बिलासपुर— कोरोना मरीजों के शव बदलने से परिजनों की नाराजगी सामने आयी है। जानकारी के अनुसार शव बदलने की गड़बड़ी में निजी अस्पताल प्रबंधन को जिम्मेदार बताया जा रहा है। सूत्र ने बताया कि गलतफहमी के चलते परिजन एक दूसरे के परिजनों शव अपना समझकर घर ले गए। ठीक दाह संस्कार के समय शव बदलने की जानकारी के बाद परिजन लाश लेकर मरचुरी पहुंचे। और जमकर आक्रोश उतारा है।
निजी अस्पताल की लापरवाही प्रशासन के गले की हड़़्डी साबित हो रही है। जानकारी के अनुसार निजी अस्पताल में अलग अलग दिनों में ईलाज के दौरान तीन कोरोना संक्रमितों की मौत हो गयी। गाइड लाइन के अनुसार कोरोना मरीजों के शव को मरचुरी में रखा गया। बाद में परिजनों के हवाले किया गया।
सूत्र ने बताया कि गड़बड़ी का खुलासा उस समय हुआ जब राजस्थान से एक परिवार शव लेकर लौटा और बताया कि उन्हें गलत शव दिया गया है। जबकि कोरोना से मरने वाली 22 साल की युवती है। और उन्हें पूरूष का शव थमाया गया। इतना सुनते ही मरचुरी में 22 साल की युवती के शव की पहचान कर परिजनों को सौंपा गया।
इसी दौरान बैकुण्पुर का एक परिवार प्रियजन का शव लेने पहुंचा। ढूठने के बाद भी शव मरचुरी में नहीं मिला। प्रशासन को समझने में देर नहीं लगी कि शव की अदला बदली हो गयी है। अधिकारियों ने तत्काल सक्ति स्थित परिवार से सम्पर्क किया। पूछताछ के दौरान जानकारी मिली कि उसने शव का अंतिम संस्कार कर दिया है। इतना सुनते ही प्रशासन की बेचैन बढ़ गयी।
सूत्र ने बताया कि दरअसल बैकुण्ठपुर वाले परिवार का शव सक्ति वाला ले गया। और अंतिम संस्कार किया। जबकि सक्ति वाले का शव धोखे से राजस्थान चला गया। बाद में बदलकर मृतक युवती को हवाले किया गया। इस बीच अधिकारियों बैकुण्ढपुर वाले परिवार को समझा बुझाया। और सक्ति से राख समेटने को कहा। साथ ही सक्ति वालों को उनके असली परिजन का शव हवाले किया गया।
वहीं अब प्रशासन मामले को दबाने का प्रयास कर रहा है। और निजी अस्पताल प्रबंधन के सिर दोष मढ़कर खुद की गरदन छूड़ाने का प्रयास हो रहा है। प्रशासन की माने तो मरचुरी में शव रखने के पहले शव का पता ठिकाना लिखा जाता है। लेकिन निजी अस्पताल प्रबंधन ने नाम पता गलत लिखकर समस्या को पैदा किया है।