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'सुपर 30' के संस्थापक आनंद कुमार का सोल में भव्य स्वागत, कोरियाई पर्यटन के राजदूत नियुक्त

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पटना, 26 अगस्त (आईएएनएस)। चर्चित शिक्षण संस्थान सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार को दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में आयोजित एक समारोह में कोरियाई पर्यटन 2024 का मानद राजदूत बनाया गया। इस मौके पर कोरिया पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत किया गया।

कोरिया पर्यटन संगठन (केटीओ) के अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन प्रभाग के कार्यकारी उपाध्यक्ष हक्जू ली ने आनंद कुमार को इसकी शपथ दिलाई। यह कार्यक्रम केटीओ के मुख्यालय में आयोजित किया गया।

इस मौके पर ली ने कहा कि समाज के वंचित वर्गों के छात्रों के लिए आनंद कुमार द्वारा किये गये कार्य और भारत तथा कोरिया में उनकी लोकप्रियता के कारण आनंद कुमार का चयन करना आसान था।

एक आधिकारिक बयान में ली के हवाले से कहा गया है, “आनंद कुमार को राजदूत नियुक्त करने का उद्देश्य भारत और कोरिया के युवाओं को एक-दूसरे को जानने, एक-दूसरे की संस्कृति, शिक्षा और बहुत कुछ समझने का अवसर प्रदान करना है, ताकि वे दोनों देशों के विकास और समृद्धि में भागीदार बन सकें।”

बयान के मुताबिक, आनंद कुमार की लोकप्रियता सोल विश्वविद्यालय में आज हुए एक अन्य कार्यक्रम में स्पष्ट हुई, जिसमें उनकी पुस्तक ‘सुपर 30’ पर चर्चा हुई और जिसके परिणामस्वरूप आनंद कुमार के जीवन पर बॉलीवुड स्टार ऋतिक रोशन अभिनीत ‘सुपर 30’ फिल्म बनाई गई थी। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शिक्षाविद और छात्र मौजूद थे।

पुस्तक का कोरियाई भाषा में अनुवाद भी किया गया है। पुस्तक के लेखक डॉ. बीजू मैथ्यू भी इस समारोह में भाग लेने के लिए कनाडा से आए थे। इस मौके पर आनंद कुमार ने दर्शकों के सवालों के जवाब दिए और अपनी यात्रा के बारे में बताया।

आनंद कुमार ने कहा कि युवाओं की प्रतिक्रिया जबरदस्त थी और उन्हें ऐसा लगा जैसे वह भारत में ही हों। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता था कि कोरिया में ‘सुपर 30’ इतना लोकप्रिय है और इतने सारे लोगों ने पुस्तक पढ़ी है। मैं इस पल को लंबे समय तक संजो कर रखूंगा।”

उन्होंने कहा कि वह सार्थक तरीके से योगदान देने के लिए केटीओ के अवसर का इंतजार करेंगे, क्योंकि भारत और कोरिया दोनों देशों के युवाओं के लिए सीखने और आगे बढ़ने के लिए बहुत कुछ है।

उन्होंने कहा, “मेरे लिए यह बहुत सम्मान की बात है, खासकर एक शिक्षक को दिए जाने वाले सम्मान के कारण। यह न केवल एक व्यक्ति का सम्मान है, बल्कि सामान्य रूप से शिक्षकों का भी सम्मान है।”

–आईएएनएस

एमएनपी/एकेजे

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