इस जिले के DEO चला रहे “पढ़ई तुंहर दुआर की जगह पढ़ई को लगा बुखार योजना”,मनमानी से शिक्षा योजनाओं का बुरा हाल.. लेकचरर को डीएमसी का पद और समन्वयकों की नियुक्ति में भी धांधली

Chief Editor
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रायपुर – बलौदा बाजार जिला शिक्षा अधिकारी की मनमानी से जिले में शिक्षा व्यवस्था योजनाएं दिनोंदिन गर्त में जा रही है।विकासखंड के विभिन्न ब्लॉक के समन्वयकों की नियुक्ति में मनमाने ढंग से अनेक लोगों को संकुल समन्वयक बना दिया गया । पहले पात्र फिर अपात्र फिर पुरुस्कृत करने का खेला यहाँ खूब हो रहा है। जिले के अधिकतर ब्लॉक में संकुल पद पर कार्य करने वाले गैर अनुभवी  प्रवृत्ति के हैं। जिनसे शिक्षा स्तर में अभिवृद्धि और बच्चों की पढ़ाई लिखाई से लेना देना ना होकर दीगर मामलो में ज्यादा ध्यान दिखाई दे रहा है । जिसका ताजा मामला नवीन व्यवस्था में संकुल प्राचार्य और शैक्षिक समन्वयकों के बीच तालमेल के अभाव से डीपीआई के आदेश के बावजूद मोहल्ला क्लासेस और ऑनलाइन क्लासेस की ठीक ढंग वे शुरुआत नहीं हो पाई है । पिछले सत्र में जिला कलेक्टर कार्तिकेय गोयल और डी ई ओ की विशेष रुचि से  हुई पढ़ई तुंहर दुआर की  योजना जोर शोर से शुरू हुई । जिस पर वर्तमान डीईओ  सहित अन्य अधिकारियों की बेरुखी से केवल खानापूर्ति की जा रही है।
यहां वरिष्ठ अधिकारियों को साधने का तंत्र  मौजूद होने का बड़ा प्रमाण यह है कि योजना क्रियांवन्यन के लिए नोडल एजेंसी जिला मिशन समन्वयक के पद पर एक व्याख्याता टिके हुए है। इन पर पूर्व की रमन सरकार में बरसी हुई कृपा अब  भूपेश बघेल के राज में भी जुगाड़ के तंतर मंतर से बरकार है । राजीव गांधी शिक्षा मिशन कार्यालय बलौदा बाजार इस समय कमीशन खोरी के लिए प्रसिद्ध हो गया है।
बीते दिनों जिले के ही एक संकुल समन्वयक द्वारा लेनदेन और वसूली की शिकायत  और ऑडियो रिकॉर्डिंग कुछ महीनों पहले पूरे प्रदेश भर में वायरल हुई थी। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा मामले की जांच कराई गई । लेकिन आज तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।डीईओ ध्रुव और डीएमसी राव की लापरवाही से स्कूल शिक्षा विभाग की शासन की योजनाएं ठप्प पड़ी हुई है। जिले के कई संकुलों में  द्वारा निर्धारित मानदंडों से परे जाकर समन्वयकों की नियुक्ति मनमाने आधार पर की जा रही है।
 बताया जाता है कि राजनेताओं की सिफारिश का नाम लेकर जिले के  विकासखंड में ऐसे व्यक्ति को बीआरसीसी के पद पर काबिज कर दिया गया है, जो पहले वर्षों तक नियम विरूद्ध  संकुल समन्वयक रहा हो । संकुल पुनर्गठन की प्रक्रिया में संकुल समन्वयक बनने को लिए अपात्र माना गया हो गया हो । ऐसे अभ्यर्थी को बीआरसीसी के विकासखंड लेवल के पद पर बैठा दिया गया है। 
इसी प्रकार राजनीतिक सिफारिश का हवाला देकर  कैडर के अधिकारी उपलब्ध होने के बावजूद भी नियमविरुद्ध तरीके से  जिले में बी ई ओ का प्रभार पलारी में दिया गया है। कसडोल ब्लॉक में बकरा भात के लिए चंदा नहीं देने पर महीनों से स्थापना बाबू द्वारा शिक्षिका का वेतन अकारण कई महीनों से रोक दिया गया है। इस बारे में जिला शिक्षा अधिकारी से वास्तविकता जानने का प्रयास किया तो पहले तो बहुत ध्यान से सुना । फिर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

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 संयुक्त संचालक लोक शिक्षण रायपुर ने डीएमसी और संकुल समन्वयक की नियुक्ति मामले को जिला कलेक्टर के क्षेत्राधिकार से संबंधित बताते हुए उनके संज्ञान में लाने की बातें कहीं है। विगत दिनों राज्य सरकार द्वारा अभियान चलाकर  कोरोना से  प्रभावितों हुए आश्रितों  को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की गई,डीईओ कार्यालय द्वारा उक्त नियुक्ति एवं पदस्थापना में भी खुलेआम लेन देन की चर्चा आम है। 
राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजना स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल हर जिले के विकासखंड में आरंभ की जा रही है। जिले के विभिन्न विकास खंडों में इन विद्यालयों में अध्यापन हेतु शिक्षक संवर्ग की संविदा भर्ती और प्रतिनियुक्ति प्रक्रिया में लेनदेन की चर्चा खुलेआम चल रही है एवम लॉटरी के बावजूद प्रवेश प्रक्रिया में चहेतों को उपकृत किया जा रहा है।

जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी उक्त बातों पर जवाब देने के बजाय कन्नी काटते नजर आ रहे हैं।स्पष्ट  है डीईओ को  जिम्मेदारियों का एहसास नहीं है या अन्य जिलों की तरह वे भी राजनीतिक संरक्षण में बेखौफ मनमानी को सर्वोपरि मानते हो? बहरहाल कहा जा सकता है वरिष्ठतम आईएएस एवं प्रमुख़ सचिव आलोक शुक्ला व  वरिष्ठ आईएएस विशेष सचिव एवम संचालक डॉ कमलप्रीत सिंह जैसे जुझारू  अधिकारी होने के बावजूद  अपने गृह क्षेत्र में आराम की जिंदगी गुजर बसर करते हुए “पढई तुंहर दुआर की जगह पढ़ई को लगा बुखार” का मॉडल बनाने में बलौदाबाजार डीईओ और उनकी टीम आगे चल रही है।

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