टेंडर मामले में हाईकोर्ट ने पलटा शासन का निर्णय, याचिका स्वीकृत

Shri Mi
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बिलासपुर।एक महत्वपूर्ण निर्णय मे आज छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने शासन के एक निर्णय को पलटते हुए याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला दिया और याचिका स्वीकृत कर ली ।

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मामले के तथ्य के अनुसार जशपुर में प्रयास आवासीय विद्यालय भवन निर्माण की निविदा जारी की गयी थी। जिसका निर्माण आदिम जाति कल्याण विभाग के तत्वाधान मे किया जाना था और जिसकी अनुमानित लागत १७२६ लाख रुपये थी ।इस निविदा प्रक्रिया में सिद्धिविनायक कंस्ट्रक्शन कंपनी ने भी भाग लिया था जिसके निविदा को शासन द्वारा इस आधार पर अमान्य कर दिया गया था कि उसके द्वारा प्रस्तुत अनुभव प्रमाण पत्र सक्षम प्राधिकारी के द्वारा जारी नहीं किया गया था ।
और आगे कि प्रक्रिया मे शामिल नहीं किया गया ।

इस निर्णय के विरुद्ध याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत कर चुनौती दी थी , जिस पर न्यायालय ने नोटिस जारी कर शासन का जवाब मांगा था ।

याचिकाकर्ता ने बताया की उसे अनुविभागीय अधिकारी के द्वारा अनुभव प्रमाण पत्र जारी किया गया था जो की वैध और प्रभावी है और निविदा दस्तावेज के शर्तो के अनुरूप है । साथ ही साथ ये भी कथन किया कि इस आधार पर उसकी निविदा को ख़ारिज किया जाना मनमाना और गलत है तथा ये स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को ख़त्म करता है ।
शासन ने अपने जवाब मे याचिका का विरोध किया था । और बताया था कि कार्यपालक अभियंता ही सक्षम अधिकारी है । और इस तरह याचिकाकर्ता के द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज निविदा शर्तो के अनुरूप नहीं है ।

उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीपति और न्यायमूर्ति संजय श्याम अग्रवाल की युगल पीठ ने पाया कि निविदा दस्तावेज की शर्तो के अनुसार पूर्णता प्रमाण जारी करने एसडीओ सक्षम प्राधिकारी था । जिसने अपने संतुष्टि मे कार्य पूर्णता का दस्तावेज जारी किया था । और शासन को परमादेश जारी किया कि याचिकाकर्ता को सफल निविदाकार मानते हुए उसके वित्तीय निविदा को खोला जाए और याचिका स्वीकृत की।

याचिकाकर्ता की ओर से भारत गुलबानी, अमिय कान्त तिवारी , गालिब द्विवेदी , अनिल तावड़कर और प्रभात सक्सेना ने पैरवी की ।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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