कुन्तीपुत्र से शुरू हुआ छठमहापर्व…पानी में खड़े होकर अर्घ्य देने से … दूर होती हैं सैकड़ों बीमारियां

BHASKAR MISHRA
4 Min Read

CHHAD PARVबिलासपुर— शुक्रवार को सूर्य उपासना पर्व का चौथा और अंतिम दिन है। छठ उपासना का पर्व का ना केवल पौराणिक और धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी है। देश के विभिन्न भागों में छठमहापर्व धूमधाम से मनाया जाता है। कुछ इसी अंदाज में हमेशा की तरह इस बार भी अरपा माता के गोद में छठघाट पर छठमहापर्व की धूम दिखाई दे रही है। लोग दूर दूर से भगवान भास्कर को अर्घ्य देने पहुंच रहे हैं।

Join Our WhatsApp Group Join Now

                                 हिन्दूधर्मशास्त्रों और पौराणिक कथा साहित्य में छठमहापर्व का जिक्र है। ऐसा माना जाता है कि छठमहापर्व की शुरूआत महाभारत काल से हैं। कुन्ती पुत्र कर्ण सूर्य की आराधना करते थे। यहीं से छठ पर्व मनाने की शुरूआत हुई । दरअसल छठ सूर्य की उपासना का पर्व है । भारत में सूर्य पूजा की परम्परा वैदिक काल से है । लंका विजय के बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया। सूर्यदेव की आराधना की। सप्तमी को सूर्योदय के समय अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशिर्वाद लिया। ऐसा माना जाता है कि यहीं छठ पूजा की परम्परा बनी।

                                  सूर्य ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है । हिन्दू शास्त्रों में सूर्य को भगवान माना गया है । सूर्य के बिना जीवन की कल्पना संभव नहीं है। कुछ इसी तरह की कल्पना के साथ पूर्वोत्तर भारत के लोग छठ महोत्सव के रूप में सूर्य की आराधना करते हैं ।

क्यों मनाते हैं छठपर्व

                    शक्ति और ब्रह्म की उपासना का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य षष्ठी का व्रत करने का नियम है। षष्ठी व्रत करने वाली स्त्रियाँ धन-धान्य, पति-पुत्र और सुख-समृद्धि प्राप्त करती हैं। व्रत बडी निष्ठा और नियम से मनाया जाता है। व्रत का प्रसाद माँगकर खाया जाता है। षष्ठी माता पुत्र सुख -शांति और वैभव मांगने वालों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

छठ पर्व का वैज्ञानिक महत्व

               छठ पर्व का धार्मिक ही नहीं..वैज्ञानिक महत्व भी है। पर्व स्वच्छता के साथ प्रकृति संरक्षण का संदेश देता है। अदरक, मूली, गाजर, हल्दी जैसी गुणकारी सब्जियों से अर्घ्य दिया जाता है। स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। साफ-सफाई पर भी ध्यान दिया जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि कमर तक पानी में डूबकर सूर्य की ओर देखना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। इस दौरान टॉक्सिफिकेशन की प्रक्रिया होती है। पानी में खड़े होकर अर्घ्य दिया जाता है। इससे सूर्य की किरणों में 16 कलाएं होती हैं। रिफ्लेक्शन, रिफ्रेक्शन, डेविस्मन, स्कैटरिंग, डिस्पर्शन, वाइब्रेशन की महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है। लोटे से आड़े तिरछे जल की धारा से सूर्य की किरणें परावर्तित होकर जितनी बार आंखों तक पहुंचती हैं, उससे स्नायुतंत्र नियंत्रित के साथ सक्रिय हो जाता है। दिमाग की कार्य क्षमता बढ़ जाती है।

                           छठ पर्व में होने वाला 36 घंटे का निर्जला उपवास शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। शरीर शुद्ध होता है..इतना ही नहीं, यह विटामिन डी की कमी को भी पूरा करता है। क्योंकि कार्तिक माह में सूर्य की किरणों में भरपूर मात्रा में विटामिन डी होता है।

close