शर्तों मे सेन्ट फ्रांसिस समेत अन्य स्कूलों को छूट.. deo ने बताया..चेतावनी के बाद इजाजत..नाराज अभिभावकों ने कहा..प्राप्तांक नहीं तो..छूट क्यों ?

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— कोरोना काल में स्कूलों की मनमानी थम नहीं रही है। एक तरफ शासन प्रशासन लोगों को घर से नहीं निकलने की सलाह दे रहा है। दूसरी तरफ सेन्ट फ्रांसिस समेत अन्य स्कूल प्रबंधन अपनी मनमानी और तुलगलकी फरमान से बाज नहीं आ रहे हैं। जानकारी के अनुसार डीईओं ने सभी स्कूल प्रबंधन को कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए सीमित संख्या में बच्चों को फीजियकल क्लास में बुलाने की बात कही है। डीईओ के इस आदेश के बाद अभिभावकों की नाराजगी अभी भी कायम है।

              जानकारी देते चलें कि दो दिन पहले सेन्ट फ्रांसिस हायर सेककेन्डरी स्कूल प्रबंधन ने एक से तीन जून तक फिजियल क्लास लगाने का फरमान जारी किया।  साथ ही अभिभावकों को सूचीत किया गया कि क्लास में अनुपस्थित नहीं होने की सूरत में  बच्चों कों अरनुपस्थित माना जाएगा।

              सेन्ट फ्रांसिस के तुगलकी फरमान के बाद अभिभावकों ने गहरी नाराजगी जाहिर की। मामले की शिकायत डीईओ तक पहुंची। डीईओ ने बताया कि स्कूल खोलने का फरमान फिलहाल शासन से जारी नहीं हुआ है। मामले में स्कूल प्रबंधन से चर्चा के बाद ही निर्णय लिया जाएगा।

               सोमवार को स्कूल प्रबंधन और जिला शिक्षा अधिकारी की बैठक हुई। बैठक में शर्तों के साथ बच्चों को फिजीकल क्लास में बुलाने का आदेश जिला शिक्षा अधिकारी ने दिया है।

15 की संख्या में बुलाए जाएंगे बच्चे..प्रोटोकाल का होगा पालन

                      प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि सेन्ट फ्रांसिस स्कूल प्रबंधन के साथ बातचीत हुई है। प्रबंधन ने बताया कि बोर्ड परीक्षा के पहले फिजिकल क्लास कैलेण्डर वर्ष में शामिल है। इसके तहत बच्चों के बीच खेल कूद का कार्यक्रम होता है। बच्चों का इसमें शा्मिल होना बहुत जरूरी होता है।

                   डीईओं ने बताया कि सेन्ट फ्रांसिस स्कूल प्रबंधन को बताया गया कि अनिवार्य होने पर ही बच्चों को फिजिकल क्लास में बुलाया जाए। लेकिन एक समय में बच्चों की संख्या 15 से अधिक ना हो। इस दौरान बच्चों के बीच फिजिकल डेस्टिंग को बनाकर रखा जाए। साथ ही कोरोना प्रोटोकाल का गंभीरता से पालन किया जाए। यदि किसी प्रकार की शिकायत पायी जाती है तो कार्रवाई की जाएगी।

                सीजी वाल को प्रभारी डीईओ ने बताया कि फिजीकल क्लास केवल औपचारिक होगा।

 अभिभावकों में आक्रोश 

                   इधर बच्चों के अभिभावकों ने डीईओ के आदेश को जिन्दगी से खेलने वाला बताया है। नाराजगी जाहिर करते हुए अभिभावकों ने बताया कि एक तरफ सरकार बोर्ड परीक्षा कराए जाने को लेकर उहाफोह की स्थिति में है। दूसरी तरफ स्कूल प्रबंधन को फिजीकल क्लास लेने का भूत सवार है। जबकि इसका प्राप्तांक भी परीक्षा परिणाम में नहीं जोड़ा जाता है। फिर कोरोना काल में फिजिकल क्लास लगाने की जरूरत ही क्यों है। 

              अभिभावकों ने कहा कि यदि कोई भी बच्चा इस बीच संक्रमित होता है तो वह बोर्ड परीक्षा में बैठने लायक भी नहीं रह जाएगा। बात इतनी ही नहीं है..दरअसल बात बच्चों की जिन्दगी से जुड़ा है। यदि कोई बच्चा इस दौरान कोरोना संक्रमित हो जाता है..और जिन्दगी पर बन आती है तो इसका कौन होगा। स्कूल प्रबंधन और प्रभारी डीईओ को बताना होगा। ऐसा लगता है जिला शिक्षा विभाग प्रबंधन के दबाव में है।                

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