भक्तों की ऐसी सड़क..जिस पर पैदल चलना भी मुश्किल..सामान्य सभा में इस बार भी आया रटा रटाया जवाब..जरूर दिखाएंगे

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर (रियाज़ अशरफी)—सीपत से महामाया नगरी रतनपुर और शिव शक्ति मंदिर उच्चभट्ठी को कम दूरी में जोड़ने वाली झलमला की सड़कें खस्ताहाल है। लोकनिर्माण विभाग के इस मार्ग पर सड़क कम और बड़े बड़े गड्ढे ज्यादा नजर आते है। राहगीर लगातार हादसों का शिकार हो रहे है। ग्रामीणों ने  जर्जर मार्ग को  सुधारने की मांग की है।
                जानकारी देते चलें कि ऊर्जा नगरी सीपत से देश के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल महामाया मंदिर रतनपुर और शिव शक्ति पीठ उच्चभट्ठी को जोड़ने वाली एक मात्र कम दूरी की सड़क सीपत से ग्राम झलमला के बीच 5 किमी का रास्ता अत्यंत खराब है। मार्ग के गड्ढे में सड़क तलाशनी पड़ रही है।
            सीपत क्षेत्र के दर्शनार्थी इसी मार्ग से रतनपुर और उच्चभट्ठी दर्शन करने जाते है । लेकिन इन दिनों श्रद्धालुओं को खराब सड़को की वजह से बिलासपुर होते हुए महामाया धाम रतनपुर जाना पड़ रहा है। सीपत से ग्राम उच्चभट्ठी,टेकर,गिधौरी,नेवसा से जाली (बेलतरा) होते हुए रतनपुर की दूरी मात्र 30 किमी है। वही सीपत से बिलासपुर होते हुए रतनपुर जाने वालों को 45 किमी की दूरी तय करना पड़ रहा है। यानि भक्तों को 15 किमी ज्यादा दूरी तय करना पड़ रहा है। आसपास के लोगो ने प्रशासन और लोकनिर्माण के अधिकारियों से खराब सड़को को सुधारने की मांग की है।  ताकि पूर्व की तरह इस मार्ग पर आवागमन फिर से बहाल हो सके।
नूरी कौशिल ने सामान्य सभा मे उठाया मुद्दा
क्षेत्र की जिला पंचायत सदस्य नूरी दिलेन्द्र कौशिल ने गुरुवार को आयोजित जिला पंचायत सामान्य सभा की बैठक में क्षेत्र की खराब सड़को का मुद्दा उठाया। बैठक में उपस्थित  लोकनिर्माण विभाग के आला अधिकारी का पूर्व की तरह  रटा रटाया जवाब मिला कि बहरहाल मामले में कुछ भी बता नही पाऊंगा।
सैकड़ो मजदूरों का होता है आना जाना
सीपत के आसपास 15 किमी की दूरी से बड़ी संख्या में मजदूर एनटीपीसी मजदूरी करने आते है। जाहिर सी बात है कि मजदूरो को  खराब सड़को का सामना करना पड़ता है। रात शिफ्ट वाले मजदूरों को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मार्ग पर सबसे ज्यादा हादसा खराब सड़को की वजह से रात में ही होता है। 
             लोक निर्माण विभाग सब डिवीजन क्रमांक-2 के एसडीओ सीएस विंदयराज ने कहा कि खराब सड़को के गड्ढों में गिट्टी डालकर भरा जा रहा है। बारिश के बाद टायरिंग का काम किया जाएगा।
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