दीवार की चपेट में आने से मासूम बच्ची की मौत.. संयुक्त शिक्षा संचालक ने कहा..हमें जानकारी नहीं. जांच शुरू होने से पहले ही.लीपापोती का खेल शुरू

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—सरकंडा स्थित ज्ञानोदय पब्लिक स्कूल में जर्जर छत की चपेट में आने से मासूम बच्ची की मौत हो गयी है। घटना के बाद लोगों ने बताया कि दरअसल मासूम बच्ची शिक्षा के दलालों की भेंट चढ़ गयी है। बावजूद इसके ना तो प्रशासन कुछ कह रहा है और ना ही शासन कुछ बोलने को तैयार है। यदि ऐसा ही रहा तो इस प्रकार की घटना अंतिम भी नहीं है।
 
दीवार गिरने से मासूम की मौत
 
                सरकंडा स्थित ज्ञानोदय पब्लिक स्कूल की जर्जर दीवार की चपेट में आने से मासूम बच्ची की मौत का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि पूरे माम्ले को शिक्षा विभाग के दलाल कवरअप करने में जुटे हैं। ज्ञानोदय स्कूल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहरा कर अपना पल्ला झाड़ने का पूरा प्रबंध कर लिए है। 
 
                जानकारी के अनुसार दोपहर को ज्ञानोदय स्कूल में पढ़ने वाली बच्ची लघुशंका के लिए बाथरूम गयी थी।इसी दौरान बाथरूम की जर्जर दीवार गिर गयी। सब कुछ इतना अचानक हुआ कि बच्ची को संभलने की मौका भी नहीं मिला। और बच्ची जर्जर दीवार की चपेट में आ गयी। जानकारी मिलते ही सरकन्डा पुलिस भी मौके पर पहुंच गयी।
 
परिजनों का संचालक पर फूटा गुस्सा
 
                               घटना के बाद मासूम बच्ची के परिजनों ने आरोप लगाया कि बच्ची के भविष्य को ध्यान में रखते हुए परिवार ने फीस भरने में किसी भी प्रकार की कोताही नहीं की है। बेहतर सुविधा मिले..इस बात को लेकर हमने प्रबंधन पर कई बार दबाव बनाया। बावजूद इसके बाथरूम को भी ठीक नहीं कराया गया। जबकि बाथरूम को लेकर प्रबंधन को कई बार बताया भी गया कि हादसा हो सकता है।बावजूद इसके  प्रबंधन ने सिर्फ अपनी झोली भरने का काम किया। आज हमारी बच्ची हमारे बीच नहीं है। बच्ची की मौत के लिए जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी भी जिम्मेदार है। बहरहाल पुलि ने जांच पड़ताल शुरू दी है। पुलिस का दावा है कि आरोपियों केखिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। 
 
कुकुरमुत्तों की तरह खुल रहे स्कूल..व्यवस्था के नाम पर शून्य
 
                             बताते चलें कि  निजी स्कूलों को मान्यता देने का काम जिला शिक्षा अधिकारी का होता है। विकास खंड शिक्षा अधिकारी की टीम की जिम्मेदारी होती है कि स्कूलों की लगातार मानिटरिंग करे। बच्चों की सुरक्षा और प्रति बच्चे के हिसाब से स्कूल में हाइजीनिक सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराए। बिजली पानी, साफ सफाई, खेलकूद का मैदान की व्यवस्था हो। प्रशिक्षित स्टाफ के साथ अनेक ऐसी सुविधाएं हो जिसके बीच रहकर बच्चे पठन पाठन कर सकें। इसके बाद ही किसी निजी स्कूल को मान्यता दी जाती है। तमाम प्रकार की गाइडलाइन के बाद भी गांव कस्बा हो या नगर ,हर गली में छोटे-छोटे मकानों में प्राइवेट स्कूलों का संचालन किया जा रहा है।
 
व्यवस्था पर भारी व्यवसाय
           स्कूलों की मान्यता के नाम पर स्कूलों में व्यापक स्तर पर चढ़ावा का खेल चलता है। बच्चों की सुविधाओं को लेकर किसी को परवाह नहीं है। इसके चलते निजी स्कूलों का निरीक्षण साल में एक बार भी नहीं होता है। शिक्षा के व्यवसायीकरण की प्रवृत्ति सामाजिक व्यवस्था पर भारी पड़ रहा है। जिसके चलते इस प्रकार का घटनाक्रम रोज सामने आते रहते हैं।
 
जांच के साथ लीपा पोती का खेल शुरू
 
                प्राइवेट स्कूलों को जिला शिक्षा अधिकारी की किराए की दुकान माना जाता है। सरकंडा के ज्ञानोदय पब्लिक स्कूल भी ऐसा ही है। घटना में बाथरूम की जर्जर दीवार गिर जाने से छोटी बच्ची की मौत बेहद दर्दनाक है। यद्यपि स्कूल प्रबंधन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर लिया गया है। लेकिन जैसी की जानकारी मिल रही है कि जांच के नाम पर लीपापोती का खेल जांच शुरू होने के साथ शुरू हो चुका है।
 
सिर्फ कुर्सी तोड़ रहे अधिकारी
 
            जिला शिक्षा अधिकारी, विकासखंड शिक्षा अधिकारी और संकुल समन्वयक पर कार्यवाही की जानी चाहिए। , जिनके ऊपर व्यवस्था का दारोमदार है। जो सालों साल से केवल और केवल ऑफिस में कुर्सी तोड़ने का काम कर रहे हैं।
 
संयुक्त संचालक को खबर नहीं
      
        संयुक्त संचालक शिक्षा विभाग रामसागर चौहान ने मामले में अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि फिलहाल घटना को लेकर उन्हें किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं है। मामले में जानकारी होने के बाद ही कुछ कहूंगा। फोन पर सवाल जवाब के दौरान चौहान ने बताया कि यह सच है कि स्कूलों का निरीक्षण और व्यवस्था का जायजा लेना अधिकारियों का काम है। यदि ऐसा किया जाता तो घटना नहीं होती। फिलहाल हम लगाएंगे कि लापरवाही और घटना के लिए जिम्मेदार कौन है। इसके बाद ही कुछ बता सकने की स्थिति में रहूंगा। 
   
                   बहरहाल सीजी वाल से खबर मिलने के बाद डीईओ से बात किया हूं। जिला शिक्षा अधिकारी को पूरे घटनाक्रम के लिए जांच का आदेश भी दिया हूं।

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