेगा । वहीं इससे स्वास्थ भी अच्छा रहेगा और साइकिलिंग एक मैडिटेशन भी है।दिल्ली राजघाट से जयपुर की यात्रा , कश्मीर से कन्याकुमारी तक कि यात्रा का शुभारंभ है।
गांधीवादी विचारो को आत्मसात करने वाले इस गांधी (डॉ किरण सेठ) को इस अभियान के लिए स्पीकमैके से ज़ुड़े लोगों ने शुभकामनाएं दी हैं ।

स्पिक मैके से जुड़े डॉ. अज़य श्रीवास्तव ने बताया कि स्पिकमैके विगत 44 वर्षों से भारत की वैभवशाली संस्कृति जैसे शास्त्रीय संगीत,नृत्य लोककला, लकसंगीत, चलचित्र, नाटक ,योग के माध्यम से युवाओं को अपनी संस्कृति से रूबरू कराने का कार्य कर रहा है। स्पिकमके के देश भर मे करीब 400 अध्याय और विदेशों मैं भी 50 अध्याय है।जिसके माध्यम से शैक्षणिक संस्थओं में सव्यख्यान प्रस्तृती के माध्यम से देश के सर्वश्रेष्ठ कलगुरुओं से युवाओं को रूबरू होने व कला के माध्यम से हमारी संस्कृति को जानने व समझने का अवसर मिलता है।
छत्तीसगढ़ में प. बिरजू महाराज, प विश्व मोहन भट्ट , प हरि प्रसाद चौरसिया, डॉ एन राजम, डॉ मालविका मित्रा, प राजन साजन मिश्र, प रोनू मजूमदार, स्वामी भारती बंधु, श्रीमती तीजन बाई, आदि जैसे लगभग 100 कलाकारों की प्रस्तृति विभिन्न स्कूल व कॉलेज में आयोजित की गई।

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