हड़ताली शिक्षको की वार्ता फिर टूटी

Shri Mi
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रायपुर।छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन की सरकार से दूसरे दौर की बातचीत विफल हो गई है सरकार के द्वारा बताया गया क़ि मसौदा सहायक शिक्षकों को पसंद नहीं आया है जिसकी बड़ी वजह सहायक शिक्षकों की एक सूत्रीय मांग है। शिक्षक नेताओं का नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री भूपेश बधेल ने तीन महीने में कमेटी के द्वारा विसंगति दूर करने का वादा किया गया था उसी पर शिक्षक अड़े हुए हैं।फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा का कहना है कि चुनाव के पूर्व आपने ही सहायक शिक्षको की वेतन विसंगति को बड़ा मुद्दा बनाया बाद में घोषणा पत्र में आपने ही उसे स्थान दिया । पहला बजट किसानों का दूसरा बजट सहायक शिक्षको का होगा आपने ही कहा था कोरोना काल में प्रदेश के सहायक शिक्षको ने पढाई तुंहर द्वार कार्यक्रम में शानदार प्रदर्शन कर राज्य का मान बढ़ाया है।

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प्रदेश प्रवक्ता बसंत कौशिक का कहना है कि 4 नंबर को मुख्यमंत्री के कहने पर ही हमने आंदोलन वापस लिया था।लेकिन अफसरों ने तीन महीने पूरे होने के बाद भी रिपोर्ट नहीं सौंपी नही । आज हमारी शासन के साथ दूसरे दौर की बातचीत विफल होने के कारण बहुत से सहायक शिक्षक दुखी है। सबको उम्मीद थी कि सरकार गंभीर होगी पर ऐसा हुआ नही

मीडिया प्रभारी राजू टंडन का कहना है कि दो घण्टे के वार्ता के बाद भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आया। हमारे प्रतिनिधि मंडल ने बातचीत के दौरान वेतन विसंगति के मांग को तर्कों सहित बताया शासन की ओर से भी अपने बातों को रखा गया। वेतन विसंगति दूर करने के अतिरिक्त अन्य प्रस्ताव शासन की ओर से रखा गया। जिसे फेडरेशन के प्रतिनिधियों ने अस्वीकार करते हुवे बैठक छोड़कर चले गए।

शिक्षक नेता सुखनंदन यादव का कहना है कि वेतन विसंगति की समस्या के समाधान के अतिरिक्त कुछ नहीं चाहिये। कल से हमारा आंदोलन और अधिक मजबूती के साथ आगे बढ़ेगा। हममें अब और अधिक आक्रोश, जोश और उत्साह का संचार होगा।आगे की रणनीति पर जल्द ही जानकारी साझा की जायेगी । हम अब बहुत आगे बढ़ चुके है पीछे हटने का सवाल ही नही।

शुक्रवार को धरना स्थल पर हास्य कवि सम्मेलन आयोजन किया गया जहां मंच से हास्य रस के बहाने सरकार पर नए-नए कविताये बनाई गई।।सारा माहौल खुशनुमा हो गया

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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