विडंबनाः परीक्षा शिक्षकों की..भर्ती शिक्षाकर्मियों की…अमित ने कहा..2 लाख लोगों को नियुक्ति का इंतजार..फिर परीक्षा क्यों..?

BHASKAR MISHRA
1 Min Read

IMG-20171216-WA0001बिलासपुर— रविवार 17 दिसम्बर को छत्तीसगढ़ में एक साथ प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक स्कूलों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन किया गया। लाखों लोगों का भाग्य का फैसला जल्द ही व्यापक कर देगा। लेकिन परीक्षा की उपयोगिता को लेकर उंगलियां उठने लगी है। खासतौर पर हाल ही में हड़ताल से लौटे शिक्षकों ने परीक्षा को केवल छलावा करार दिया है।

Join Our WhatsApp Group Join Now



                            नवीन शिक्षाकर्मी संघ प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अमित नामदेव ने बताया कि परीक्षा के नाम पर बेरोजगार अभ्यर्थियों से केवल छल किया गया है। शर्तों के अनुसार परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को पूर्व माध्यमिक और प्राथमिक शालाओ में नियुक्त किया जाएगा। सुनकर अच्छा लगता है। क्या ऐसा होगा..कहना मुश्किल है। क्योंकि 2011 और 2016 में टेट उत्तीर्ण योग्य अभ्यर्थियों को अभी भी शिक्षक बनने का इंतजार है।



             अमित ने बताया कि शिक्षा अधिकार अधिनियम की शर्तों के अनुसार शासन राज्य के प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक शालाओ में शिक्षकों को नियुक्त करे। नियुक्त शिक्षको को शिक्षक पात्रता परीक्षा में उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। इसी कड़ी में 17 दिसम्बर को टेट परीक्षा में लाखो की संख्या में अभ्यर्थी शामिल हुए। मालूम हो कि साल 2011 और 2016 टेट परीक्षा में लाखों अभ्यर्थी उत्तीर्ण हो चके हैं। उन्हें अभी भी शिक्षक बनने का इंतजार है। जबकि प्रदेश में अभी भी लगभग 70 हजार शिक्षक पद खाली हैं। बावजूद इसके रिक्त पदों को भरा नहीं जा रहा है। किसी को आज इसकी वजह समझ में नही आयी है।



                               अमित ने बताया कि सरकार शिक्षक पात्रता परीक्षा तो लेती है। लेकिन खाली पदों को नहीं भरती…आखिर क्यों..समझ से परे है। अमित नामदेव ने टेट परीक्षा की तकनिकी पहलुओं पर भी निशाना साधा है। नामदेव के अनुसार  जब शिक्षाकर्मी बनाना है…तो शिक्षक पात्रता परीक्षा क्यों…। शिक्षाकर्मी ही बनाना है तो सरकार को शिक्षक पात्रता की जगह शिक्षाकर्मी पात्रता परीक्षा का आयोजन करना चाहिए। आखिर उच्च शिक्षित और दक्ष युवाओं के साथ धोखा क्यों…। क्या सरकार के पास इसका कोई जवाब है। यदि है तो उसे देना चाहिए।



शिक्षक नही शिक्षाकर्मी…बड़ी विडंबना….teacher

                नवीन शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अमित कुमार नामदेव के अनुसार शिक्षा के अधिकार अधिनियम में स्पष्ट है कि प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में अध्यापन के लिए शिक्षकों का शिक्षकों को पात्रता परीक्षा उत्तीर्म करना अनिवार्य है। अधिनियम में पूर्णकालिक शिक्षक भर्ती का प्रावधान है। ना कि शिक्षाकर्मी भर्ती का….। अधिनियम में यह भी कहा गया है कि नियुक्त किए गए शिक्षको को वह सभी सुविधाएं मिलेंगी जो सरकारी सेवकों को होती है।

                अजीब विडंबना है कि अधिनियम बनने के सालों बाद भी आधे अधूरे नियमों का पालन किया जा रहा है। प्रदेश बनने के 17 सालों बाद एक भी नियमित शिक्षक के पद नही निकले। लेकिन नाममात्र के वेतन पर शिक्षाकर्मियों की भर्ती जरूर हुई। 2011 के बाद प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में नाम मात्र की भर्ती हुई। जबकि विद्यालयो में खाली पदों की संख्या सत्तर हजार से अधिक है। प्रदेश के लाखों युवा  शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर बेरोजगार बैठे हैं। जानकारी मिल रही है कि सरकार शिक्षा व्यवस्था को ठेके पर देना का विचार कर रही है। आउट सोर्सिंग से राष्ट्र शिल्पी शिक्षकों की भर्ती करना चाह रही है।

बनाया जा रहा बेवकूफ

              अमित ने कहा यह जानते हुए भी 70 हजार खाली पद के खिलाफ 2 लाख नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। फिर परीक्षा हुई क्यों…। क्या बेरोजगारों की जेब खाली करने के लिए। जब पद नहीं है तो परीक्षा की जरूरत क्या है। परीक्षा शिक्षकों की और भर्ती शिक्षाकर्मियों की इसमें सुधार क्यों नहीं किया जा रहा है। सरकार आखिर कब तक बेवकूफ बनाएगी।

close